राजस्थान : आजादी के 75 सालों बाद पहली बार पुलिस सुरक्षा के बीच दलित दुल्हे की घोड़ी पर बैठकर निकली बारात

डीएम रेणु जयपाल के साथ दुल्हे की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस बल / फोटो : द मूकनायक
डीएम रेणु जयपाल के साथ दुल्हे की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस बल / फोटो : द मूकनायक
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आजादी के 75 साल बाद पहली बार "ऑपरेशन समानता" ने दलित दुल्हे को दिया घोड़ी पर बैठने का अधिकार। बूंदी एसपी जय यादव और बूंदी कलक्टर रेणु जयपाल ने पेश की समानता की अनूठी मिसाल।

राजस्थान का बूंदी जिला जहां करीब 30 गांव ऐसे हैं जिसमें आजादी के बाद से अब तक दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया गया। अगर कोई दूल्हा घोड़ी पर बैठ भी गया तो उसे गांव से बाहर ही नहीं निकलने दिया गया। वर्षों से चली आ रही इस रिवायत को बूंदी की कलेक्टर रेणु जयपाल ने खत्म कर दिया।

क्या था पूरा मामला?

चड़ी गांव में 27 साल के श्रीराम मेघवाल सफेद शेरवानी, पगड़ी और तलवार लिए घोड़ी पर बैठकर विवाह स्थल पहुंचे। श्रीराम ने कहा, "मैं इन सड़कों पर घोड़ी की सवारी करने वाला पहला दलित दूल्हा हूं।" दूल्हे ने कहा, यह उस मानसिकता को बदल देगा जो 'दलित घोड़ी पर नहीं बैठ सकता है', यह समानता की दिशा में एक कदम है।

पिता ने जिला कलेक्टर से लगाई थी गुहार

द मूकनायक से बात करते हुए बूंदी कलक्टर रेणु जयपाल ने बताया कि, तालेड़ा के बक्शपुरा में रहने वाले हीरालाल मेघवाल ने बीते 7 जनवरी को जिला कलेक्टर को प्रार्थना पत्र देकर अपने बेटे श्रीराम मेघवाल की चड़ी गांव में होने वाली शादी में घोड़ी पर बारात बिंदोरी गांव से होकर निकालने की जानकारी देते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी।

उन्होंने प्रार्थना पत्र में बताया था कि, "जिले के चड़ी गांव में मेघवाल समाज के दूल्हे को कभी भी घोड़ी पर बैठाकर बारात नहीं निकालने दी गई है। पहली बार मेघवाल समाज के दूल्हे की बारात बिंदोरी गांव से होकर निकाली जाएगी, जिसमें असामाजिक तत्वों द्वारा बारात को निकालते समय विरोध करने की आशंका है।"

दुल्हे की सुरक्षा के बीच फूल बरसते प्रशासनिक अधिकारी / फोटो : द मूकनायक
दुल्हे की सुरक्षा के बीच फूल बरसते प्रशासनिक अधिकारी / फोटो : द मूकनायक

डीएम रेणु जयपाल ने अधिकारियों को दिए निर्देश

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला कलेक्टर रेणु जयपाल ने त्वरित कार्रवाई के लिए पत्र को एसपी को अग्रेषित कर अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम अंतर्गत गठित जिला एवं उपखंड स्तरीय समितियों के माध्यम से ऐसी घटनाओं पर अंकुश के लिए प्रभावी कार्य योजना के लिए निर्देशित किया। संबंधित उपखंड अधिकारी और संबंधित अधिकारियों को भी निर्देशित किया कि ऐसे क्षेत्रों को पहले ही चिह्नित करें, जहां दलित दूल्हे को घोड़ी से उतारने जैसी घटनाएं होने की संभावना हो, वहां पहले से ही प्रबंध किए जाएं और असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कारवाई की जाए।

"दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारने की घटनाएं समाज के लिए कलंक हैं'

जिला कलक्टर रेणु जयपाल ने द मूकनायक को बताया कि, "दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारने की घटनाएं समाज के लिए कलंक हैं इसके लिए हमने "ऑपरेशन समानता" नाम से एक मुहिम चलाई है। हमारा यह प्रयास है, कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। गांवों में सामाजिक सदभाव बना रहे।"

उन्होंने आगे कहा, मैंने और बूंदी पुलिस अधीक्षक ने मिलकर "ऑपरेशन समानता" की शुरुआत के लिए चड़ी गांव पहुंचे और अपनी मौजूदगी में मेघवाल दूल्हे की बिंदोरी गांव से बारात निकलवाई। दूल्हे पर पुष्प वर्षा की और नव युगल को आशीर्वाद दिया। साथ ही ग्रामीणों को संदेश दिया कि इस तरह की घटनाओं को समाज से हमेशा के लिए मिटा दें। और जल्द ही इसे पूरे राज्य में लागू करने के लिए सरकार से बात करेंगे।"

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