दिल्ली। दलित छात्र रोहित वेमुला सुसाइड मामले में तेलंगाना पुलिस ने गत शुक्रवार को कहा कि रोहित वेमुला की मौत के मामले में आगे और जांच करेगी, क्योंकि मृतक की मां और कुछ अन्य लोगों की ओर से पुलिस द्वारा कोर्ट में दाखिल क्लोजर रिपोर्ट पर कुछ संदेह व्यक्त किए गए हैं। तेलंगाना के डीजीपी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कोर्ट में एक याचिका दायर कर मजिस्ट्रेट से केस में आगे जांच की अनुमति मांगी जाएगी। फिलहाल पुलिस ने अबतक कोर्ट में याचिका दायर नहीं की है। जानकारी मिली है कि पुलिस आज हाईकोर्ट जा सकती है।
इससे पहले हैदराबाद पुलिस ने मामले में जांच पूरी करने की बात कहकर तेलंगाना हाईकोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। मामले की जांच बंद करते हुए पुलिस की तरफ से तेलंगाना हाई कोर्ट में यह दावा किया गया है कि रोहित को यह पता था कि वह दलित नहीं था और जाति की पहचान उजागर होने के डर से उसने आत्महत्या कर ली थी।
इधर, पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट के बाद से ही इस मामले में कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। हैदराबाद के अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन का आरोप है कि पुलिस की जांच सही नहीं है। एसोसिएशन के गोपी स्वामी ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए पुलिस कि जांच पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि पुलिस भाजपा-आरएसएस के इशारों में इस मामले में आत्महत्या के लिए रोहित को मजबूर करने वाले आरोपी और सह आरोपियों को बचाने के लिए जांच को भटका रही है।
स्वामी ने आगे कहा- "इस मामले में पुलिस इस्मृति ईरानी और अन्य को बचाने का प्रयास कर रही है।"
जनवरी 2016 में दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद मौत के कारण विश्वविद्यालयों में दलितों के खिलाफ भेदभाव को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। इस प्रदर्शन ने एक सप्ताह में ही देशव्यापी आंदोलन का रूप ले लिया था। पुलिस ने जो क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी है, उसके मुताबिक जांच में सामने आया है कि रोहित ने अपनी सही जाति के उजागर होने के डर से आत्महत्या की थी।
पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि रोहित वेमुला को डर था कि उनकी जाति की सच्चाई बाहर आ जाएगी, क्योंकि वो अनुसूचित जाति से नहीं आते थे। पुलिस ने अपनी इस रिपोर्ट को तेलंगाना हाई कोर्ट को सौंपा है और कहा है कि रोहित को पता था कि उनकी मां ने उन्हें अनसूचित जाति का सर्टिफिकेट दिलवाया था।
तेलंगाना पुलिस ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला की मौत के मामले में कोर्ट के समक्ष क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रोहित वेमुला दलित नहीं थे।
पुलिस की जांच के मुताबिक उसकी मां ने उसे एससी का प्रमाण पत्र दिलाया था। इसे लेकर रोहित डर रहा होगा, क्योंकि इसके उजागर होने से उसे अपनी शैक्षणिक डिग्रियां खोनी पड़ सकती थीं और अभियोजन का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद यह स्थापित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला कि आरोपियों के कार्यों ने मृतक को आत्महत्या के लिए प्रेरित किया है। आरोपियों में हैदराबाद यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति अप्पा राव और हरियाणा के निवर्तमान राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय भी शामिल थे।
अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी करने के नियमों के मुताबिक रोहित वेमुला एससी वर्ग के ही थे। पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट के बाद यह जांच विवादित हो गई है। पुलिस पर आरोप है कि जांच रिपोर्ट में तथ्यों को छुपाने के लिए भटकाने का प्रयास किया जा रहा है।
द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति/जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रवक्ता और अनुसूचित जाति मामलों के एक्सपर्ट विजय शंकर श्रवण ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के सर्टिफिकेट व्यक्ति के माँ की जाति के आधार पर जारी किया जाता है। इसलिए रोहित वेमुला एससी वर्ग के ही है। अब पुलिस ने क्यों यह जांच में लिखा वह तो पुलिस ही बताए।
तेलंगाना पुलिस ने कोर्ट में जो क्लोजर जमा कराया उसे पहले पूरा माना जा रहा था, लेकिन जब रोहित वेमुला के परिवार ने जांच पर आपत्ति की तो पुलिस ने यूटर्न लेकर यह कह दिया कि अभी आगे की जांच की जानी है। पुलिस ने इस मामले में प्रेसनोट जारी कर यह बताया कि जांच में समय अवधि बढ़ाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
17 जनवरी 2016 का दिन था, जब हैदराबाद सेंट्रल विश्वविदयालय के होस्टल में एक 26 साल के पीएचडी कर रहे दलित छात्र रोहित चक्रवर्ती वेमुला ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी।रोहित कॉलेज के दलित छात्रों के लिए बनाई गई अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन नेता थे। एबीवीपी और अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन के बीच वैचारिक मतभेदों को लेकर झगड़ा भी हो चुका था। एबीवीपी के नेता सुशील कुमार ने आरोप लगाया कि अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन के 5 छात्रों ने उनके साथ मारपीट की थी। जिसके बाद ये मामला कोर्ट पहुंच गया।
इस घटना के सामने आने के बाद हैदराबाद के स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री बंदारु दत्तात्रेय ने स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर मामले में तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा। फिर स्मृति ईरानी ने यूनिवर्सिटी के चांसलर को 4 बार चिट्ठी लिखी और पांचों छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा। इन चिट्ठियों का नतीजा ये हुआ कि 17 दिसंबर 2015 को कड़ाके की ठंड में पांचों छात्रों को निलंबित कर दिया गया और उन्हें हॉस्टल से बाहर कर दिया गया।
निलंबन से परेशान रोहित पांचों छात्र यूनिवर्सिटी के एक परिसर में धरना देने बैठ गए थे। लेकिन 17 जनवरी 2016 के दिन अचानक रोहित वहां से उठकर चले गए। काफी देर वापस नहीं लौटने पर जब रोहित को ढूंढा गया तो वो अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी पर लटके मिले थे। रोहित की सुसाइड लेटर से ये साबित हो रहा था कि वो इस निलंबन से काफी परेशान थे। जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठा लिया।
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