लखनऊ। यूपी के बाराबंकी के हैदरगढ़ क्षेत्र में एक 40 साल का व्यक्ति 16 साल की नाबालिग किशोरी को लंबे समय से परेशान कर रहा था। 8 जून को उसने दलित नाबालिग से कथित तौर पर रेप किया था। इस मामले की शिकायत लेकर पीड़िता, उसकी मां और चाचा थाने गए थे। जिसके बाद दारोगा यतेंद्र ने लिखित समझौता करा दिया था। जिसके बाद घर वापस लौटे आरोपी ने कहा, "मैं ससुराल से लौट आया, मेरा कोई रोआ तक टेढ़ा नहीं कर सकता।" व्यक्ति लगातार परिवार को परेशान कर रहा था। जिसके बाद पीड़ित परिवार ने एसपी से शिकायत की। घटना के 9 दिन बाद मुकदमा लिखा गया था और पीड़िता का मेडिकल हुआ था। इस मामले में पुलिस पर एफआईआर के बाद कार्रवाई नहीं करने के आरोप थे। जिसके बाद नाबालिग ने आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद हरकत में आई पुलिस ने आरोपी युवक को पहले गिरफ्तार किया। बाद में असलहा बरामदगी के दौरान पुलिस पर फायरिंग कर भागते समय एनकाउंटर कर दिया।
नाबालिग की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है। इस मामले में जांच कर रहे विवेचक और थाना प्रभारी हैदरगढ़ लाल चंद सरोज ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नॉर्मल हैंगिंग की पुष्टि हुई है। रेप की पुष्टि नहीं हुई है।
प्रकरण यूपी के बाराबंकी के हैदरगढ़ कोतवाली के एक गांव का है। यहां रहने वाली एक नाबालिग किशोरी के पिता दूसरे राज्य में रहकर कमाते हैं। घर पर दो बेटियां और पत्नी रहती हैं। किशोरी की मां ने बताया, "आठ जून की रात मेरी बेटी घर के बाहर सो रही थी। रात करीब 11:30 बजे वह लघुशंका के लिए उठ कर गई थी। इस दौरान गांव में ही रहने वाले सोनू (40) ने उसका मुंह दबाया और नशीला पदार्थ सूंघाकर घर के पास ही एक अर्धनिर्मित मकान में ले गया। उसने मेरी बेटी के साथ रेप किया था। शोर सुनकर पड़ोस में रहने वाली महिला पहुंची। पहले उन्होंने सोचा कोई चोर है। लेकिन वह उन्हें देखकर भाग गया। मेरी बेटी दो दिन तक अचेत रही। 10 जून को जब होश में आई तो उसने पूरी जानकारी दी। जिसके बाद मैं, मेरा देवर और बेटी थाने गए और मामले की लिखित शिकायत की थी। इस मामले में पुलिस ने जबरन सुलह करा दी थी।" सुलहनामे की कॉपी द मूकनायक के पास मौजूद है।
पीड़िता की मां ने बताया, "17 जून की सुबह मैं मेरा देवर और बेटी सुबह 10 बजे थाने पहुंच गए। हमने कुछ खाया-पिया नहीं था। पुलिस फाइल तैयार होने की बात कहती रही। शाम 4 बज गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 4 बजे के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। लगभग 5 बजे पुलिस मेरी बेटी को मेडिकल के लिए ले गई। इस दौरान महिला कांस्टेबल मनीषा और एक अन्य महिला कांस्टेबल ने हमें धमकाया कि, बेटी के साथ यह सब घटना हुई है, चुप क्यों नहीं बैठ जाती। समाज में बदनामी होगी। बेटी की शादी नहीं होगी। मुकदमे के चक्कर में मत पड़ो। शिकायत वापस ले लो। लेकिन हम नहीं माने और एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहते रहे। जिसके बाद रात लगभग 9 बजे मुकदमा दर्ज हुआ।"
"मुकदमा दर्ज होने से पहले भी पुलिसकर्मियों ने हमें खूब धमकाया और शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने हमसे संपर्क नहीं किया। पुलिस कह रही थी कि एक दिन बाराबंकी जाना पड़ेगा बयान दर्ज कराने के लिए, इसके लिए पुलिस द्वारा फोन करके जानकारी देने की बात कही गई थी", पीड़िता की मां ने बताया।
16 जून को पीड़ित मां ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की, जिनके आदेश पर 17 जून को मुकदमा लिखा गया, लेकिन हीलाहवाली का क्रम जारी रहा। इसके बाद भी पुलिस पीड़िता को मेडिकल परीक्षण के लिए दौड़ाती रही और आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। इससे किशोरी इतना परेशान हो गई कि 22 जून की सुबह उसने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी थी।
इस मामले में आरोपी के खिलाफ पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का तत्काल मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस की जांच में आरोपी के पास मोबाइल में एक अवैध असलहे की तस्वीर भी मिली थी। जिसकी बरामदगी के लिए जाते समय आरोपी फरार हो गया था। आरोपी का पीछा करते पीछे पहुंची पुलिस पर आरोपी ने फायरिंग की। क्रॉस फायरिंग में आरोपी के पैर में गोली लगी थी। जिसके बाद पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया था।
वहीं 23 जून को पीड़िता के शव का पोस्टमार्टम हुआ था। जांच अधिकारी और थाना प्रभारी हैदरगढ़ लाल चंद सरोज ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया, "पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है। युवक नाबालिग को लंबे समय से परेशान कर रहा था।"
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