मोटरसाइकिल डायरीज कह रही दलित प्रताड़ना की अनकही कहानियां

मधुसूदन अपने युवा साथियों के साथ मोटरसाइकिल डायरीज के लिए रैली में
मधुसूदन अपने युवा साथियों के साथ मोटरसाइकिल डायरीज के लिए रैली मेंफोटो- द मूकनायक
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उड़ीसा के कुछ जागरूक दलित युवा मोटरसाइकिल रैली निकाल कर दलित उत्पीड़न की कहानियों का संग्रह कर रहे हैं, जिसे मोटरसाइकिल डायरीज नाम से संग्रहित किया जा रहा है। इस यात्रा में युवा विभिन्न परेशानियों से जूझ रहे दलित आदिवासी समाज के लोगों की हरसंभव मदद भी कर रहे हैं। मोटरसाइकिल यात्रा का आगाज बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर हुआ। इस मोटरसाइकिल यात्रा को दलित सामाजिक कार्यकर्ता मधुसूदन ने स्व. कांशीराम की साइकिल यात्रा से प्रेरित होकर शुरू किया है। इस यात्रा में अब तक 1100 किमी की दूरी तय की जा चुकी है। दलित संगठन तीन दिन में एक गांव के लोगों से जनसम्पर्क कर रहे हैं। यह यात्रा ’मोटरसाइकिल डायरीज-एक अनकही गाथा’ के नाम से चर्चा में है। मधुसूदन ने बताया कि रैली का मुख्य उद्देश्य दलित समाज के लोगों पर हो रहे जातीय भेदभाव सहित उन्हें होने वाली विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए की जा रही है।

उड़ीसा राज्य में ब्रम्हपुर जिला पड़ता है। इस जिले में लांजीपुली क्षेत्र में अम्बेडकर नगर गांव आता है। 6 दिसम्बर 2022 को मधुसूदन जोकि एक चर्चित दलित कार्यकर्ता और समाजसेवी हैं, उन्होंने बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर इसे इस गांव से शुरू किया है। यह यात्रा 14 अप्रैल 2023 तक करने का उद्देश्य है।

मोटरसाइकिल रैली के दौरान दलित ग्रामीण लोगों से मिलाकर उनकी समस्याओं को जानते हुए
मोटरसाइकिल रैली के दौरान दलित ग्रामीण लोगों से मिलाकर उनकी समस्याओं को जानते हुएफोटो- द मूकनायक

मोटरसाइकिल पर निकाली जा रही जनसम्पर्क यात्रा

मधुसूदन ने यह यात्रा 35 लोगों के साथ मोटरसाइकिल पर शुरू की है। उनका कहना है स्व. कांशीराम ने साइकिल पर यात्रा निकालकर दलित समाज के लोगों को जोड़ा था। उनकी समस्या का समाधान किया था। उन्ही से प्रभावित होकर उन्होंने यह यात्रा शुरू की है।

1100 किमी की यात्रा पूरी हुई

मधुसूदन बताते हैं कि, "हमने अपने 35 साथियों के साथ अभी तक 1100 किमी की यात्रा तय की है। हम अभी पास के गांवों में जाकर दलित, शोषित और वंचितों से मिलकर उनकी आवाज उठा रहे हैं।"

12 गांवों में लगभग 3 हजार लोगों से किया सम्पर्क

मधसूदन बताते हैं कि, "अभी हम आस-पास के गांव तक ही जा रहे हैं। इस दौरान हमने कुल 12 गांवों में लोगों से मुलाकात की है। इन 12 गांवों में लगभग 3 हजार लोगों से सीधा संपर्क स्थापित किया है। पूरी यात्रा के अभी 19 दिन ही हुए हैं।"

दलित पीड़ितों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनते हुए और उनकी समस्याओं को निस्तारित करने का प्रयास करते हुए
दलित पीड़ितों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनते हुए और उनकी समस्याओं को निस्तारित करने का प्रयास करते हुए Photo- द मूकनायक

समस्याओं के निस्तारण पर फोकस

मधुसूदन बताते हैं कि, "हम दलित, पिछड़े, शोषित, वंचित और महिलाओं से सम्पर्क कर रहे हैं। हम उनकी दर्द और पीड़ाओं को घर-घर जाकर सुन रहे हैं। हम संगठित होकर उनकी समस्याओं को उठाने के साथ ही प्रशासन के जरिए उनकी समस्याओं के निराकरण की भी पूर्ण कोशिश कर रहे हैं।"

जानिए कब तक चलेगी यात्रा

मधसूदन बताते हैं कि, "हमने यह यात्रा डॉ. भीमराव अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस यानी 6 दिसम्बर 2022 को शुरू की थी। आज इसके 20 दिन पूरे हो चुके हैं। यह यात्रा आगामी 14 अप्रैल 2023 यानी डॉ, भीमराव अंबेडकर की जयंती पर खत्म होगी। इस यात्रा के जरिए हम हर एक गांव में जाकर लोगों से जन सम्पर्क और जन जागरण करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य प्रत्येक गांव की आधी आबादी से सीधे मिलकर उन्हें उनके अधिकार बताने के साथ उनकी समस्याओं को हल करना है।"

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