उत्तर प्रदेश। बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर , हैदरगढ़ थाना क्षेत्र के एक गांव में पुलिस की घोर लापरवाही के कारण एक नाबालिग किशोरी ने जान दे दी। गांव हैदरगढ़ थाने से लगभग 8 किमी अंदर पड़ता है। किशोरी के साथ रेप हुआ लेकिन पुलिस ने इसे व्हाट्सएप्प चैट में हुई तकरार मानते हुए आरोपी को गिरफ्तार करने की बजाय सुलहनामा करवाकर मामला ही रफा दफा कर दिया। आहत किशोरी ने फांसी लगा कर जान दे दी।
इस मामले में पुलिस पर जबरन सुलहनामा कराने और कार्रवाई न करने के आरोप लगे हैं। हालांकि नाबालिग द्वारा आत्महत्या करने पर पुलिस हरकत में आई और युवक को 22 जून की रात मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार कर लिया। वहीं कार्य मे लापरवाही बरतने पर एसपी ने विवेचक को निलंबित कर दिया है। यह यूपी में पांचवा मामला है जब पुलिस द्वारा लापरवाही बरतने पर पीड़िता/पीड़ित ऐसा कदम उठाने पर मजबूर हुई हो।
यूपी के बाराबंकी के हैदरगढ़ कोतवाली के एक गांव का है। यहां रहने वाली एक नाबालिग किशोरी के पिता दूसरे राज्य में रहकर कमाते हैं। घर पर दो बेटियां और पत्नी रहती हैं। किशोरी की मां ने बताया-"आठ जून की रात मेरी बेटी घर के बाहर सो रही थी। रात करीब 11:30 बजे वह लघुशंका के लिए उठ कर गई थी। इस दौरान गांव में ही रहने वाले सोनू (40) ने उसका मुंह दबाया और नशीला पदार्थ सूंघाकर घर के पास ही एक अर्धनिर्मित मकान में ले गया। उसने मेरी बेटी के साथ रेप किया। शोर सुनकर पड़ोस में रहने वाली महिला पहुंची। पहले उन्होंने सोचा कोई चोर है। लेकिन वह उन्हें देखकर भाग गया। आरोपी हत्या की धमकी देते हुए भाग गया। मेरी बेटी दो दिन तक अचेत रही। 10 जून को जब होश में आई तो उसने पूरी जानकारी दी। जिसके बाद मैं मेरा देवर और बेटी थाने गए और मामले की लिखित शिकायत की। "
महिला ने बताया-'मैं जब थाने गई तो उस दिन थाना दिवस था। इंस्पेक्टर साहब ने हल्का इंचार्ज यतेंद्र सिंह को कार्रवाई का आदेश दिया। दरोगा यतेंद्र सिंह ने सोनू को अपने नम्बर पर फोन करके मेरे सामने डांटा और बुलाया। लगभग तीन घन्टे बाद सोनू थाने आया था। वह मुस्कुरा रहा था। दरोगा यतेंद्र सिंह ने बैठकर बातचीत कर लेने की बात कही। वह हम पर लगातार दबाव बना रहे थे और सुलहनामा करवा दिया।"
द मूकनायक के हाथ ऐसा लैटर लगा है जिसमें हैदरगढ़ पुलिस ने नाबालिग किशोरी के साथ हुई रेप की घटना को मामूली व्हाट्सएप चैट का विवाद दिखा दिया। इस मामले को दिखाकर दरोगा ने दोनों पक्षों में सुलह करा दी। पीड़ित परिवार का कहना है-10 जून को जब पुलिस ने इस मामले में सुलह करा दिया तो सोनू शाम को तेज रफ्तार से गाड़ी लेकर गांव आया। वह बहुत हंस रहा था और मजाक उड़ा रहा था। वह कह रहा था थाने में 40 हजार रुपये दिए हैं। मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा। वह लगातार तीन-चार दिनों तक तरह-तरह से हमे बेइज्जत करने की कोशिश कर रहा था।'
पीड़िता की मां ने बताया-'हम पूरे मामले की शिकायत को लेकर 15 जून को एसपी कार्यालय बाराबंकी गए थे। लेकिन एसपी साहब नहीं मिले। हम अगले दिन यानी 16 जून को फिर से एसपी कार्यालय गए और मामले की शिकायत की। जिसके बाद एफआईआर दर्ज करने के आदेश हुए।'
पीड़िता की मां बताती है-"17 जून की सुबह मैं मेरा देवर और बेटी सुबह 10 बजे थाने पहुंच गए। हमने कुछ खाया-पिया नहीं था। पुलिस फाईल तैयार होने की बात कहती रही। शाम 4 बज गए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 4 बजे के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। लगभग 5 बजे पुलिस मेरी बेटी को मेडिकल के लिए ले गई। इस दौरान महिला कांस्टेबल मनीषा और एक अन्य महिला कांस्टेबल ने हमें धमकाया कि-"बेटी के साथ यह सब घटना हुई है,चुप क्यों नहीं बैठ जाती। समाज मे बदनामी होगी। बेटी की शादी नहीं होगी। मुकदमें के चक्कर मे मत पड़ो। शिकायत वापस ले लो।" लेकिन हम नहीं माने और एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहते रहे। जिसके बाद रात लगभग 9 बजे मुकदमा दर्ज हुआ।
मुकदमा दर्ज होने से पहले भी पुकिसकर्मियो ने हमे खूब धमकाया औऱ शिकायत लेना का दबाव बनाया। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने हमसे संपर्क नहीं किया। पुलिस कह रही थी कि एक दिन बाराबंकी जाना पड़ेगा बयान दर्ज कराने के लिए,इसके लिए पुलिस द्वारा फोन करके जानकारी देने की बात कही गई थी।" 16 जून को पीड़ित मां ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत की, जिनके आदेश पर 17 जून को मुकदमा लिखा गया, लेकिन हीलाहवाली का क्रम जारी रहा। इसके बाद भी पुलिस पीड़िता को मेडिकल परीक्षण के लिए दौड़ाती रही और आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। इससे किशोरी इतना परेशान हो गई कि 22 जून की सुबह उसने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी।
घटना की सूचना पर सीओ जेएन अस्थाना, कोतवाल लालचंद सरोज सहित सर्किल के सभी थानों की पुलिस पहुंची। नाराज परिवारजन ने पुलिस को शव देने से मना कर दिया। एसपी ने भी घटना स्थल का जायजा लिया और परिवारजन को विश्वास में लेकर शव पोस्टमार्टम के भेजा।
परिवारजन पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं, जबकि पुलिस ने आरोपी सोनू पर ही आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज किया है। एसपी ने बताया कि आरोपी हिरासत में है। विवेचना में लापरवाही के आरोप में विवेचक योगेंद्र प्रताप सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
इस मामले में अफवाह उड़ रही है कि युवक और नाबालिग में सम्बन्ध थे। दोनों में बातचीत होती थी। इस दौरान युवक ने नाबालिग किशोरी से सम्बंध बनाकर वीडियो बना लिए और वायरल करने की धमकी दे रहा था। इस मामले में द मूकनायक के प्रतिनिधि ने पड़ताल करते हुए जांच अधिकारी इंस्पेक्टर लाल चंद सरोज से बात की। लाल चंद सरोज ने द मूकनायक के प्रतिनिधि को बताया-"जांच में ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है। आरोपी युवक लंबे समय से नाबालिग किशोरी को परेशान कर रहा था। दोनों में कोई सम्बन्ध नहीं था।'
यूपी में लगभग एक महीने के भीतर ही 5 लोगों ने पुलिस की जबरन दबाव बनाने वाली कार्यप्रणाली से तंग आकर जान दी। इसमें पीलीभीत और उरई में रेप पीड़िताओं के पिता ने बहराइच और बाराबंकी में रेप पीड़िताओं ने और लखनऊ में यूपीएससी छात्र ने पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर आत्महत्या की।
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