चेन्नई/लखनऊ- जनप्रिय दलित नेता और तमिलनाडु बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रमुख के आर्मस्ट्रांग की नृशंस हत्या के बाद चेन्नई शहर सदमे में है। शुक्रवार रात से चेन्नई के राजीव गांधी राजकीय हॉस्पिटल के बाहर बसपा कार्यकर्ताओ और समर्थकों का जमावड़ा है जो रोड रोको , धरना प्रदर्शन आदि के जरिये इस घटना को लेकर अपना आक्रोश प्रकट कर रहे हैं।
पूनमल्ली हाई रोड पर ट्रैफिक जाम किया गया, बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने राजीव गांधी सरकारी अस्पताल के बाहर सड़क जाम कर दिया। वे मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
आर्मस्ट्रांग की शुक्रवार शाम पेरम्बूर स्थित उनके घर के बाहर छह अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी थी। घटना स्थल से स्थानीय पुलिस स्टेशन मात्र 100 मीटर की दूरी पर होना हमलावरों के बुलंद हौसले और तमिलनाडू में कानून व्यवस्था की बिगड़ी दशा को दर्शाती है।
आर्मस्ट्रांग पर तीन बाइकों पर आए हमलावरों ने हमला किया, जो ज़ोमैटो के लाल टी-शर्ट पहने डिलीवरी कर्मियों के वेश में थे। हमलावर हथियारों से लैस थे और पूर्व नियोजित योजना के तहत वारदात को अंजाम दिया गया।
द न्यूज़ मिनट के पत्रकार शब्बीर अहमद के अनुसार, चेन्नई पुलिस ने देर रात को हत्या के सिलसिले में हिस्ट्रीशीटर अर्कोट सुरेश के भाई अर्कोट बालू को सात अन्य लोगों के साथ कस्टडी में लिया गया है। अर्कोट सुरेश की पिछले साल चेन्नई के श्रीनिवासपुरम में हत्या कर दी गई थी। पुलिस को संदेह है कि यह बदला लेने के लिए की गई हत्या हो सकती है, और फिलहाल जाँच चल रही है।
आर्मस्ट्रांग, जिन्होंने अपना राजनीतिक जीवन एक पार्षद के रूप में शुरू किया था और कोलाथुर निर्वाचन क्षेत्र से मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के खिलाफ चुनाव लड़ा था, उत्तरी चेन्नई में, विशेष रूप से जमालिया, सेम्बियम और आसपास के क्षेत्रों में काफी प्रसिद्ध और प्रशंसित थे।
हालांकि उनका राजनीतिक जीवन उथल पुथल भरा रहा है और उनके विरुद्ध हत्या सहित 8 मुकदमे भी दर्ज थे जिनमे बाद में वे बरी हुए. सक्रिय राजनीति में आने के बाद उन्होंने सोशल वर्क में अपना पूरा ध्यान केन्द्रित किया और कई लोगों की सहायता करने के लिए जाने जाते हैं.
समर्थकों द्वारा अपने प्रिय नेता की क्रूर हत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन और सड़क रोको अभियान शनिवार को भी जारी रहा जिससे स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। प्रदर्शनकारियों ने आर्मस्ट्रांग की हत्या के लिए त्वरित कार्रवाई और न्याय की मांग की।
पुलिस को विभिन्न स्थानों पर एकत्रित भीड़ को नियंत्रित करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस वारदात के बाद से चीफ मिनिस्टर एमके स्टालिन पर विपक्ष के हमले तेज हो गए हैं और लोग उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट शेयर करके आर्मस्ट्रांग की हत्या की निंदा की।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा, "तमिलनाडु राज्य बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के अध्यक्ष श्री के. आर्मस्ट्रांग की चेन्नई स्थित उनके घर के बाहर की गई नृशंस हत्या अत्यंत निंदनीय और निन्दनीय है। पेशे से वकील, वे राज्य में दलितों की एक मज़बूत आवाज़ के रूप में जाने जाते थे। राज्य सरकार को दोषियों को सज़ा देनी चाहिए।" मायावती ने आगे लिखा , " इस अति-दुःखद व चिन्ताजनक घटना की गंभीरता आदि को देखते हुए कल सुबह (रविवार) मेरा चेन्नई जाकर श्री आर्मस्ट्रांग को श्रद्धा-सुमन अर्पित करने व उनके पीड़ित परिवार से मिलकर उन्हें सांत्वना देने का कार्यक्रम है। सभी शान्ति व्यवस्था बनाए रखें।"
यद्यपि बीएसपी का तमिलनाडु में सीमित प्रभाव था, लेकिन राज्य इकाई का नेतृत्व करने वाले आर्मस्ट्रांग स्थानीय मध्यस्थता और राजनीतिक सक्रियता में अपनी भागीदारी के लिए जाने जाते थे। अपनी राजनीतिक यात्रा के प्रारंभिक चरण के दौरान, आर्मस्ट्रांग मायावती के लिए चेन्नई में रैलियों का समन्वय करके एक्टिव पोलिटिक्स में आये और शहर में एक मान्यता प्राप्त दलित नेता बने।
उन्होंने अपना जीवन अंबेडकर की विचारधारा को फैलाने के क्रांतिकारी उद्देश्य के लिए समर्पित कर दिया था और तमिलनाडु में बौद्ध धर्म के प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
अंबेडकर के बौद्ध धर्म अपनाने की वर्षगांठ पर आर्मस्ट्रांग हर साल कई साथियों के साथ नागपुर आते थे और उन्होंने चेन्नई-पेरंबूर में अपने निवास के पास एक बौद्ध विहार भी स्थापित किया था। बौद्ध धर्म के प्रति आर्मस्ट्रांग की प्रतिबद्धता और उसमें एक वैकल्पिक सांस्कृतिक मार्ग के रूप में उनका विश्वास उनकी सक्रियता में गहराई से निहित था।
आर्मस्ट्रांग को शिक्षा और कानूनी पेशे में योगदान के लिए भी जाना जाता था। उन्होंने युवा वकीलों को तैयार करने और गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
आर्मस्ट्रांग के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को साँझा करते हुए दलित अधिकार कार्यकर्ता और लेखिका शालिन मारिया लॉरेंस 2018 में उनसे पहली मुलाकात को याद करती हैं, जब आर्मस्ट्रांग ने उन्हें भारतीय संविधान की प्रति उपहार में दी. शालिन कहती हैं वे तमिलनाडु के एकमात्र ऐसे दलित नेता और पार्टी अध्यक्ष थे जिन्होंने जातिवाद की जजीरों से खुद को आजाद किया और नवयान बौद्ध धर्म को अपनाया.
उन्होंने वंचित दलित युवाओं के लिए सांस्कृतिक समारोहों और शैक्षिक पहलों के माध्यम से इसके पुनरुद्धार के लिए अपने संसाधनों को समर्पित किया। एक कट्टर अंबेडकरवादी और समर्पित बौद्ध, आर्मस्ट्रांग ने तमिलनाडु में आरएसएस को साहसपूर्वक चुनौती दी और पारंपरिक वोट बैंक की राजनीति को हिलाकर रख देने वाली द्रविड़ जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध किया।
शालिन कहती हैं , " पिछले 15 सालों से आर्मस्ट्रांग अन्ना ने राज्य में नवयान बौद्ध धर्म के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने विहार बनवाए, नियमित रूप से बौद्ध सम्मेलन आयोजित किए, बौद्ध विवाह करवाए और बहुत से बच्चों को काउंटर कल्चर और अंबेडकरवाद की ओर आकर्षित किया। हर हफ़्ते आप बच्चों को सफ़ेद और सफ़ेद कपड़े पहनकर बौद्ध अनुष्ठानों का अभ्यास करने के लिए चेन्नई में उनके विहार में जाते हुए देख सकते हैं। उनके आस-पास हमेशा शांति रहती थी और यह बच्चों और यहाँ तक कि विभिन्न जातियों के बड़ों के लिए एक सुरक्षित जगह थी।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.