राजस्थान: राणासर दलित दोहरे हत्याकांड में चौथे दिन भी नहीं हुई आरोपियों की गिरफ्तारी, धरने पर बैठा सर्व समाज

एक बार फिर जाति के आधार पर न्याय के आरोपों से घिरे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सवाल आखिर दलित, आदिवासी व मुस्लिमों को न्याय के लिए सड़कों पर क्यों उतरना पड़ता है, जबकि दूसरे वर्ग के लोगों को मिल जाता है तत्काल न्याय?
धरनास्थल पर मौजूद सर्वसमाज के लोग
धरनास्थल पर मौजूद सर्वसमाज के लोग
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जयपुर। राजस्थान के नवसृजित डीडवाना-कुचामन जिले के राणासर में दलित दोहरा हत्याकांड पर शासन व प्रशासन कटघरे में है। पुलिस ने दलित चचेरे भाइयों की हत्या में शामिल बदमाशों की पहचान का दावा किया है। शिनाख्त के बावजूद खाकी की नाकामी बदमाशों को हौसला दे रही है। दावा यह भी किया गया कि अजमेर रेंज से तीस होनाहार अफसरों के नेतृत्व में लगभग पांच सौ पुलिसकर्मियों की टीमें बदमाशों की तलाश में घूम रही है, लेकिन यह दावे धरातल पर नजर नहीं आ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या राजस्थान की खाकी पर बदमाश भारी है या फिर राजनीतिक दबाव में बदमाशों का सह दी जा रही है। मांगे नहीं माने जाने से चौथे दिन भी कुचामन पुलिस थाने के बाहर धरना जारी है।

द मूकनायक ने पुलिस अधीक्षक प्रवीण कुमार नूनावत से आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर बात की, लेकिन एसपी ने फोन रिसीव करने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया।

राजस्थान सरकार पर जाति आधारित न्याय के आरोपों को फिर हवा

हत्यारोपियों की गिरफ्तारी में ढिलाई ने एक बार फिर राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर जाति व धर्म के आधार पर न्याय करने के आरोपों को हवा दी है। चार दिन से कुचामन पुलिस थाने के मुख्य द्वार पर धरना देकर बैठे सर्वसमाज के लोगों ने आरोप लगाया कि उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या होती है। यहां हत्यारोपी मुस्लिम होते हैं। नतीजतन मुख्यमंत्री खुद पीड़ित के घर पहुंच कर 24 घंटे में मृतक के दो बेटों को पचास-पचास लाख रुपए मुआवजा राशि देकर दोनों बेटों को सरकारी नौकरी देते हैं। आरोपी भी गिरफ्तार कर लिए जाते हैं।

दूसरी तरफ कुचामन में दो दलित चचेरे भाइयों की वाहनों से कुचल कर बेरहमी से हत्या कर दी गई। हत्यारोपियों की शिनाख्त भी कर ली गई। घटना को पांच दिन बीत गए। परिजन भूखे प्यासे कुचामन पुलिस थाने के सामने बैठ कर सरकार से न्याय मांग रहे हैं, लेकिन सरकार सुन नहीं रही। आरोप है कि यह जाति आधारित न्यायप्रणाली का ही नतीजा है कि दलितों को न्याय कि लिए धरने पर बैठना पड़ा। जबकि उदयपुर में बिना धरना प्रदर्शन के 24 घंटे में न्याय कर दिया गया। यहां ना तो पुलिस प्रशासन आरोपियों को गिरफ्तार कर रहा है। ना ही सरकार के मंत्री व विधायक पीड़ित परिवार के पास पहुंच कर उनका दर्द सुनने आया है। सत्ता में बैठे लोगों की दलितों के प्रति सोच कर अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।

बिना डिगे धरने पर डटे हुए हैं बहुजन संगठन के लोग
बिना डिगे धरने पर डटे हुए हैं बहुजन संगठन के लोग

यह गैर राजनीतिक धरना

दलित दोहरा हत्याकांड के सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर 29 अगस्त से कुचामन पुलिस थाने के सामने सर्वसमाज के लोग धरना देकर बैठे हैं। धरना स्थल पर सर्वसमाज के लोगों को शामिल करते हुए एक संघर्ष समिति का गठन भी किया गया है। पुलिस व प्रशासन से वार्ता के लिए संघर्ष समिति को अधिकृत किया गया है। यह बात अलग है कि धरना स्थल पर सामाजिक संगठनों के अलावा राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोग भी पहुंच रहे हैं। आजाद समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अलावा भाजपा के लोग भी धरनास्थल पहुंचे हैं। सत्ता पक्ष के लोग धरना स्थल तक नहीं पहुंचने से लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है।

अब न्याय के लिए भूख हड़ताल

चन्नीलाल मेघवाल और राजराम मेघवाल की हत्या को शुक्रवार को पांच दिन बीत गए, लेकिन पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया। पांच दिन से दोनों के शव कुचामन जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखे हैं। परिजन न्याय के लिए पुलिस थाने के बाहर धरना देकर बैठे हैं। आजाद समाज पार्टी डीडवाना-कुचामन जिलाध्यक्ष विक्रम जोया ने बताया कि पुलिस प्रशासन पीड़ित परिवारों की सभी मांगें नहीं मानता है तो अब मनजीत गांधी, सुरेन्द्र कलावत, सूरज मेघवाल पनवाड़ी, हीरालाल मेघवंशी, संपत काला, कमल फौजी, विनोद महाहीच, अक्षय मोहनपुरिया भूख हड़ताल पर बैठेंगे।

भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष रवि कुमार मेघवाल

भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष रवि कुमार मेघवाल ने कहा कि आजाद भारत में दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारा जा रहा है। सामांतवादी मानसिकता के लोग एससी, एसटी के लोगों को टारगेट कर जुल्म कर रहे हैं। जालौर के सुरणा में स्कूल में पानी के लिए मटकी छूने पर मौत के घाट उतार दिया गया। पाली में मूंछ रखने पर जितेन्द्र मेघवाल की हत्या कर दी गई। दलित, आदिवासियों की आवाज उठाने पर कार्तिक भील को मौत की नींद सुलाया गया। परिवार आज तक न्याय के लिए धरने पर बैठा है। यह सब घटनाएं इनकी जाति के कारण हुई हैं। इसी सामांती अत्याचार के खिलाफ हमारी लड़ाई है।

आजाद समाज पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष शोएब खान ने कहा कि राजस्थान में जनता ने जिसे जननायक बनाया था। आज इनके लिए खलनायक बन गए हैं। इन्द्र मेघवाल, जितेन्द्र मेघवाल, नासिर जुनैद, कार्तिक भील, मूसा उर्फ मौसम, सद्दाम हत्याकांड को उठाकर देख लो। कहीं भी किसी का इंसाफ नहीं मिल रहा है। जंगल राज है। कलक्टर-एसपी का घेराव करते हैं। खान ने कहा कि यह सरकार जात व धर्म के नाम पर अराजकता फैला रही है। इसी पर राजनीति करते हैं। हमें इस बात को समझाना होगा। संविधान खत्म हो रहा है। जात व धर्म से हट कर हमें संविधान और इंसानियत को बचाने के लिए लड़ना होगा।

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