लखनऊ। यूपी के उन्नाव जिले के एसपी कार्यालय में दो दिन पहले खुद पर पेट्रोल डाल आग लगाने वाले दलित युवक की लखनऊ केजीएमयू में इलाज के दौरान देर रात मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद देर शाम शव गांव ले जाया गया। बेटे की मौत को लेकर पिता और परिजन पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। गांव में भारी पुलिस जाप्ता तैनात है।
गौरतलब है कि एसपी कार्यालय में गत बुधवार दोपहर पुरवा कोतवाली क्षेत्र के भूलेमऊ गांव के रहने वाला श्रीचंद पासी ने खुद पर पेट्रोल डाल आग लगा ली थी। उसे उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। डॉक्टरों ने हालत गंभीर देखते हुए लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल रेफर कर दिया था। अस्पताल में डॉक्टरों ने उपचार करने के साथ ही ऑपरेशन कर गले में नली डाल दी थी, जिससे वह कुछ खा सके। 38 घंटे तक चले उपचार के बाद श्रीचंद मौत हो गई। मौत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। पिता समेत अन्य लोगों ने पुरवा पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। इधर, पुलिस महकमे में अलर्ट जारी हो गया है। गांव में घर के बाहर पहले से ही पुलिस फोर्स तैनात है।
दरअसल, उन्नाव जिले के पुरवा कोतवाली क्षेत्र में स्थित भूले मऊ गांव निवासी श्रीचन्द्र का आरोप है कि प्रभावशाली लोगों ने जमीन विवाद में मारपीट की थी। इस मामले में पीड़ित ने 18 अक्टूबर को अपने पड़ोसी मुनीरस, साबिर, अनीस, मुमताज और सबीहा के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट व संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। जांच के दौरान पुरवी के सर्कल अधिकारी दीपक सिंह ने दो लोगों के नाम एफआईआर से हटा दिए क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। इस बात से नाराज फरियादी कंबल लपेटकर एसपी कार्यालय पहुंच गया। यहां उसने सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। फिर पेट्रोल छिड़क कर खुद को आग के हवाले कर दिया। फरियादी को जलते देख मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी ने किसी तरह आग बुझाई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया। डीएम अपूर्वा दुबे समेत अन्य आला अधिकारी भी अस्पताल पहुंचकर फरीयादी से मुलाकात कर न्याय का आश्वासन दिया था।
पीड़ित ने पूर्व सीओ दीपक सिंह पर आरोप लगाया था कि उन्होंने जांच के दौरान आरोपियों से रुपया लेकर उनके नाम एससी/एसटी के मामले से हटा दिए थे। पीड़ित ने कई बार पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों से शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई थी। इस वजह से उसने आग लगाई।
घटना के बाद आईजी रेंज लखनऊ तरुण गाबा पहले पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे थे और घटनास्थल का जायजा लिया था। उसके बाद पीड़ित के घर पहुंच कर उनके परिजनों से मारपीट से संबंधित पूरी जानकारी हासिल की थी। आईजी ने परिजनों को आश्वासन दिया था कि मामले की दोबारा जांच होगी। फिलहाल उसकी मौत के बाद परिजनों में गुस्सा है।
गौरतलब है कि बलरामपुर जिले में बीते अक्टूबर गैड़ास बुजुर्ग के पुरवे धोबहा निवासी 35 वर्षीय रामबुझारत पुत्र किन्नू का थाने के बगल मौजूद जमीन को लेकर विवाद था। युवक का आरोप था कि पुलिसकर्मी जबरन उसकी जमीन पर कब्जा कर रहे थे। उसने मामले की शिकायत डीएम एसपी सहित उच्चाधिकारियों से की थी। जब उसकी इस मामले में सुनवाई नहीं हुई तब उसने सोशल मीडिया पर लाइव होने के बाद स्थानीय थाने व प्रशासन पर सहयोग न करने का आरोप लगाते हुए खुद को पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.