उत्तर प्रदेश: बरेली जिले के देवरानियां थाना क्षेत्र के बैकर नंदा गांव में 8 अप्रैल को संदिग्ध परिस्थितियों में लगी आग की चपेट में आने से एक दलित दिव्यांग व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो गई. हालांकि, आग लगने के कारण का अभी भी पता नहीं चल सका है. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.
बाल्मीकि समाज से आने वाले मृतक पप्पू (34) बैकर शाहपुर में ग्राम प्रधान जितेंद्र गंगवार के यहां चौकीदारी का काम करते थे। कथित रूप से ग्राम प्रधान ने अपने गांव के बाहर ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा कर रखा था, जिसकी रखवाली की जिम्मेदारी प्रधान ने पप्पू को सौंपा था. इस जमीन को लेकर विवाद भी चल रहा है. मृतक उस दिन उसी जमीन की रखवाली के लिए वहां बनी झोपड़ी में सो रहा था। रात करीब 9:30 बजे उस झोपड़ी में आग लग गई, और देखते ही देखते उसमें सो रहे पप्पू जलकर राख हो गए.
ग्रामवासियों के अनुसार पप्पू विकलांग थे. मृतक के परिजनों में से उनके बड़े भाई कुलदीप ने द मूकनायक को बताया कि "हमें इस घटना को लेकर किसी पर कोई शक नहीं है. हम किसी तरह की कार्यवाई नहीं चाहते हैं. पुलिस अपना काम ठीक से कर रही हैं."
मृतक धर्मपाल उर्फ़ पप्पू की दर्दनाक मौत के बाद उनके 3 बच्चों - 2 बेटे और एक बेटी के बेसहारा हो गए. पुलिस ने पप्पू के शव को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. हालांकि, अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है.
मामले पर द मूकनायक ने क्षेत्राधिकारी अरुण कुमार सिंह से बात की. उन्होंने कहा कि "मृतक के परिजन इस मामले पर कोई कार्यवाई नहीं चाहते हैं. उन्होंने कोई शिकायत भी नहीं की है. वह पुर्णतः संतुष्ट हैं."
जबकि भीम आर्मी के पदाधिकारी मामले में संदेह जता रहे हैं. उनका कहना है कि इसके पीछे किसी की साजिश हो सकती है.
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