उत्तर प्रदेश। सीतापुर जिले में पांच दलित परिवार अब खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। इन परिवारों में छोटे बच्चों सहित पूरा परिवार शामिल हैं। बीते 10 फरवरी को जिला प्रशासन द्वारा इन पांच परिवारों के मकान तोड़ दिए गए। प्रशासन का दावा है कि यह सभी मकान तालाब की जमीन पर बने थे। वहीं दलित परिवार का दावा है कि यह उनकी पुश्तैनी जमीन है। इस जमीन पर उन्हें घर बनाने के लिए प्रधानमंत्री आवास और इंदिरा आवास योजना के तहत राशि जारी हुई थी। यह परिवार अब प्रधानमंत्री आवास योजना के कागजों को लेकर दर-बदर अधिकारियों और मंत्रियों के आवास के चक्कर काट रहे हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास मिलना एक जटिल प्रक्रिया है, जो कई जांचो से होकर गुजरता है। हालांकि, सरकारी योजनाओं में जमीन संबंधित जांच प्रक्रिया को जिलाधिकारी ने नकारा है। जिलाधिकारी ने कहा है यदि इन परिवारों के पास जगह नहीं है तो इन्हें घर बनाने के लिए पट्टे पर जमीन आवंटित की जायेगी।
सीतापुर जिले की महोली तहसील के हथोरी गांव में यह पांच घर मौजूद थे। अब इन घरों के स्थान पर ईंट और मलबा ही बचा है। इन घरों में रहने वाले लोग अब खुले आसमान में अपने परिवार के साथ सड़क पर रहने को मजबूर हैं। जिला प्रशासन ने यहां पर बने पांच मकानों को अवैध बताते हुए बीते 10 फरवरी को भारी पुलिस बल के बीच बुल्डोजर से गिरा दिया गया।
जब मकानों पर बुल्डोजर चल रहा था तब इन परिवारों की महिलाएं सड़क के एक किनारे पुलिस के पहरे में चीख-चीख कर रो रही थी। देखते ही देखते पूरा मकान भरभरा कर मलबे और ईंटों में तब्दील हो गया। यह मकान विनोद, छूटई, रामनरेश, परसादी, तमराध्वज के थे।
टूटे हुए मकानों में से एक के निवासी विनोद, द मूकनायक को अपनी पीड़ा बताते हुए कहते हैं कि, "यह मेरे लिए पुश्तैनी जगह है। मैं पिछले 40-45 वर्षों से इसी गांव में इसी जमीन पर रह रहा हूँ। मेरे बड़े भाई की उम्र भी 60-65 के करीब है। मेरे बाप-दादा भी यही रहते थे। इसी जमीन पर हमें प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में वर्ष 2014 में आवास निर्माण के लिए राशि भी आवंटित हुई थी। 24 जनवरी 2024 को तहसीलदार, लेखपाल और पुलिस प्रशासन ने बिना कोई नोटिस दिये ही हमारे मकान को गिरा दिए। घर का कोई सदस्य घर पर नहीं था। हम सभी लोग लखीमपुर में मजदूरी करने के लिए गए थे। शाम को जब घर वापस आया तो मेरा घर गिराए जाने की जानकारी मिली। अब मैं सपरिवार इतनी भीषण सर्दी में सड़क पर रहने को मजबूर हूँ." विनोद जैसे ही अन्य चारों की भी यही पीड़ा है।
इस मामले में पांचो दलित परिवार नगर विकास मंत्री राकेश राठौर के पास पहुंचे। जिसके बाद नगर विकास मंत्री राकेश राठौर गुरु ने नाराजगी जाहिर करते हुए 7 फरवरी को जिलाधिकारी को पत्र लिखा। नगर विकास मंत्री ने प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने के लिए आदेश दिये। आरोप है कि मंत्री का लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिसके बाद जिला प्रसाशन ने अगले दिन ही दल-बल के साथ पहुंचकर पांचो मकानों को जमींदोज कर दिया।
प्रशासन का दावा है कि पांचो मकानों को न्यायालय के आदेश पर गिराया गया है। ऐलिया विकास खंड क्षेत्र के हथूरी में छोटई का मकान तालाब की जमीन पर बना था। कई वर्षों से छोटई का परिवार यहां निवास कर रहा था। इसके अलावा सर्वेश, सियाराम, राम प्रकाश तथा नोखे ने खेल मैदान की जमीन पर आवास बना लिया था। इन्हें वर्ष 2018 में बेदखली की नोटिस दी गई थी। इसके बाद भी यह सभी लोग वहीं पर निवास करते रहे। गांव के नंदलाल ने इन अवैध कब्जेदारों की शिकायत करते हुए हाईकोर्ट से इंसाफ की गुहार लगाई थी। न्यायालय ने महोली तहसील प्रशासन को अवैध कब्जे हटवाए जाने का आदेश दिया था।
सीतापुर जिले के जिलाधिकारी अनुज सिंह ने द मूकनायक को बताया कि, "यह कार्रवाई कोर्ट के आदेश पर हुई थी। इस मामले में एक व्यक्ति ने कोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई थी। कोर्ट से एफिडेविट माँगा गया था कि अवैध कब्जा हटाया गया या नहीं। यह जमीन तालाब की थी। ऐसे निर्माण तालाब के आस-पास की जमीन पर अक्सर हो जाते हैं। इसके साथ ही किसी भी जमीन पर सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने से पहले लाभार्थी को सुनिश्चित करना होता है कि उक्त जमीन सरकारी तो नहीं। योजनाओं का लाभ मिलने की प्रक्रिया ब्लॉक स्तर पर होती है। ऐसे में जमीन की हर बार जाँच करा पाना असम्भव है। चूँकि यह निर्माण तालाब पर था, ऐसे में तालाब की जमीन को किसी के नाम आवंटित नहीं किया जा सकता। यदि इन लोगों के पास जमीनें नहीं हैं तो नवीन परती देखकर इन परिवारों के नाम पट्टा किया जायेगा। जिसके बाद इनके आवास भी बन जायेंगे।"
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