लखनऊ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के एक सहायक प्रोफेसर द्वारा एक्स पर 'राम-कृष्ण को जेल भेजने की बात कहने पर दर्ज कराई गई एफआईआर में हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लग गई है। वहीं स्टे ऑर्डर मिलने के बाद सहायक प्रोफेसर विक्रम आज कर्नलगंज थाने में बयान दर्ज कराने भी पहुंचे थे। उनका आरोप है कि पुलिस ने मानसिक बीमार बताया। वहीं एक पुराने मामले में मुकदमा दर्ज करने के लिए धमकाया भी है।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास के सहायक प्रोफेसर विक्रम हरिजन ने बीते दिनों अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर हिंदुओ के भगवान राम और कृष्ण को जेल में डालने की बात लिखी थी। उन्होंने इसमें लिखा,"यदि आज प्रभु श्री राम होते तो मैं ऋषि शम्भुक का वध करने के लिए उनको आईपीसी की धारा 302 के तहत जेल भेजता। यदि आज कृष्ण होते तो महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के केस में उनको भी में जेल में भेजता?"
वहीं इस मामले में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर विक्रम हरिजन पर कथित तौर पर भगवान राम और कृष्ण पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए विश्व हिन्दू परिषद, हिंदू जागरण मंच और बजरंग दल ने मिलकर उनके खिलाफ शिकायत प्रयागराज के कर्नलगंज पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की थी।
सहायक प्रोफेसर पर IPC की धारा 15-ए(धर्म के आधार पर अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295-ए(जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने का इरादा) और IT अधिनियम की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
शिकायतकर्ता ने कहा था कि इस टिप्पणी से विश्वविद्यालय के कई छात्र नाराज हुए। साथ ही हिन्दू समुदाय की भावनाओं को चोट पहुंची। वहीं, शिकायतकर्ता शुभम का कहना है कि भारतीय संविधान आपको अभिव्यक्ति की आजादी देता है, लेकिन विक्रम हरिजन जैसे लोग सामाजिक अशांति फैलाने के लिए इसका फायदा उठा रहे हैं। उन्हें ये नहीं पता कि संविधान आपको देश की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डालने वाली टिप्पणियां करने की इजाजत नहीं देता।
प्रोफेसर विक्रम हरिजन के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर के बाद प्रोफेसर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने प्रोफेसर की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। प्रोफेसर के मुताबिक वह आज कर्नलगंज थाने में बयान दर्ज कराने भी पहुंचे थे। प्रोफेसर का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें मानसिक बीमार कहा। प्रोफेसर ने बताया कि पुलिस एक पुराने वीडियो को लेकर भी मुकदमा दर्ज करने की बात कह रही थी। प्रोफेसर का कहना है कि -'मैं एक प्रैक्टिसिंग हिन्दू हूँ। हिन्दू धर्म में पैदा होकर नास्तिक होना कोई अपराध नहीं है। इससे पूर्व भी बौद्ध, जैन में भी बहुत लोग नास्तिक हुए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रोफेसर के विवादित बयान के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में भी प्रोफेसर को घेरने की तैयारी की जा रही है। इलाहाबाद प्रशासन भी प्रोफेसर के खिलाफ घेराबंदी की कोशिश में जुटा हुआ है। हालांकि हाईकोर्ट से राहत के बाद प्रोफेसर को अपना पक्ष रखने का मौका भी मिला है।
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