सिलईबड़ा गोलीकांड: क्या योगी सरकार की 'ठोक दो' नीति का पालन कर रहे थे एसडीएम और तहसीलदार ?-ग्राउंड रिपोर्ट

रामपुर की मिलक तहसील के सिलई बड़ा गांव में अम्बेडकर के बोर्ड को हटाने के लिए हुए विवाद में प्रशासन पर गोली चलाने का है आरोप, घटना में एक युवक की हो गई थी मौत, एसडीएम-तहसीलदार के गार्ड सहित 25 पर दर्ज है एफआईआर।
सिलईबड़ा गांव की वह जमीन और उस पर लगा हुआ आम्बेडकर की तस्वीर वाला बोर्ड.
सिलईबड़ा गांव की वह जमीन और उस पर लगा हुआ आम्बेडकर की तस्वीर वाला बोर्ड.The Mooknayak
Published on

रामपुर। सिलाई बड़ा गांव में प्रवेश करते ही एक खाली पड़ी जमीन के मध्य में नया बोर्ड लगा हुआ है। इस बोर्ड पर भारत रत्न संविधान निर्माता बाबा साहब की तस्वीर लगी हुई है। इस तस्वीर पर फूलों की माला चढ़ी है जो अब सूख चुकी है। यहां पुलिस ने क्राइम सीन को रस्सी से घेर रखा है, जिसपर पुलिस को डिस्टर्ब नहीं करने की चेतावनी लिखी है, सिलईबड़ा गोलीकांड के केन्द्र में मैदान की यह विवादित जमीन है, जिसमें एक दलित युवक की मौत हो गई थी। शेष गांव में पुलिस की मौजदूगी के अलावा सन्नाटा पसरा हुआ है।

घटना वाले दिन क्या हुआ था, पुलिस को गोली क्यों चलानी पड़ी, इसकी पड़ताल के लिए द मूकनायक की टीम उत्तर प्रदेश से लगभग 350 किमी दूर रामपुर जिले के मिलक तहसील के उस गांव पहुंची थी। यहां गत 27 फरवरी को बाबा साहब भीम राव आंबेडकर के बोर्ड लगाने को लेकर बवाल हुआ था। कई लोग घायल हुए और एक दसवीं के छात्र की गोली लगने से मौत हो गई थी।

सिलईबड़ा पुलिस चौकी।
सिलईबड़ा पुलिस चौकी।The Mooknayak

रामपुर जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर मिलक तहसील में बड़ा गांव स्थित है। इसका एक छोटा सा मजरा सिलईबड़ा है। इस गांव में लगभग चार हजार वोट वाली आबादी है। गांव दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक हिस्से में जाटव और मुस्लिम रहते हैं, जबकि दूसरे हिस्से में गंगवार समाज के लोग रहते हैं। गांव में लगभग 120 मकान जाटव (अनुसूचित जाति) परिवारों के हैं। इनकी संख्या लगभग 400 -500 के करीब है, जबकि 800 से 900 के करीब मुस्लिम लोग है। गंगवार समाज की आबादी लगभग 2400 के करीब है।

गांव में प्रवेश करते ही बाएं हाथ पर लगभग डेढ़ बीघा खाली जमीन पड़ी हुई है। इस जमीन पर भीम राव अम्बेडकर की तस्वीर वाला एक बोर्ड बीच में लगा हुआ है। इस जगह को पुलिस ने टेप लगाकर सील किया हुआ है। टेप के अंदर पुलिस अधिकारियों सहित फॉरेंसिक की टीम सीन रिक्रिएशन कर घटना से संबंधित साक्ष्य इकट्ठा करते हुए नजर आई। टीम आगे बढ़ी। गांव के अंदर भी जगह-जगह पुलिस के वाहन और पुलिसकर्मी मौजूद थे। पहला बायां मोड़ उस दलित युवक के घर जाता है, जिसने इस घटना में अपनी जान गंवा दी। टीम इसी मोड़ पर आगे बढ़ चली। रास्ते में शांति नाम की महिला मिली।

शांति बताती हैं- "इस जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं था। इस जमीन को प्रधान ने ही साफ कराया था। इसमें बाबा साहब की मूर्ति लगवा दी थी। उस दिन कोई बात नहीं हुई थी। इसके बाद गंगवार अचानक इसका विरोध करने लगे।"

महिला 27 फरवरी के दिन की घटना का जिक्र करते हुए बताती हैं-"पुलिस और एसडीएम बुलडोजर लेकर आए थे। वह बाबा साहब के बोर्ड को बुलडोजर से तोड़कर हटाना चाहते थे। गांव की सभी औरतें बाबा साहब के बोर्ड के चारों ओर बैठ गई थीं। जब महिलाएं नहीं हटी तो पुरुष पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज कर दिया।"

"भगदड़ मच गई। कुछ पुलिस वाले घर की छतों पर चढ़ गए थे। जब गांव के लोगों ने इसका विरोध किया तो एसडीएम ने गोली चलाने के आदेश दे दिए। तीन लोगों को गोली लगी है। एक 18 साल के लड़के को सिर में गोली लगी और वह वहीं खत्म हो गया।"-शांति ने कहा।  

महिला से बात करके टीम सदस्य मृतक युवक के घर की ओर बढ़ चले। उसके घर के बाहर कुछ लोग बैठे हुए थे। मातम वाले घर में रिश्तेदारों और विभिन्न पार्टियों के नेता और मंत्रियों का आना-जाना लगा हुआ है।

मृतक सोमेश के घर में मौजूद लोग।
मृतक सोमेश के घर में मौजूद लोग।The Mooknayak

घर के बाहर बैठे नंद किशोर मृतक युवक के चचेरे भाई हैं। नन्द किशोर पूरी घटना का जिक्र करते हुए बताते हैं- "हमारा पूरा गांव जाटव बिरादरी का है। गांव के शुरुआत में खाली पड़ी जिस जमीन को लेकर विवाद हुआ है, उस जमीन पर 40-50 साल पहले जाटवों के पट्टे हुआ करते थे। बाद में यह जमीन घूर (गोबर और कूड़ा फेंकने का स्थान) में बदल गई। पूरे गांव में जाटव बिरादरी के लोगों के घूर यहां डाले जाते थे।"

नंद किशोर ने आगे बताया- "22 जनवरी को जिसे दिन अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम था सभी जगह स्वच्छता अभियान चलाया गया। गांव के प्रधान ने भी इस घूरे को साफ करवाया। गांव के लोगों ने एक राय होकर इस पर बाब साहब की मूर्ति लगवाकर इसे पार्क बनाने का फैसला लिया। सभी की यही सोंच थी कि कूड़ा पड़ने से अच्छा इस जगह को साफ-सुथरा रखा जाए। इस पर गांव वालों की मदद से मिटटी डालकर इसे पटवाया भी गया। 22 जनवरी को सफाई के दो तीन दिन बाद इस पर बोर्ड भी लगा दिया गया। 10 -15 दिन तक इसे लेकर कोई विवाद नहीं हुआ।"  

"इस जमीन के आस-पास जाटव परिवार के लोग ही रहते हैं। गंगवार समाज इस जगह से 800 -900 मीटर दूर रहता है। इस बोर्ड को प्रधान को बनाकर लगाया गया था। वह भी ऐसा नहीं है कि इसे चोरी-छिपे लगाया गया हो। प्रधान की मौजूदगी में इसे दिन में पूरे विधि-विधान से लगाया गया था। इसके बाद गंगवार समाज के लोगों ने अचानक विरोध शुरू कर दिया।" -नंदकिशोर ने कहा।

गंगवार समाज ने की थी आपत्ति

गांव के गंगवार समाज ने बोर्ड को हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई थी। गंगवार समाज के लोगों ने डीएम, एसडीएम सहित कई मंत्रियों के पास जाकर इस बोर्ड को हटाने की मांग की थी। डीएम ने इस मामले में बोर्ड हटाने के आदेश दिए, जिसके बाद बीते 27 फरवरी को लेखपाल, कानूनगो और तहसीलदार बुलडोजर लेकर आए थे।

नंद किशोर ने बताया- "जब लोगों का विरोध शुरू हुआ तो पुलिस और एसडीएम भी आए थे। जेसीबी जैसे ही चला हमारे समाज की महिलाएं बोर्ड घेरकर बैठ गईं। एसडीएम साहब ने पहले लाठीचार्ज के आदेश दिए। हमारे समाज की महिलाओं ने विरोध किया तो एसडीएम ने गोली चलाने के आदेश दे दिए। इसमें मेरे भाई सोमेश के सिर में गोली लग गई। उसकी मौके पर मौत हो गई। गांव के पड़ोस के रहने वाले रईस पाल के पैर में दो गोली लगी हैं। बिट्टू नाम के व्यक्ति को गोली छूकर निकल गई थी। हाथ में इसके निशान अब तक मौजूद हैं। " 

घर के अंदर कुछ महिलाएं मृतक सोमेश की मां को घेरकर बैठी हुई थीं। सोमेश की मां कहती हैं- "मेरे बेटे का इसमें कोई कसूर नहीं था। वह दसवीं में पढ़ता था। बोर्ड की परीक्षा चल रही हैं। वह उस दिन गणित का पेपर देकर लौटा था। गांव की सभी महिलाएं बोर्ड हटाने का विरोध कर रही थीं। मैं कुछ देर के लिए घर आई थी। इतने में गोलियां चलने की आवाज आई। गांव में शोर होने लगा कि सोमेश को गोली लग गई है। मैं घर से उसके पास भागी। मेरी देवरानी उसे खींचकर लाई थीं। उसके सारे कपड़े खून से सने हुए था। मैंने उसे जाकर गोदी में ले लिया। उसकी मौत हो चुकी थी।"   

मृतक दलित छात्र सोमेश का एडमिट कार्ड.
मृतक दलित छात्र सोमेश का एडमिट कार्ड.The Mooknayak

क्या एसडीएम ने गोली चलाने के आदेश दिए?

उस दिन बोर्ड हटाने के लिए पुलिस सहित राजस्व की टीम मौके पर पहुंची थी। द मूकनायक टीम ने बारी-बारी मौके पर मौजूद सभी अधिकारियों से बातचीत की। इस गांव में लगभग 500 मीटर की दूरी पर मिलक थाने की सिलाई बड़ा पुलिस चौकी मौजूद है। इसके तत्कालीन चौकी इंचार्ज सुरेंद्र सिंह थे। सुरेंद्र ने इस घटना में नामजद अपराधी हैं। इसके साथ ही वह घटना के चश्मदीद भी हैं। टीम ने चौकी इंचार्ज सुरेंद्र सिंह से बातचीत की।

सुरेंद्र पूरे मामले को विस्तार में बताते हैं- "पुलिस की कोई भूमिका नहीं थी। पूरा मामला राजस्व से जुड़ा हुआ था। गांव की विवादित जमीन पर घूरे पड़े हुए थे। गांव के प्रधान ने बिना सूचना दिए इसे समतल कराया। इस पर बोर्ड लगवा दिया। मुझसे गंगवार समाज ने शिकायत की। कानून व्यवस्था की कोई समस्या नहीं थी। मैंने दोनों पक्षों को चौकी पर बुलाकर समझाया। चूंकि यह मामला राजस्व से जुड़ा था, इसलिए दोनों पक्षों को तहसील जाकर मामले को सुलझाने के लिए कहा। इसके बाद कोई मसला नहीं हुआ। मेरे बेटे की शादी थी। मैं छुट्टी पर चला गया था। इस बीच गंगवारों ने बोर्ड को लेकर विरोध किया था। जिसके बाद ड्यूटी पर तैनात उपनिरीक्षक भीम सेन ने दोनों पक्षों के शांतिभंग करने के चालान कर दिए। इनमे 24 लोग जाटव और 27 लोग गंगवार समुदाय से थे। "

घटना वाले दिन को बताते हुए सुरेंद्र कहते हैं-  "27 फरवरी को मैं ड्यूटी पर था। मेरी चौकी पर लेखपाल, कानूनगो और तहसीलदार आए थे। वह मुझसे मौके पर चलने के लिए कह रहे थे। मैं एक अन्य काम में व्यस्त था। मैंने इस काम को निपटा लेने के बाद थोड़ी देर में आने की बात कही। बाद में मेरे पास इंस्पेक्टर साहब का कॉल आया था। इस बोर्ड को हटवाने का आदेश आया था।"

मैं मौके पर पहुंचा। महिलाएं बोर्ड के पास इकट्ठा थीं। वहां लेखपाल, कानूनगो और तहसीलदार मौजूद थे। मैंने कानूनगो और तहसीलदार से कहा साहब इनसे बात करके इन्हे समझा-बुझा दो। वहां कोई समस्या नहीं थी। हम भी खड़े हुए थे। हम चार लोग थे। चार लोगों में इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता था। इसलिए मैंने तहसीलदार से एसडीएम साहब को बुलाने का अनुरोध किया।- सुरेन्द्र ने कहा।

मामले में एफआईआर की कॉपी।
मामले में एफआईआर की कॉपी।The Mooknayak

सुरेंद्र आगे बताते हैं- एक दिन पहले ही गंगवार लोग डीएम को एप्लीकेशन देकर आए थे। इसके बाद विवादित स्थल पर इंस्पेक्टर साहब, सीओ साहब आए थे। सब कुछ नॉर्मल था। महिलाएं शांतिपूर्वक थीं। अचानक बच्चों की तरफ से ईंट-पत्थर चलने लगे। इस पर पुलिसकर्मी पीछे हट गए। हालांकि गोली किसने चलाई सुरेंद्र इसका स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। उन्होंने कहा कि पुलिस ने फायर नहीं किया। हमारे पास 20 -20 राउंड थे। मेरी पिस्टल में 10 राउंड थे, हमने सभी जमा करा दिए हैं। जब यह फायरिंग हुई तो महिलाएं एक घायल युवक को पूर्व की तरफ से लेकर आईं और बोर्ड के पास रख दिया।  इस मामले में परिजनों की तहरीर पर गंगवार पक्ष के डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोगों सहित, चौकी इंचार्ज, एक सिपाही, तहसीलदार व एसडीम के गार्ड के खिलाफ पुलिस ने हत्या और एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया। मंडलायुक्त ने पूरे मामले में जांच के आदेश दिए हैं।

गंगवार समाज के लोगों ने क्या कहा

इस मामले को लेकर टीम ने गंगवार समाज के लोगों से भी बात की। टीम इस मामले में आरोपी बनाए गए निर्देश सिंह के घर पहुंची थी। वह घर पर मौजूद नहीं थे। उनकी मां विमला देवी मिलीं। विमला बताती हैं -"मैं इस गांव में प्रधान रह चुकी हूँ। हमारा जाटव समुदाय से कभी कोई विवाद नहीं रहा है। जिस जमीन को लेकर विवाद हुआ, वह जाटव समुदाय के लोगों की ही है। उस पर कई वर्षों से जाटव परिवार के लोग ही कूड़ा और गोबर डालते थे। इसमें कभी कोई बदलाव नहीं आया। अचानक ग्राम प्रधान ने इसे साफ-करवाकर इस पर बोर्ड लगवा दिया, जो चीज इतने वर्षों में नहीं हुईं, अब क्यों की जा रही थीं? हम इसके मत में नहीं थे। हमने कानूनी प्रक्रिया अपनाई थी।"      

इस मामले में टीम ने वर्तमान ग्राम प्रधान से बातचीत की। वर्तमान समय में रंजीत कौर इस गांव की प्रधान हैं। उनके बेटे शरणपाल सिंह सभी काम देखते हैं। शरण पाल सिंह बताते हैं-"जिलाधिकारी का आदेश था की किसी भी गांव में घूर गड्ढे न हो। इसमें जमा होने वाली गंदगी से बीमारियां फैलती हैं, जिसके बाद इस जगह को समतल कराया गया था। गांव वालों ने सोचा कि अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापित करने से यहां लोग गंदगी नहीं फेकेंगे, इसलिए उन्होंने बोर्ड लगा दिया। बस यही विवाद का कारण बन गया। गंगवार इस पर लगातार आपत्ति जता रहे थे। इसपर कोई पक्का निर्माण नहीं था। अतः आपत्ति करना गलत था। जब गांव में घटना हुई मैं काम से रामपुर गया हुआ था। वापस आया तो इसकी जानकारी हुई।"

घटनास्थल पर जांच करती पुलिस।
घटनास्थल पर जांच करती पुलिस।The Mooknayak

टीम ने तत्कालीन एसडीएम मिलक अमन देओल, तहसीलदार राकेश चंद्र, तत्कालीन थाना प्रभारी मिलक अनुपम शर्मा से बातचीत करने का प्रयास किया। कई बार सम्पर्क करने के बावजूद उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

द मूकनायक टीम ने एसपी रामपुर राजेश द्विवेदी से सम्पर्क किया। एसपी पीआरओ के मुताबिक आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग की बैठक में व्यस्त हैं। एडिशनल एसपी अरुण कुमार श्रीवास्तव ने द मूकनायक को बताया-घटना में दो लोगों को गोली लगी थी। एक की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि दूसरे व्यक्ति का इलाज चल रहा है। इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है। पूरे प्रकरण की जांच कराई जा रही है। मामले में अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। वहीं घटना को लेकर मंडलायुक्त ने मजिस्ट्रेटियल जांच कराए जाने की बात कही है।

सिलईबड़ा गांव की वह जमीन और उस पर लगा हुआ आम्बेडकर की तस्वीर वाला बोर्ड.
रामपुर गोलीकांडः गहमागहमी के बीच दलित किशोर के शव का अंतिम संस्कार, भीम आर्मी चीफ ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
सिलईबड़ा गांव की वह जमीन और उस पर लगा हुआ आम्बेडकर की तस्वीर वाला बोर्ड.
यूपी: विवादित जमीन पर आंबेडकर का बोर्ड लगाने पर विवाद, ग्राउंड रिपोर्ट द मूकनायक
सिलईबड़ा गांव की वह जमीन और उस पर लगा हुआ आम्बेडकर की तस्वीर वाला बोर्ड.
राजस्थान: बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की मूर्ति लगाने से रोका, मंत्री पुत्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com