दलित दुकानदार से कहा-तुम यहां दुकान लगाओगे तो हम क्या करेंगे

कोटा के बपावर थाना क्षेत्र के एक मंदिर के बाहर पूजा सामग्री बेचने वाले मेघवाल जाति के व्यक्ति को जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर कुछ लोगांे ने दुकान तोड़ी
दलित दुकानदार की तोड़ी गई दुकान
दलित दुकानदार की तोड़ी गई दुकानPhoto : Abdul Mahir
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जयपुर। राजस्थान में दलित अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कहीं मूंछ रखने पर तो कहीं घोड़ी चढ़ने पर, पानी पीने के बहाने तो कभी किसी और बहाने से मारपीट व हत्या तक कर दी गई। अब नया मामला कोटा जिले के बपावर थाना क्षेत्र के लसेडि़या कला गांव से आया है। जहां मंदिर परिसर के बाहर पूजा सामग्री बेचने से दलित वर्ग से आने वाले 55 वर्षीय व्यक्ति को रोक दिया गया। इतना ही नहीं आरोपियों ने हनुमान मंदिर के बाहर पीडि़त रामप्रसाद मेघवाल की सप्ताह में प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को टेबल पर लगने वाली अस्थायी दुकान को भी तोड़ कर फेंक दिया। सामान बिखर गया। पीडि़त के बेटे ने विरोध किया तो आरोपियों ने जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए यहां तक कह दिया कि तुम्हारा यहां क्या काम है। यदि तुम मंदिर के बाहर दुकान लगाओगे तो हम क्या करेंगे। घटना के बाद पीडि़त ने बपावर थाने में मंदिर समिति अध्यक्ष सहित दो अन्य दुकानदारों को नामजद करते रिपोर्ट भी सौंपी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

यह है मामला

लसेडि़या कला गांव में स्थित लंकेश्वर हनुमान मंदिर के बाहर रामप्रसाद मेघवाल ने पूजा सामग्री बेचने के लिए अस्थायी दुकान लगा रखी है। पीडि़त रामप्रसाद मेघवाल ने द मूकनायक को बताया कि वह मंदिर के बाहर टेबल लगा कर पूजा का सामान बेचता है। इस परिसर में वह मेघवाल जाति का अकेला व्यक्ति है जो पूजा सामग्री बेचता है। उसके अलावा आधा दर्जन अन्य लोगों की भी दुकानंे हैं। 27 दिसम्बर को वह बपावर शहर में पूजा सामग्री लेने गया था। पीछे से मंदिर समिति अध्यक्ष नन्दकिशोर मेहता की सहमति से परिसर में पूजा सामग्री की दुकान लगाने वाले राधेश्याम सुमन व शांतिलाल मेहता ने प्रार्थी की दुकान को तोड़ कर फेंक दिया। 

पीडि़त के पुत्र कृष्ण मुरारी मेघवाल ने बताया कि उनके पिता कोरोना संकट काल के समय से ही लंकेश्वर मंदिर के बाहर पूजा सामग्री बेच कर व मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। उसने बी.एड. कर रखा है। उसके पिता के साथ वह भी मजदूरी कर परिवार के लिए सहयोग करता है। उनके पास एक बीघा भी जमीन नहीं है। उनकी जाति के कारण ही उनकी दुकान मंदिर के बाहर से हटाई गई है। अब उसका परिवार बेरोजगार हो गया। 

मेघवाल जाति वाला पूजा सामग्री नहीं बेच सकता

भीम आर्मी भारत एकता मिशन के तहसील संयोजक बंटी रैगर ने द मूकनायक को बताया कि इस संबंध में एसडीएम को भी ज्ञापन सौंपकर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। बंटी कहते हैं कि एक तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जातीय भेदभाव नहीं करते हुए सभी के आंसू पोंछने के बात कर रहे हैं। दूसरी तर जाति के कारण रोजगार छीना जा रहा है। क्या दलित वर्ग के लोग पूजा सामग्री नहीं बेच सकते। यदि राजस्थान में ऐसा कानून है तो सरकार स्पष्ट करे। नहीं तो लसेडि़या कला में मेघवाल समाज के व्यक्ति की पूजा सामग्री की दुकान फेंकने वालांे को गिरफ्तार करे। बंटी रैगर ने कहा कि पुलिस एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के कहने पर पीडि़त परिवार पर राजीनामा करने का दबाव बना रही है। 


दलित दुकानदार की तोड़ी गई दुकान।
दलित दुकानदार की तोड़ी गई दुकान।Photo : Abdul Mahir

पूर्व में भी ऐसी घटना कर चुके आरोपी 

उपखण्ड अधिकारी सांगोद राजेश डागा ने कहा कि इस सम्बन्ध में कुछ लोग मेरे पास शिकायत लेकर आये थे। यह पुलिस जांच का विषय है कि उन्हें क्या बोला गया था। बाकी उनकी एक मांग यह भी थी कि समान हटाया जाए तो सबके हटाये जाए, नहीं तो किसी का भी नहीं हटाया जाए। हमने ग्राम पंचायत को निर्देश दे दिया है कि यदि अतिक्रमण हटाए जाएंगे तो सभी के हटाये जाएंगे। सभी पर एक समान कार्रवाई होगी। 

इस मामले में सांगोद के पुलिस उपाधीक्षक रामेश्वर से बात की तो उन्होंने खुद को किसी जांच के सिलसिले में बाहर होने की बात कहर सम्बन्धित एसएचओ से बात करने को कहा। बपावर थानाधिकारी रणजीत सिंह ने द मूकनायक को बताया कि मंदिर के बाहर काफी दुकानें हैं। रामप्रसाद मेघवाल की टेबल पर दुकान लगती है। मंदिर में काफी दर्शनार्थी आते हैं तो मंदिर वालों ने कुछ कहा होगा। इस सम्बंध में पीडि़त ने दुकान फेंकने व जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने के आरोप में रिपोर्ट दी है। मैंने मौके पर जाकर समझाइश भी की थी, लेकिन यह लोग नहीं माने। अब मुकदमा दर्ज कर रहे हैं। नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।

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