उत्तर प्रदेश: हर्ष फायरिंग में दलित किशोर की मौत, थम नहीं रहे गैरइरादतन हत्या के मामले

शस्त्र (संशोधन) अधिनियम 2019 के मुताबिक इस तरह की किसी भी गोलीबारी पर रोक लगाई गई है।
सांकेतिक तस्वीर
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लखनऊ। यूपी के प्रतापगढ़ जिले के आसपुर देवसरा क्षेत्र में एक परिवार में शादी के दौरान दलित परिवार के घर मातम पसर गया। शादी की खुशी में की गई हर्ष फायरिंग में 16 वर्षीय दलित लड़के की जान चली गई। इस मामले में पीड़ित पिता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने आरोपी का लाइसेंस भी जब्त कर लिया है। पुलिस लाइसेंस निरस्त करने के प्रत्यावेदन के साथ ही आगे की कार्रवाई कर रही है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

यूपी में प्रतापगढ़ जिले के आसपुर देवसरा क्षेत्र के कोटिया पूरेधनी में फूलचंद्र दुबे की बेटी की शादी के सिलसिले में शुक्रवार को 'हल्दी' समारोह था। उसी दौरान दुबे के भतीजे पिंटू ने अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से खुशी में गोली चलाई, जो वहां टेंट लगा रहे दलित किशोर अजय कुमार (16) को लग गई। अजय कुमार को गंभीर हालत में प्रयागराज ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान शनिवार को उसकी मौत हो गई। अजय कुमार के पिता सुरेश की शिकायत के आधार पर पिंटू के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए गिरफ्तार कर लिया है। अपराध में इस्तेमाल की गई पिस्तौल भी बरामद कर ली गई है। पुलिस ने बताया कि मृतक का पोस्टमॉर्टम प्रयागराज में कराया गया है।

अजय कुमार के पिता सुरेश की शिकायत के आधार पर पिंटू के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। अपराध में इस्तेमाल की गई पिस्तौल भी बरामद कर ली गई है। पुलिस ने बताया कि मृतक का पोस्टमार्टम प्रयागराज में कराया गया है।

शस्त्र (संशोधन) अधिनियम 2019 इस तरह की गोलीबारी पर लगाता है रोक

शस्त्र (संशोधन) अधिनियम 2019 के मुताबिक इस तरह की किसी भी गोलीबारी पर रोक लगाई गई है। कानून सार्वजनिक समारोहों, धार्मिक स्थलों, शादियों या किसी भी फंक्शन में गोला-बारूद या आग्नेयास्त्रों के इस्तेमाल को पूरी तरह रोकता है। इस कानून के तहत ऐसा करने वालों को दो साल तक की कैद या एक लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ता है।

क्या कहते हैं आंकड़ें?

2014 में भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक गोली लगने से 3,655 मौतें हुई थीं। इनमें से केवल 14 प्रतिशत मौतों के लिए लाइसेंसी बंदूकों को जिम्मेदार ठहराया गया था। एनसीआरबी के अनुसार, 2015 में 85 प्रतिशत बंदूक बिना लाइसेंस के थे, जिससे अपराध किया गया।

2015 की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में 25,000 से ज्यादा बंदूकें मिली थीं। यह सभी अवैध रूप से जब्त की गई बंदूकें थीं। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित गाजियाबाद में गोली लगने से 2,716 मौतें ,जबकि मेरठ में 2,415 मौत के साथ दूसरे स्थान पर था। 2015 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अवैध विनिर्माण इकाइयों के मामले में एटा में सबसे ज्यादा 18, गाजियाबाद में 17 और शामली में 16 इकाइयों का भंडाफोड़ किया गया।

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