यूपी के दलित मजदूर की कश्मीर में हत्या: जानिये एयरपोर्ट से बॉडी घर लाने के लिए परिवार ने क्या किया?

परिवार का आरोप है लेखपाल ने एम्बुलेंस के पैसे देने की बात कही थी,लेकिन अब उन्होंने फोन उठाना बन्द कर दिया है। परिवार के पास आय का कोई जरिया नहीं है। 10 बिस्वा जमीन है लेकिन बोने के लिए रकम नहीं है। ऐसे में मुकेश के घर पर अब मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है।
यूपी के दलित मजदूर की कश्मीर में हत्या:  जानिये एयरपोर्ट से बॉडी घर लाने के लिए परिवार ने क्या किया?
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उत्तर प्रदेश- उन्नाव जिले से कश्मीर के श्रीनगर में काम करने गए एक दलित मजदूर की आतंकवादियों ने हत्या कर दी। उसे तीन गोलिया मारी गई. दलित मजदूर की हत्या के बाद उसका शव मंगलवार 31 अक्टूबर को लखनऊ एयरपोर्ट पर एयरलिफ्ट करके लाया गया। परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि शव को घर ला सके। इसके लिए कर्ज लेना पड़ गया। मंगलवार को उसकाअंतिम संस्कार किया गया, अभी तक सरकार की ओर से मृतक के परिवार को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं दी गई है। परिवार का आरोप है लेखपाल ने एम्बुलेंस के पैसे देने की बात कही थी,लेकिन अब उन्होंने फोन उठाना बन्द कर दिया है। परिवार के पास आय का कोई जरिया नहीं है। 10 बिस्वा जमीन है लेकिन बोने के लिए रकम नहीं है। ऐसे में मुकेश के घर पर अब मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है।

जनिये क्या है पूरा मामला ?

यूपी की राजधानी लखनऊ से लगभग 40 किमी दूर ,उन्नाव जिले की पुरवा तहसील के भटपुरा गांव में द मूकनायक की टीम पहुंची जहाँ पुलवामा में आतंकी हमले में मारे गए श्रमिक मुकेश कुमार का घर है। इस घर पर प्लास्टर तक नहीं लग सका था। घर में दो खाली पड़े कमरे और घर की दशा गरीबी की दास्तां बयां कर रही थी। घर के किनारे एक पुराना बक्सा और एक टूटी हुई चारपाई पर कपड़े पड़े हुए थे।

द मूकनायक की टीम जब मुकेश के घर के पहुंची तो परिजनों को देख कर ऐसा लग रहा था कि वह अब भी मदद की आस लगाकर राह देख रहे हैं, बच्चों के चहेरे पर भूख साफ दिख रही थी।

द मूकनायक से बात करते हुए मुकेश कुमार(42) की पत्नी कुसमा (35) बिलखते हुए बोली-'मेरे पति ने आतंकियों का क्या बिगाड़ा था। रोजी रोटी के लिए वह तो मजदूरी करने गए थे, उसे गोली क्यों मार दी ?

भटपुरा गांव में मुकेश कुमार का घर
भटपुरा गांव में मुकेश कुमार का घर

यह हुई घटना- मुकेश कुमार श्रीनगर में पिछले 15 साल से ईंट भट्टे पर मजदूरी का काम करते थे। वह हर साल मई के महीने में श्रीनगर चले जाते थे और नवम्बर की शुरुआत में काम करके लौट आते थे। मुकेश अनुसूचित जाति समाज के सदस्य हैं। मुकेश की पत्नी ने द मूकनायक को बताया-'तीन माह पहले जम्मू -कश्मीर के पुलवामा जिले के तुमची नौपोरा में ईंट भट्टे में मजदूरी करने गए। सोमवार सुबह आतंकियों ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी। उनके साथ काम करने वाले गांव के लोगों ने इसकी जानकारी दी।

मुकेश बहुत ही गरीब परिवार से था। मुकेश की पत्नी द मूकनायक को बताती हैं-'उनके पास ज्यादा पैसे नहीं रहते थे। इसलिए वह ट्रेन के चालू डिब्बे में बैठकर लखनऊ से जम्मू तक का सफर करते थे। फिर डाला या ट्रक में बैठकर श्रीनगर जाते थे.

मुकेश की पत्नी कुसमा अपने बच्चों के साथ
मुकेश की पत्नी कुसमा अपने बच्चों के साथ

मुकेश के भाई रामविलास ने द मूकनायक को बताया -'परिवार की स्थिति ठीक नहीं है। मुकेश के हिस्से में मात्र 10 बिस्वा जमीन है। जिससे परिवार का गुजारा चलना मुश्किल है। मुकेश की मौत के बाद परिवार पर जीविका का संकट आ गया है। मुकेश की मौत से मेरे पिता गंगा प्रसाद, और मेरे भाई हरिराम को भी कष्ट हुआ है।

जानकारी के मुताबिक मुकेश का शव मंगलवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस व सेना के जवानों ने जम्मू एयरपोर्ट से हवाई मार्ग से लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट भिजवाया। दोपहर करीब 3:30 बजे पहले से एयरपोर्ट पर मौजूद नायब तहसीलदार आशुतोष पांडेय, कानूनगो ब्रजेश सिंह, लेखपाल जयशंकर एयरपोर्ट पर मौजूद थे। शव लाने के लिए भतीजा सुभाष किराए पर एम्बुलेंस ले गया। इसके पैसे भी उसी ने दिए। पत्नी के पास इतनी रकम नहीं थी कि शव घर मंगवाने के लिए गाड़ी किराए पर ले सके।

मुकेश के छोटे से घर के अंदर खाली कमरा और नाम मात्र का सामान
मुकेश के छोटे से घर के अंदर खाली कमरा और नाम मात्र का सामान

शव देख कर बेसुध हुई पत्नी

मुकेश की पत्नी द मूकनायक को बताती हैं-'मुकेश ने रविवार को दो हजार रुपये मेरे खाते में डाले थे। वह कह रहे थे इससे दीवाली निपटा लेना। उन्होंने कहा था जब और पैसे मिलेंगे तब वह लगा देंगे।'

मंगलवार को जब मुकेश का शव गांव पहुंचा तो पति का शव देखते ही पत्नी वह बेहाल हो गई। वह बच्चों को कलेजे से चिपका बार-बार यहीं कह रही थी कि अब इनकी परवरिश कैसे होगी। पति के बिना अब वह बेटी के हाथ कैसे पीले करेगी। बेटी निशा खुशी व बेटे पंकज व बलबीर भी पिता का शव देख सिसक पड़े।

जम्मू से शव लेकर साथ आया ठेकेदार

हिलौली क्षेत्र के गांव चिन्वाखेड़ा निवासी राजनारायण क्षेत्र के लगभग सौ मजदूरों को जम्मू -कश्मीर में ईंट भट्ठे में मजदूरी के लिए लाने व ले जाने का काम करता है। मुकेश को भी वहीं ले गया था। मुकेश के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद शव हवाई मार्ग से ठेकेदार राजनारायण ही अपने साथ लेकर अमौसी एयरपोर्ट पहुंचा था। राजनारायण ने बताया कि मुकेश का लगभग 50 हजार रुपये मजदूरी का बकाया है, जल्द यह रुपये उसकी पत्नी कुसुमा को दिए जाएंगे।

मुकेश के घर राशन कार्ड तो बना है लेकिन उसमें एक व्यक्ति का नाम चढ़ा होने के कारण एक यूनिट राशन ही मिल पाता है। इस एक यूनिट राशन में मुकेश की पत्नी कुसमा, बेटी निशा (19),बेटा पंकज (14),बेटी खुशी (12) और बेटा अंकुश (10) का पेट पल रहा है।

इस मामले में ग्राम प्रधान शिव भान यादव ने द मूकनायक को बताया मुकेश के परिवार की स्थिति दयनीय है। उन्हें सरकार से आर्थिक सहायता दिलाने के लिये लेखपाल और तहसीलदार से समन्वय किया जा रहा है।

जिलाधिकारी ने मदद का दिया आश्वासन

इस मामले में द मूकनायक ने उन्नाव जिलाधिकारी से बातचीत की। जिलाधिकारी उन्नाव अपूर्वा दुबे ने बताया -'हमने कल मॉर्निंग में इस सम्बंध में मीटिंग बुलाई है। परिवार की नियमानुसार जो भी मदद सम्भव है वह की जाएगी। '

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