जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही सुशासन का दावा करें, लेकिन यह सच है कि प्रदेश में बहुजन और मुस्लिम समाज का उत्पीड़न रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आलम यह है कि आजाद भारत में भी दलितों को घोड़ी पर बैठ कर बारात निकालने की स्वतंत्रता नहीं है। ऐसा ही एक मामला गत मंगलवार को नागौर जिले में सामने आया। जहां दलित दूल्हे को घोड़ी पर बारात निकालने के लिए जिले के पांच थानों का पुलिस जाब्ता तैनात करना पड़ा।
गोटन पुलिस थाने के दथवाडा गांव में घोड़ी पर बैठे दूल्हे को घेरे पुलिस फोर्स का नजारा राज्य की कानून व्यवस्था बताने को काफी था। सवाल यह है कि आखिर आज भी क्यों दलितों को घोड़े पर बारात निकालने की आजादी नहीं है।
जानकारी के अनुसार नागौर जिले के गोटन थाना क्षेत्र के दथवाडा गांव में पुलिस सुरक्षा में एक दूल्हे की बारात निकाली गई।
पुलिस के अनुसार गांव में दलित दूल्हे ने झगड़े की आशंका जताई थी। मामले की गम्भीरता को देखते हुए गोटन तहसीलदार के नेतृत्व में पांच पुलिस थानों का पुलिस जाब्ता शादी समारोह में सुरक्षा के लिए तैनात किया गया।
दथवाडा निवासी रघुनाथ पुत्र रामकरण मेघवाल की शादी थी। बारात के दौरान झगड़े की आशंका जताई जा रही थी। इस संबंध में पीड़ित पक्ष की ओर से प्रशासन को शिकायत दी गई थी। शिकायत के बाद प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया। बिना लापरवाही किए ऐतिहात के तौर पर पुलिस जाब्ता तैनात किया गया। इसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच बारात निकाली गई।
इस संबंध में द मूकनायक ने गोटन थानाधिकारी गोपाल कृष्ण से बात की। उन्होंने कहा कि दूल्हे ने शिकायत की थी कि उसे बारात में झगड़े की आशंका है। शिकायत में किसी का नाम भी नहीं था। सुरक्षा की दृष्टि से जाब्ता तैनात किया गया था। बारात में किसी तरह का व्यवधान नहीं हुआ है।
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