यूपी: 'पिता जूता फैक्ट्री में चमड़े का काम करते हैं, विवि प्रशासन ने की जातिसूचक टिप्पणी', दलित छात्रा का आरोप

आहात दलित छात्रा ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांगी ईच्छा मृत्यु, विवि प्रशासन पर धमकाने का आरोप. आरोप है कि छात्रवृत्ति फार्म में विवि ने गलत जानकारी भेजी जिससे छात्रवृत्ति रुक गई.
पीड़ित दलित छात्रा
पीड़ित दलित छात्रा
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उत्तर प्रदेश। कानपुर विवि प्रशासन पर एक दलित छात्रा ने उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। छात्रा के मुताबिक उसने छात्रवृत्ति फार्म भरा था। छात्रवृत्ति फार्म में विवि प्रशासन द्वारा गलतियां कर दी गई। जिसके बाद नाराज छात्रों ने विवि में हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान छात्रा भी उन छात्रों के साथ शामिल थी। जिसके बाद कोर्स के विभागाध्यक्ष ने उसे ऑफिस में फटकार लगाई।

जब विवि प्रशासन के अधिकारी द्वारा परिजनों के बारे में पूछा गया तो छात्रा ने बताया कि उसके पिता जूता बनाने की फैक्ट्री में चमड़े का काम करते हैं। इस पर विवि प्रशासन ने पिता पर जातिसूचक अभद्र टिप्पणी की। छात्रा ने इसकी शिकायत वीसी से की है। आरोप है कि वीसी से शिकायत के बाद छात्रा को भी जातिसूचक गालियां दी गई। जिसे लेकर छात्रा ने थाने में तहरीर दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

छात्रा का आरोप है कि अब उसे विवि प्रशासन द्वारा लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। इस मामले में छात्रा ने राष्ट्रपति को एक लिखित पत्र देकर ईच्छा मृत्यु की मांग की है।

पूरा मामला कानपुर जिले के छत्रपति साहू जी महाराज विवि का है। छात्रा ने द मूकनायक को बताया कि, "मैं बीबीए की छात्रा हूँ। मैं अनसूचित जाति समाज से आती हूँ। मैंने छात्रवृत्ति का फार्म भरा था। प्रशासन ने गलत फार्म भर दिया गया। ऐसे लगभग 700 लोगों के फार्म गलत हुए थे। इसे लेकर सभी छात्र प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान वहां कुछ प्रोफेसर आकर हम पर दबाव डालने लगे। राघवेंद्र सिंह सर वहां आये और मेरा फोन छीन लिया। मुझे धक्का देकर गिरा दिया। प्रवीण सर और नवीन सर ने मुझे जातिसूचक शब्द कहे। मौके पर पुलिस आई और हम सब में सुलहनामा हो गया। सभी छात्र वापस चले गए।"

छात्रा ने आरोप लगाते हुए बताया कि, "दूसरे दिन अंशु यादव मैंम का मेरे पास फोन आया। उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और आंदोलन में जो कुछ भी मैंने कहा उसके लिए माफ़ी मांगने के लिए दबाव बनाया। मुझे जेल भेजने की धमकी दी। मैंम का कहना था वह हमारा करियर बर्बाद कर देंगी। हमारी डिग्री को लेकर हमे डराया गया। इस दौरान केबिन में मौजूद सुधांशु पांडेय सर ने मेरा फोन छीना लिया और बदतमीजी की। ऑफिस में मुझे मेरे पिता के काम के बारे में पूछा गया। मैंने उन्हें बताया कि मेरे पिता जूता फैक्ट्री में चमड़े का काम करते हैं, इस पर उन्होंने मेरे पिता को जातिसूचक शब्द कहते हुए अपमानित किया।"

इस मामले में छात्रा ने पुलिस आयुक्त को लिखित तहरीर देकर शिकायत की है। हालांकि, मामले में अभी तक कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं हो सका है। कार्रवाई न होने के कारण छात्रा ने वीडियो जारी कर ईच्छा मृत्यु की मांग की है।

घटना पर द मूकनायक ने कानपुर विवि के कुलपति विनय पाठक से बातचीत की। विनय पाठक ने ऐसी किसी भी घटना होने से अनभिग्यता जताते हुए चीफ प्रॉक्टर से बातचीत करने की बात कही।

दो जांच समिति का हुआ गठन

इस मामले में चीफ प्रॉक्टर प्रवीण ने द मूकनायक को बताया कि, "विवि प्रशासन दो मामलों में जांच समिति गठित की है। पहली जांच समिति बिना अनुमति धरना प्रदर्शन करने की है। जबकि दूसरी कमेटी छात्र और प्रोफेसरों के बीच हुए विवाद की जांच कर रही है। छात्र-छात्राओं को उनके ब्यान दर्ज करने के लिए बुलाया जा रहा है। लेकिन कोई भी नहीं आ रहा है। छात्रा द्वारा लगाए गए आरोपों के संबंध में विवि प्रशासन को कोई शिकायती पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।"

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