शराब के नशे में धुत लखनऊ पुलिस कर्मियों द्वारा मजदूरी कर परिजनों का पेट पालने वाले दलित की बर्बरता से पिटाई का आरोप। मरणासन्न स्थिति में छोड़ा। 24 घण्टे बाद भी दोषी पुलिसकर्मियों पर नही हुई कोई कार्रवाई। पति-पत्नी के झगड़ें में पुलिस की कार्यवाई को बाहर खड़े होकर देखना दलित को पड़ा भारी।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की कमिश्नरेट पुलिस के पुलिसकर्मियों द्वारा गंभीर मामलों को लेकर लापरवाही बरतने के मामले तो सामने आए ही थे, लेकिन अब एक ताज़ा मामले में लखनऊ पुलिस द्वारा एक निर्दोष की बर्बरता से पिटाई का मामला भी सामने आया है।
कमिश्नरेट की बिजनौर थाने के पुलिसकर्मियों पर एक दलित युवक ने पुलिस द्वारा शराब के नशे में बर्बरता के साथ पिटाई करने का आरोप लगाया है। मामला सिर्फ इतना था कि युवक पति-पत्नी के झगड़े और पुलिस की कार्रवाई को घर के बाहर खड़े होकर देख रहा था। इससे नाराज हुई पुलिस ने पिटाई कर दी। युवक का आरोप है कि, जब वह मरणासन्न स्थिति में आ गया तब पुलिस ने उसे छोड़ा।
विस्तार से जानें पूरा मामला
लखनऊ के बिजनौर क्षेत्र के कंकरकुआं निवासी सुभाष रावत (30) ने बताया कि, उनका बड़ा भाई पप्पू भी पड़ोस के घर मे अलग रहता है। 30 मई की रात लगभग 10:30 बजे पप्पू का बेटा विशाल व उसकी पत्नी के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। दोनों के बीच मारपीट हुई। इस पर विशाल की पत्नी ने डायल 112 में कॉल कर पुलिस को बुला ली थी। सुभाष उस समय परिवार के साथ खाना खा रहे थे। घर के बाहर शोर-शराबा सुनकर सुभाष भी बाहर आ गया।
सुभाष के मुताबिक, 6 पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे। सभी ने शराब पी रखी थी। पुलिस विशाल को पीट रही थी। वह पूरे मामले को देख रहे थे। इस दौरान पुलिस की नजर सुभाष पर पड़ी। सुभाष का आरोप है कि, पुलिस ने उन्हें यह कहकर पीटना शुरू कर दिया कि वह पुलिस को घूर रहा है।
सुभाष की मां रानी (65) घर के बाहर आ गई और पुलिसकर्मियों के पैर छूकर बेटे को छोड़ देने की भीख मांगने लगी। इसपर पुलिस वालों ने उसे गाड़ी में बिठा लिया और बिजनौर थाने ले गई।
सुभाष के मुताबिक, दो पुलिसकर्मियों ने उसके हाथ पकड़ लिए जबकि अन्य दो ने फाइबर के डंडे से पीटना शुरू कर दिया। पुलिस पर आधा घण्टे तक पीटने का आरोप है। सुभाष ने बताया कि वह पुलिस की पिटाई से बेहोश हो गए, जिसके बाद उसके परिजन उसे घर ले आये। सुबह उसे इलाज के लिए लोकबंधु अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने चोट देखकर पुलिस में रिपोर्ट की बात कही जिससे वह वहां से लौट गया और प्राइवेट क्लीनिक में इलाज कराया।
पिता की हो चुकी है मौत, घर की जिम्मेदारी सुभाष पर
सुभाष ने बताया कि, परिवार में उसके साथ उसकी मां रानी देवजी (65), छोटी बहन शालिनी (21) दो भाई आकाश (22), आशीष (18) साथ मे रहते हैं। पिता की मौत 10 साल पहले हो चुकी है। घर के खर्च की जिम्मेदारी अब सुभाष पर है। सुभाष एक क्लीनिक में कम्पाउंडर का काम करते थे। कोरोना में उनकी नौकरी चली गई। जिसके बाद यह दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं।
मां भी घर खर्च पूरा करने के लिए खेतों में काम करती है
सुभाष ने बताया कि, उसकी मां रानी देवी भी घर के खर्च को पूरा करने के लिए खेतों में काम करने जाती हैं। जिसके बाद घर का खर्च पूरा हो पाता है।
पुलिस उपायुक्त ने दिए मामले में जांच के निर्देश
पूरे मामले में पुलिस उपायुक्त मध्य अपर्णा रजत कौशिक ने एसीपी कृष्णानगर को जांच सौंपी है। पुलिस उपायुक्त अपर्णा का कहना है कि, दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, घटना के 24 घण्टे बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
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