जयपुर। राजस्थान में बीते दिनों लागू किया गया अनुसूचित जाति व जनजाति विशेष विकास निधि अधिनियम-2022 (SC, ST, DEVELOPMENT ACT) क्या है? इस एक्ट को पूर्ण रूप से लागू कर राजस्थान सरकार दलित और आदिवासियों का विकास किस तरह करेगी? इसे लेकर दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन राजस्थान और दलित अधिकार केंद्र जयपुर संयुक्त रूप से जन जागरूकता अभियान चला कर इन समुदायों से आने वाले आमजन को जागरूक कर रहे हैं।
दौसा जिला मुख्यालय पर अनुसूचित जाति / जनजाति विशेष विकास निधि ( योजना, आवंटन, एवं वित्तीय संसाधनों का उपयोग) अधिनियम - 2022 पर 'जनता का बजट' नाम से कार्यशाला आयोजित कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों को जागरूक किया गया।
कार्यशाला में दलित और आदिवासी समाज से जुड़े कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होकर एक्ट की सत प्रतिशत क्रियान्विति को लेकर विमर्श किया।
दलित अधिकार केन्द्र के निदेशक सतीश कुमार ने एक्ट को दलित-अदिवासी जनता का बजट नाम दिया। उन्होंने कहा राजस्थान में आदिवासी और दलितों की जनसंख्या 30 प्रतिशत है। ऐसे में हमें विकास में भी 30 प्रतिशत हिस्सेदारी चाहिए। सतीश कुमार ने अधिनियम की पृष्ठ भूमि व कानून बनने तक के संघर्ष पर विस्तार से प्रकाश डाला।
दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन राजस्थान के राज्य समन्वयक एडवोकेट चंदा लाल बैरवा ने बताया कि राजस्थान सरकार ने हाल ही में एससी, एसटी डवलपमेंट एक्ट 2022 बनाया है।
बैरवा ने बताया, इस एक्ट के तहत एससी, एसटी जनसंख्या के अनुपात में प्रत्येक विभाग में इस समुदाय की विकास राशि के लिए स्पेशल अकाउंट खुलेगा। दलित, आदिवासी समुदाय के जनसंख्या अनुपात में विकास के लिए बजट आवंटित कर विकास पर खर्च किया जाएगा। उन्होंने कहा एक्ट के तहत इन समुदायों के लिए आवंटित बजट ना तो लेप्स होगा। ना ही अन्य मद में खर्च किया जा सकता है।
एडवोकेट चंदालाल बैरवा ने बताया कि एससी, एसटी डवलपमेंट एक्ट 2022 के तहत सत्र 2023- 24 में राज्य के सभी विभागों में एक-एक हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
उन्होंने कहा हम इसी एक्ट को लेकर दलित और अदिवासी समुदाय के लोगो को जागरूक कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि एक्ट के तहत आवंटित बजट की पूर्ण क्रियान्विति हो। इस एक्ट के तहत राजस्थान के दलितों और आदिवासियों की स्थिति में परिवर्तन आएगा।
दलित अधिकार केन्द्र जयपुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हेमन्त कुमार मीमरौठ ने बैठक में कहा कि दलित व आदिवासियों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति सदियों से बहुत कमजोर रही है। इन समुदायों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति कमजोर होने के कारण से विकास की मुख्य धारा में नहीं जुड़ पाए।
दलित व आदिवासियों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए उक्त एक्ट वर्ष 2022 में पास हुआ। अब इसके कानूनी नियम बनने जा रहे हैं।
बैठक में मौजूद दलित, आदिवासी सामाजिक प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा हमारा प्रयास यह रहे कि कानून आपके सहयोग व आपसी चर्चा व विचार विमर्श से ऐसे बने ताकि दलितों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
बैठक के द्वित्तीय सत्र में चर्चा में दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन राजस्थान के राज्य समन्वयक एडवोकेट चन्दा लाल बैरवा ने कहा कि जब तक दलित व आदिवासी समुदाय के लोग जागरूक होकर अपने अधिकारों की मांग नहीं करेंगे तब तक कानून बनने से कुछ नहीं होगा। क्योंकि कानून कितना ही अच्छा बना ले जब तक उसकी पालना करने वाले अधिकारी, कर्मचारी ईमानदार व संवेदनशील नहीं होंगे कानून व्यर्थ है। उन्होंने कहा हमारा यह साझा प्रयास होना चाहिए कि कानून भी प्रभावी बने और इसकी प्रभावी रूप से पालना भी हो।
उन्होंने कहा देखा गया है कि सरकार कानून बना देती है, लेकिन उसकी ईमानदारी से पालना नहीं होती। दलित व आदिवासियों की जनसंख्या 30 प्रतिशत है। कानून में जनसंख्या के अनुपात में बजट आवंटित करने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा हमारी मांग है सौ में से तीस हक हमारा।
शकील कुरेशी ने कहा कि यह कानून दलित, आदिवासियों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए बहुत अच्छा है। इसके प्रभावी नियम बनाने की जरूरत है। ताकि कानून की सार्थकता साबित हो सके।
दौसा जिला मुख्यालय पर हुई बैठक में शामिल दलित, आदिवासी और अन्य सामाजिक संगठनों ने एससी, एसटी डवलपमेंट एक्ट 2022 प्रभावी बनाने के लिए अलग-अलग सुझाव भी दिए। इनमें कानून की पालना करने के लिए अधिकारी/कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने। जनसंख्या अनुपात में बजट आवंटित कर पूरा इन्हीं समुदायों के विकास पर खर्च करने। अन्य मद में खर्च नहीं करने। आवंटित बजट और खर्च की नियमित मॉनिटरिंग करने।
इस अधिनियम के तहत बजट ग्राम पंचायत के स्तर पर कार्य करने वाले पांच विभागों को भी आवंटित करने। दलित व अदिवासियों को रोजगार, स्वरोजगार से जोड़ने व आर्थिक रूप से सक्षम करने के लिए कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित करने। उक्त योजना के तहत व्यक्तिगत लाभ, परिवारिक लाभ व समुदायिक लाभ की योजना विभागवार तैयार कर बजट आवंटित किया करने। दलित व आदिवासी महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए इन्हें रोजगार से जोड़ने। दलित, आदिवासियों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए इस योजना के तहत भूमि आवंटित करने। दलित व आदिवासियों के छात्र-छात्राओं को गुणवतापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए नवोदय विद्यालय की तर्ज पर अलग से विद्यालय खोलने। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दलित व आदिवासी छात्र-छात्राओं को निःशुल्क कोचिंग करने के लिए व्यवस्था करने। इस योजना के तहत बेरोजगारों को बिना गारंटी के ऋण उपलब्ध करवाने आदि प्रावधान किए गए है।
इस चर्चा व विचार विमर्श बैठक में दलित अधिकार केंद्र दौसा की जिला कोऑर्डिनेटर सुनीता देवी बैरवा, कश्मीरा सिंह, मीठा लाल जाटव, विनय कुमार, मधुकर मेनका, मुकेश महावर ने भी अपने विचार रखे।
दौसा जिले के विभिन्न ब्लॉकों से लगभग 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में द्रौपदी जोनवाल प्रेरक दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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