राजस्थान: कंजर समाज महापंचायत संस्थान के प्रदेशाध्यक्ष ग्यारसीलाल गोगावत ने कंजर समाज को मुख्यधारा से जोड़ने एवं समाज के सर्वांगीण विकास के लिए निम्न बिंदुओं पर मांगे पूरी करने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है.
मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में उन्होंने अवगत करवाया है कि, राजस्थान राज्य में कंजर समाज की जनसंख्या लगभग 15 से 20 लाख और पूरे भारत में लगभग एक करोड़ है. कंजर समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है. हमारे समाज के लोग स्वतंत्रता प्रिय और देश की आन, बान, शान के लिए मर मिटने वाले रहे हैं, गोरिल्ला युद्ध की शैली से भारत के प्रमुख कबीलों ने मुगलों और अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे, उन कबीलों में हमारा कबीला भी प्रमुख था.
"घबराये अंग्रेजी सरकार ने सन् 1871 जयराम पैसा कानून लगाकर बिना दलील अपील के अपराधी घोषित कर दिया और सेटलमेंट जेल में बंद करना शुरू कर दिया. जन्मजात अपराधी का स्टिगमा हमारे समाज के साथ कई कबीलों पर ठोक दिया गया. तब से लेकर अब तक हमारा समाज राष्ट्र के मुख्य धारा से कट गया और आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, राजनीतिक दृष्टि से पिछड़ता चला गया एवं वर्तमान में हमारा समाज वंचित, शोषित, पीड़ित है तथा सामाजिक भेदभाव का शिकार है."
"इसका परिणाम यह हुआ कि समाज में कई प्रकार की सामाजिक कुरीतियां समागम हो गई. वर्तमान में कई प्रकार की अवांछनीय गतिविधियों को समाज के लोगों ने जीवन वृतियां बना ली है, अनेक प्रकार की सामाजिक कुरीतियों का बोझ हमारे समाज की बहन बेटियां ढ़ो रही हैं."
"अशिक्षा और सामाजिक जागरूकता के अभाव में हमारे समाज के लोगों को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा है. हमारे समाज के अधिकतर लोग गरीबी, आर्थिक, सामाजिक पिछड़ेपन के शिकार है. प्रशासन हमारे समाज के लोगों के साथ सकारात्मक व्यवहार नहीं करता है. प्रत्येक व्यक्ति को शक की दृष्टि से देखा जाता है. जो हक-अधिकार हमारे समाज के लोगों को मिलने चाहिए वो अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं. एक प्रकार से हमारी जाति बदनामी और अपराध का पर्याय बनकर रह गई है. पढ़ी-लिखी युवा पीढ़ी अपराध बोध का शिकार है", पत्र में पढ़ा गया.
दिनांक 25 दिसंबर 2023 को कंजर समाज महापंचायत संस्थान एवं बिजोरी कांजरी वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वाधान में जलमहल रिसॉर्ट पोल्याड़ा के पास जिला टोंक में महापंचायत संस्थान के पदाधिकारीयों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कंजर समाज के गणमान्य पंच-पटेलों आदि की मीटिंग की गई. बैठक में कंजर समाज के पिछड़ेपन, सामाजिक कुरीतियों, सामाजिक ताने-बाने आदि को लेकर चर्चा की गई.
संस्थान के पदाधिकारीयों ने उपस्थित लोगों से सामाजिक ताने-बाने के बदलाव, (वधु पक्ष में विवाह में लिए जाने वाले रूपये) चारी प्रथा को समाप्त करने, कुछ जिलों में रुपए लेकर जाति पंचायत जोड़ने को लेकर बातचीत की. इन सभी बुराइयों को समाप्त करने का आग्रह किया गया. उपस्थित वक्ताओं ने बाल विवाह, नुक्ता प्रथा, और जनचेतना फैलाने के लिए कार्य योजना बनने पर सहमति बनी. समाज के लोगों से चर्चा, जानकारी और सहमति लेकर कंजर समाज को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए निम्न बिंदुओं पर बैठक में सुझाव मिले जो निम्न हैं:
कंजर समाज को मुख्यधारा से जोड़ने एवं समाज के सर्वांगीण विकास के लिए बिजोरी कांजरी कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए.
रुपए लेकर जाति पंचायत करने वाले और कुरीतियों में चारी प्रथा को बढ़ावा देने वाले लोगों में पंच-पटेलों पर सरकार व प्रशासन द्वारा कार्यवाही की जाए.
6 से 18 वर्ष की बालिकाओं का भौतिक सत्यापन एवं मिसिंग बालिकाओं की जांच पड़ताल की जाए.
लड़की की शादी पर वधू पक्ष द्वारा लाखों रुपए लिए जाने वाले व वर पक्ष की ओर से चारी प्रथा के नाम पर लाखों रुपए देने वाले अभिभावक व बिचौलिए पंच-पटेल, दलालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए.
सवाईमाधोपुर, बूंदी, भीलवाड़ा, टोंक, भरतपुर, अलवर आदि जिलों में कंजर समुदाय के बाहुल्य गांव में देह-व्यापार केन्द्रों पर कड़ाई से कानूनी कार्रवाई की जाए.
मानव तस्करी में लिप्त दलालों और पंच-पटेलों की जांचकर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए.
राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ के कंजर समाज के लिए सुनिश्चित एवं बेरोजगारों व पढ़े लिखे युवाओं को प्राथमिकता से रोजगार उपलब्ध करवाया जाए.
प्रदेशाध्यक्ष गोगावत ने समाज को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने व समाज के सर्वांगीण विकास के लिए सात बिंदुओं का मांग पत्र की मांगे पूरी करने की मांग की गई.
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