पैर धोने से पेट नहीं भरता, पेट भरता है खाने से, जिसके लिए सरकार पैसे नहीं देती- सफाईकर्मी

द मूकनायक से सफाईकर्मियों ने बयां की अपनी दास्तान
द मूकनायक से सफाईकर्मियों ने बयां की अपनी दास्तान
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संवाददाता, बबीता गौतम

हमारे देश में जहां डोर टू डोर सफाई कर्मचारी अपना काम पूरी मेहनत से कर रहे हैं, ज़िंदगी को खतरे में डालकर देश की सफाई कर रहे हैं. वहीं उन्हें अपनी मेहनत का फल भी नहीं मिल रहा. कोविड लहर में सफाई कर्मचारियों को सरकार ने कोरोना योद्धा का दर्जा दिया था. इस दौरान सरकार ने कई बड़े वादे भी किए जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के कुछ सफाईकर्मियों के पैर धोकर उनको सम्मानित किया. लेकिन इस बात की ज़मीनी हकीकत सफाईकर्मी कुछ और ही बताते हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश में 75 जिलों के सफाईकर्मचारी योगी सरकार के खिलाफ हड़ताल पर बैठे थे जिनमें उनका कहना था कि जिस प्रकार उनसे काम लिया जाता है उस प्रकार से उनको पैसे नहीं मिलते.

8 हजार रुपए है महीने की सैलरी, मिलते हैं 5 हजार रुपए
जब द मूकनायक की टीम लखनऊ पहुंची तो सफाईकर्मियों ने आप बीती बतायी. एक कर्मचारी ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि उनको महीने के साढ़े सात हजार रुपए मिलते हैं वहीं अगर किसी दिन वह कोई छुट्टी कर ले तो उनके पैसे कट जाते हैं. कुल मिलाकर उनके खाते में 5 हजार रुपए ही आ पाते हैं. कर्मचारी का कहना था 5 हजार रुपए में उनके घर का खर्चा नहीं चल पाता जिसके लिए वह दूसरी जगह काम करने को मजबूर हो जाते हैं. इस दौरान उन्होंने बताया कि उनको किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती. वर्दी भी उनको जब दी जाती है जब कोई बड़ा अधिकारी प्रदेश में आता है या मुख्यमंत्री का दौरा होता है. पीएफ, ईएसआई या किसी भी तरह की कोई मेडिकल सुविधा के नाम पर जो पैसे काटे जाते हैं उनका कोई दस्तावेज़ नहीं दिया गया है. अगर उनके साथ किसी तरह की कोई घटना घट जाए तो सरकार या ठेकेदार की तरफ से किसी भी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती. किसी भी तरह का इलाज उनको अपने पैसों से ही करवाना पड़ता है.

कोविड के दौरान किया 12-12 घंटे काम
कोविड के दौरान सफाईकर्मियों के साथ सरकार और ठेकेदार ने असंवेदनशील व्यवहार किया. बातचीत में दूसरे कर्मचारी ने बताया कि कोरोना के दौरान उनको किसी भी तरह की कोई सुरक्षा किट नहीं दी गई. उनसे 12-12 घंटे काम लिया गया जिसका कोई भी अतिरिक्त पैसा उनको नहीं मिला. जब उनसे सवाल किया गया है कि प्रदेश की योगी सरकार सफाईकर्मियों के पैर धोती है, उनको सम्मानित करती है उसपर उनका क्या कहना है? इस पर कर्मचारियों का यही कहना था कि उनको इस तरह का सम्मान नहीं चाहिए. इस सम्मान से पेट नहीं भरता, पेट भरने के लिए उनको पैसों की जरूरत होती है जो सरकार और ठेकेदार नहीं देते.

मोदी और योगी महिलाओं के सम्मान की बात करते हैं लेकिन उनको देते नहीं- महिला अध्यक्ष
इस मामले पर महिला सफाई मजदूर अध्यक्ष ने बताया कि हमारे कर्मचारियों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सौतेला व्यवहार करते हैं. जिन महिला कर्मचारियों को 8 हजार रुपए मिलते हैं वह अपने परिवार का पालन पोषण किस प्रकार से करेंगी क्योंकि उनमें से कई लोग किराए पर रहते हैं. किराए में ही आधी सैलरी चली जाती है. इस दौरान उन्होंने बताया कि जब भी कोई बड़ा अधिकारी आता है तो हमें सबसे पहले पहुंचना होता है. 12 घंटे काम लिया जाता है. न तो उसके पैसे मिलते हैं न ही उसकी कोई छुट्टी मिलती है. उन्होंने बताया कि देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री हमारे सफाईकर्मियों के लिए कुछ नहीं करते वह बस बड़ी-बड़ी बातें ही करते हैं और बातों से पेट नहीं भरता.

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