अलीगढ़। यूपी के अलीगढ़ जिले में एक दलित ग्राम प्रधान को उसकी पत्नी के शव का अंतिम संस्कार करने से रोका गया। मामले की शिकायत अधिकारियों से की गई, इसके बाद पुलिस सुरक्षा में शव का अंतिम संस्कार हो सका। इस मामले में कोई लिखित शिकायत नहीं की गई है।
पूरा मामला अलीगढ़ जिले के टप्पल थाना क्षेत्र के रामगढ़ी सालपुर गांव का है। इस गांव में ग्राम प्रधान कालीचरण रहते हैं। कालीचरण ने द मूकनायक को बताया, "मैं वर्तमान समय में ग्राम प्रधान हूँ। मेरी धर्म पत्नी को हार्ट-अटैक आने से मौत हो गई थी। जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाना था। गांव में कोई श्मशान नहीं था। यह श्मशान मैंने ही दर्ज कराया है। मैंने गांव के लोगों से कहा था कि मैं श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कर रहा हूँ। लेकिन लोगों ने इस पर अपना विरोध दर्ज कराया।"
कालीचरण बताते हैं, "मुझे शव का अंतिम संस्कार करने से रोका जा रहा था। मेरी पत्नी का शव घर पर रखा हुआ था। इस दौरान गांव के 50 लोग मेरे घर में घुस आये। उन्होंने मुझे ऐसा करने से मना किया। उन सभी का कहना था-" तुम वाल्मीकि हो इसलिए ऐसा नहीं कर सकते।" मैंने उनसे कहा कि अंतिम संस्कार श्मशान में ही किया जाता है न कि घर पर। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम इसे कहीं ले जाओ अपने खेत ले जाओ,लेकिन श्मशान नहीं ले जाओगे। वह मुझे दुःख की इस घड़ी में जातीय भेदभाव कर रहे थे। मैंने इस मामले में मैंने एसडीएम साहब को जानकारी दी। जिसके बाद एक दर्जन पुलिस बल मौके पर भेजा गया। इसके साथ ही मौके पर लेखपाल भी मौजूद थे।"
"यह श्मशान लगभग चार बीघे का है। इसे लोगों ने घेर रखा था। इसे खली कराया गया है। फंड मिलने पर इसे विकसित किया जाएगा। पुलिस की मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया जा रहा है। लेकिन मुझे डर लग रहा है। अंतिम संस्कार के बाद मेरे साथ कुछ भी हो सकता है। मुझे मेरी जान का खतरा है।', इस घटना के बाद लगभग एक दर्जन पुलिकर्मियों की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार किया जा सका है", कालीचरण ने बताया.
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