लखीमपुर दलित बहनों का रेप-हत्या मामला: 10 माह में 43 गवाहों को सुनने के बाद आज आ सकता है फैसला

लखीमपुर दलित बहनों का रेप-हत्या मामला: 10 माह में 43 गवाहों को सुनने के बाद आज आ सकता है फैसला
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लखनऊ। यूपी के लखीमपुर जिले के निघासन कोतवाली इलाके में गत साल दो सगी दलित बहनों के अपहरण, गैंगरेप व मर्डर के मामले में लगभग 10 महीने फास्ट ट्रैक कोर्ट में चले मुकदमे में 43 गवाहों को सुनने और 15 का परीक्षण कराने के बाद कोर्ट अंतिम निर्णय पर पहुंच गई है। अदालत इस मामले में आज फैसला सुना सकता है। पॉक्सो अदालत में चल रहे इस केस में अभियोजन और बचाव पक्ष की तरफ से दलीलें पूरी हो चुकी हैं। शुक्रवार को कोर्ट इस मामले में फैसला सुना सकती है।

लोक अभियोजक बृजेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि अदालत में सुनवाई पूरी हो गई है। हमने सबूतों को अदालत में क्रमबद्ध ढंग से पेश किया है। उम्मीद है कि आरोपियों को सजा जरूर होगी। वहीं पीड़ित परिवार को अभी तक 16 लाख की मदद दी जा चुकी है। इसमें लगभग 8 लाख फास्ट ट्रैक कोर्ट की पेशी के दौरान खर्चा हो चुके हैं। कोर्ट का फैसला आने के बाद 25 लाख की सहायता मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

यूपी के लखीमपुर जिले के निघासन कोतवाली इलाके के एक गांव में 14 सितंबर 2022 को दोपहर बाद करीब तीन बजे दो नाबालिग बहनों को कुछ लोग अगवा कर ले गए थे। इन दोनों बहनों के शव अजय सिंह के गन्ने के खेत की मेड़ पर लगे एक पेड़ के पास मिले थे। लड़कियों की मां ने पुलिस में दर्ज कराई एफआईआर में गांव के एक युवक सुनील उर्फ छोटू सहित अज्ञात पर 323, 452, 376 और 302 आईपीसी के तहत मुकदमा लिखवाया था। दो सगी बहनों की निर्मम हत्या से सियासी भूचाल उठा तो योगी सरकार ने आनन-फानन में एक एसआईटी गठित कर दी। एसआईटी ने घटना के अगले दिन ही हत्या व रेप के मामले में नामजद सुनील उर्फ छोटू सहित पांच लड़कों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें से मुख्य आरोपी जुनैद को पुलिस ने एक एनकाउंटर में गिरफ्तार किया। एसआईटी ने मामले की तफ्तीश शुरू की और जांच के बाद मामले में धारा बढ़ा दी। इसके साथ ही एससी-एसटी एक्ट भी लगा दिया गया। सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने 15 दिनों के अंदर अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

पुलिस ने अदालत में 43 गवाहों की लिस्ट सौंपी थी, जिसमें युवती के माता-पिता, पुलिसकर्मी और शवों का पोस्टमार्टम करने वाला डाक्टरों का पैनल सहित गांव के अन्य सदस्य शामिल है। इसमें से 15 का परीक्षण कराया गया। लोक अभियोजक ब्रजेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि अभियोजन ने साइंटिफिक जांच रिपोर्टों, गवाहों और पुलिस अफसरों को भी गवाहों के रूप में अदालत में पेश किया है।

पीड़ित पक्ष की तरफ से किए गए अतिरिक्त अधिवक्ता शरद प्रसाद ने बताया -'वारदात में पुलिस ने 6 लोगों को आरोपी बनाया था। इसमें सुनील उर्फ छोटू के पड़ोसी गांव के जुनैद, आरिफ और करीमुद्दीन भी आरोपी बनाए गए। आरोप है कि जुनैद और उसके दो साथियों ने अगवाकर पहले गन्ने के खेत में लड़कियों से रेप किया। फिर गला घोंटकर मार डाला। इसके बाद साक्ष्य मिटाने के लिए दो और साथियों आरिफ और करीमुद्दीन को बुलाया। इनमें कोर्ट में परीक्षण के दौरान दो आरोपी नाबालिग निकले। एक 16 साल से कम और एक 16 से 18 साल के बीच का निकला। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अदालत ने इन दोनों आरोपियों को जुवेनाइल कोर्ट और चिल्ड्रन कोर्ट भेज दिया। कोर्ट में बचाव पक्ष की तरफ से वकील सुरेश कुमार सिंह मुन्ना, वकार अहमद और फिरोज खान ने अपनी दलीलें बचाव में रखी हैं।'

मामले के सियासी रूप पकड़ने के बाद परिजनों ने शवों के दफनाने से इनकार कर दिया था। तब सरकार ने 25 लाख रुपये मुआवजा, परिवार को जमीन का पट्टा, सरकारी नौकरी आवास आदि देने का वादा किया था। इसमें से 16 लाख मुआवजा दे भी दिया गया। जमीन का पट्टा भी किया गया।

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