जयपुर। राजस्थान के अलवर जिले में सामूहिक बलात्कार के बाद दलित महिला की हत्या मामले में पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं। दलित अधिकार केंद्र की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने जांच अधिकारी पर सही से जांच नहीं कर आरोपियों को बचाने तथा जांच के दौरान पीड़ित पक्ष की ओर से तथ्य पेश करने के बावजूद जरूरी धाराएं नहीं जोड़ने का आरोप लगाया है। हालांकि, इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने इन आरोपों पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया।
मामले पर एडवोकेट शैलेश गौतम ने कहा कि दलितों से हमदर्दी के नारों के सहारे राजनीतिक पार्टियां चुनावी नैया पर करने का प्रयास करती रही हैं। कुछ राजनीतिक पार्टियां इसमें सफल भी रही हैं, लेकिन सत्ता पर काबिज होने के बाद इस समुदाय को न्याय दिलाने में कितना खरा उतरती है यह राजस्थान के अलवर जिले में महिला से सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या मामले में पुलिस की कार्यशैली बताने के लिए काफी है। जहां जांच अधिकारी पर पीड़ित पक्ष व गवाहों को धमकाने के आरोप भी लगे हैं।
अलवर जिले के नौगांव थाना क्षेत्र में 30 जनवरी को एक व्यक्ति ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार कर, उसकी हत्या करके शव फंदे पर लटका दिया था। अगले दिन घटना का पता चलने पर मृतका के ससुर ने दलित समुदाय के आरोपी सूभेसिंह को नामजद करते हुये उसके अन्य साथियों पर बलात्कार व हत्या के आरोप में नौगावां पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी।
पीड़ित ससुर ने पुलिस को दिए तहरीर में आरोप लगाया था कि, "प्रार्थी की पुत्र वधु को आरोपी शुभेसिंह पुत्र बच्चूराम काफी समय से आपत्तिजनक फोटो से ब्लैकमेल कर रहा था। उसके साथ नाजायज संबंध बनाने का दबाव बना रहा था। आरोपी की हरकतों से परेशान होकर पुत्र वधू ने घर वालों को सारी बात बताई थी। इसके बाद आरोपी से समझाइश की गई, लेकिन आरोपी अपनी आदत से बाज नहीं आया। 30 जनवरी 2024 को रात्रि के समय प्रार्थी की पुत्र वधु रात्रि के समय घर पर कमरे में अकेली थी। तब आरोपी आया और अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर प्रार्थी की पुत्र वधू को मारकर कुंडी से लटका दिया। आरोपी घटना को अंजाम देकर निकल गए।"
पीड़ित ससुर की तहरीर पर पुलिस ने 31 जनवरी को आईपीसी की धारा 376, 511, 302 व 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच पुलिस निरीक्षक नेकीराम को सौंप दी।
अगले दिन प्रति ने पुलिस को एक और तहरीर देकर पीड़ित ने बताया कि, "दिनांक 30 जनवरी 2024 की रात्रि में मुलजिम शुभेसिंह पुत्र बच्चूराम व उसके अन्य साथियों ने प्रार्थी की पुत्रवधु के साथ उसकी अशलील फोटो वीडियो बनाकर व उसे ब्लैकमेल कर उसके साथ ज्यादतियां की थी। उसके साथ अवैध संबध बनाये गये थे। घटना वाली रात भी अन्य लोगों को साथ लेकर अवैध संबंध बनाने पर विरोध करने पर उसकी हत्या कर दी गई थी। जिसकी एफआईआर हमने पुलिस थाना नौगावां में दी थी। अब मृतका के मोबाइल का लॉक खुलने पर उसके फेसबुक व व्हाट्सअप प्रोफाईल चेक करने पर हमें पता चला कि उक्त प्रकरण में अन्य मुलजिमान अर्जुन पुत्र सुरज प्रजापत, जयहिन्द पुत्र हरियाराम, संदीप पुत्र सुखपाल प्रजापत व इनका रिश्तेदार सुभाष भी संलिप्त है। जिनकी मृतक के मोबाइल में व्हाट्सअप पर चैटिंग मिली है। अन्य संदिग्ध व आपत्तिजनक जानकारियां भी मोबाइल में मिली है। मृतका के कमरे से सोने की अंगूठी, गले की चैन, सोने का जंतर, चांदी का हथफूल, तागडी, चुटकी आदि जेवरात गायब है। उक्त समस्त आरोपी काफी दिनों से मृतका का आर्थिक, मानसिक व शारीरिक रूप से शोषण कर रहे थे। उक्त प्रकरण में समस्त आरोपियों ने मिलकर उक्त घटना को अंजाम दिया है। ऐसे में दर्ज एफआईआर में अन्य आरोपियों के नाम भी शामिल किए जाए।"
पीड़ित परिवार ने उक्त मामले को लेकर दलितों के अधिकारों को लेकर काम करने वाले सामाजिक संगठन दलित अधिकार केन्द्र से संपर्क किया। दलित अधिकार केन्द्र ने मामले में जिला समन्वयक अलवर शैलेष गौतम के नेतृत्व में पांच सदस्यीय जांच दल गठित कर पीड़ितों एवं गवाहों के बयान दर्ज कर दस्तावेजों का संकलन किया।
दलित अधिकार केन्द्र के जिला समन्वयक शैलेष गौतम ने बताया कि, उनकी जांच में सामने आया कि आरोपी सूभेसिंह जाटव, अर्जुन प्रजापत, जयहिन्द प्रजापत व सन्दीप प्रजापत द्वारा महिला के अश्लील फोटो लेकर उसे काफी समय से शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। 30 जनवरी 2024 को सूरज जाटव के यहां लड़का हुआ था जिसके कारण गांव में डीजे बज रहा था और रात्रि में पीड़ितों का पूरा परिवार अपनी-अपनी जगह सो गया। सुबह को जब दूधिया दूध लेने आया तब घटना का पता चला तो देखा कि दरवाजे की कुंडी टूटी हुई थी और मृतका का शव चुन्नी (महिलाओं द्वारा गले में ओढ़ा जाने वाला वस्त्र) से लटका हुआ था।
"आरोपियों ने मृतका की आपत्तिजनक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर रखी थी। मृतका के मोबाइल फोन पर मृतका के शोषण करने के अहम तथ्य मौजूद थे। उक्त गम्भीर घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद भी जांच अधिकारी द्वारा उक्त प्रकरण में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है", शैलेष गौतम ने बताया।
उन्होंने कहा, "पुलिस प्रशासन द्वारा ना तो आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार किया गया है, ना आरोपियों के मोबाइल फोन को जब्त किया गया है, और ना ही प्रकरण में आईटी एक्ट एवं एससी एसटी एक्ट को जोड़ा गया है।" जांच दल का आरोप है कि जांच अधिकारी द्वारा पीड़ितों एवं गवाहों को डराया धमकाया जा रहा है।
जांच के बाद दलित अधिकार केंद्र के सदस्यों ने प्रशासन से नामजद आरोपियों के नाम पत्रावली में सम्मिलित कर नामजद आरोपियों को अविलम्ब गिरफ्तार करने, मृतका के अश्लील फोटो एवं वीडियो वायरल होने की रोकथाम हेतु उचित उपाय करने, नामजद आरोपियों के मोबाइल फोनों को अविलम्ब जब्त करने, लूटे गए समस्त स्त्री धन को वापस दिलाने, प्रकरण में आईटी एक्ट व एससी एसटी एक्ट को जोड़कर आईपीसी की उचित धाराओं को सम्मिलित करने, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को जांच में सम्मिलित करने, मामले की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच करने एवं आरोपियों के विरुद्ध शीघ्र ही सम्बन्धित न्यायालय में आरोप पत्र फाइल करने की मांग को लेकर जांच अधिकारी को पत्र सौंपा है। दलित अधिकार केंद्र के जांच दल में जिला समन्वय शैलेष गौतम के साथ सरवन कुमार प्रदेश अध्यक्ष बीडब्ल्यूडी फाऊंडेशन इंडिया, अमर सिंह, मानसिंह, राजेन्द्र कुमार व डॉक्टर नरेश कुमार शामिल रहे।
जिला समनव्यक शैलेश गौतम ने बताया कि, प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामजद मुख्य आरोपी भी एससी वर्ग से होने से पुलिस ने एससी-एसटी एक्ट नहीं जोड़ा। यह सही है, लेकिन एफआईआर दर्ज होने के अगले दिन लिखित में अन्य आरोपियों के नाम इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के साथ देने के बावजून एससी एसटी एक्ट शामिल नहीं किया गया। आरोपियों को गिरफ्तार करने की बजाय पीड़ित पक्ष के गवाहों को डराया धमकाया जा रहा है। ऐसे में न्याय की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।
जांच अधिकारी पर लगे आरोपों की सत्यता जानने के लिए द मूकनायक ने जांच अधिकारी नेकीराम पुलिस निरीक्षक से बात की। जांच अधिकारी ने द मूकनायक से कहा कि, "हत्या व बलात्कार जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज हुआ है। अभी इंवेस्टिगेशन चल रहा है। जांच पूरी होने तक इस मसले में कुछ भी कह पाना उचित नहीं होगा।"
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