जयपुर। 'आमजन में विश्वास, अपराधियों में भय' पुलिस का मुख्य ध्येय है। इसकी विपरीत कुछ पुलिसकर्मी खाकी के इस स्लोगन को तार-तार करने से नहीं चूक रहे हैं। राजस्थान में खाकी पर बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का भी दाग लग चुका है। अब पुलिस को शर्मसार करने का ताजा मामला अजमेर जिले से सामने आया है। जहां एक गुमशुदा दलित महिला की तलाश में गई पुलिस पर परिवादी के पैसों से जाम छलकाने का आरोप लगा है। मामला संज्ञान में आने पर अजमेर के पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र कुमार विश्नोई ने बिना देर किए मदनगंज पुलिस थाने के हेड कांस्टेबल सुरेश चंद मीणा व सिपाही गौरू को निलंबित कर दिया। पुलिस टीम पर लगे आरोपों की विस्तृत जांच के बाद अन्य दोषी पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की बात भी कही जा रही है।
आरोप है कि मदनगंज थाना पुलिस परिवादी के खर्च पर गुमशुदा दलित महिला को तलाशने गई थी। इस दौरान परिवादी ने पुलिस को वाहन मुहैया कराने के साथ ही खाना खाने के पैसे भी दिए। मदनगंज थाना पुलिस की टीम ने राजमार्ग के एक ढाबे पर महिला की बरामदगी का जश्न मनाया। उन्होंने न केवल खाना खाया बल्कि जाम भी छलकाए। एसपी विश्नोई ने भी पुलिसकर्मियों द्वारा गैर पेशेवर कृत्य करने की पुष्टि की है।
पुलिस के अनुसार मदनगंज थाना इलाके से गत दिनों एक विवाहिता अचानक अस्पताल से गायब हो गई थी। इस संबंध में विवाहिता के देवर ने पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस पर पुलिस ने एक टीम गठित कर महिला की तलाश में थाने के हेड कांस्टेबल सुरेश चंद मीणा और सिपाही गौरू को रवाना किया। पुलिसकर्मियों ने परिवादी से वाहन उपलब्ध कराने की बात कही। इस पर परिवादी पुलिसकर्मियों के साथ अपना निजी वाहन लेकर गया।
जयपुर से महिला को बरामद कर पुलिस टीम वापस लौट रही थी। इस दौरान हेड कांस्टेबल सुरेश चंद मीणा और सिपाही गौरू ने परिवादी के खर्च पर रास्ते में राजमार्ग के एक ढाबे पर महिला की बरामदगी का जश्न मनाना सुनिश्चित किया। उन्होंने राजमार्ग पर शराब खरीदने के बाद एक ढाबे पर खाना खाया। इस दौरान जमकर जाम छलकाए गए। पुलिसकर्मियों ने परिवादी को वाहन में महिला की निगरानी के लिए बैठा दिया।
जानकारी के अनुसार परिवादी ने हेड कांसाबेल सुरेश चंद मीणा व सिपाही गौरू की (जाम) पार्टी का वीडियो बना लिया। पुलिस के इस तरह के व्यवहार से आहत पीड़ित ने वीडियो बनाकर पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र विश्नोई को भेज कर शिकायत की। एसपी ने पुलिसकर्मियों के आचरण को गैर पेशेवर मानते हुए दोनो को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अनुसंधान या आरोपी की तलाश में जाने वाली राजस्थान पुलिस विशेष कर अजमेर पुलिस पहले भी सफर के दौरान शराब पार्टी से बदनामी का दंश झेल चुकी है। हालांकि यह अलग बात है कि इस तरह का आचरण करने वाले पुलिस अधिकारी फिर से बहाल होकर ड्यूटी अंजाम दे रहे हैं। ऐसे कई मामले पेश आ चुके हैं, जिनमें न केवल परिवादी बल्कि साथ में सफर करने वाले यात्रियों ने वीडियो वायरल कर पुलिस अफसरों के दूसरे पहलू को उजागर किया है।
मदनगंज पुलिस जब गुमशुदा महिला की तलाश में गई तो, किसी भी महिला पुलिसकर्मी को टीम में शामिल नहीं किया गया। हैड कांस्टेबल सुरेश चंद मीणा और सिपाही गौरू परिवादी के साथ रवाना हो गए, हालांकि जब मामला पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में आया तो एक दूसरी टीम महिला सिपाही के साथ रवाना की गई।
दलित अधिकार केन्द्र से जुड़े एडवोकेट सतीश कुमार कहते हैं कि नियमानुसार किसी महिला की बरामदगी या अपराधी महिला की गिरफ्तारी के समय महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी अनिवार्य है, लेकिन यहां मदनगंज पुलिस द्वारा लापरवाही बरती गई है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं दलित परिवादी के खर्च पर ही महिला को तलाश किया गया है। यह सरासर गलत है। परिवादी से पैसे लेकर काम करने वाले पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप में मामला दर्ज करना चाहिए।
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