जयपुर। राजस्थान में सामंती सोच आज भी सामाजिक समरसता पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है। समान अधिकारों के कानूनों के बावजूद दलितों, पिछड़ों पर अत्याचार की घटनाएं कम नहीं हुई है। इसी का ही परिणाम है कि विवाह समारोह में दलित दुल्हों की घुड़चढ़ी तक स्वीकार नहीं है। राजस्थान में विवाह के दौरान घोड़ी पर सवार दलित दुल्हों व बारातियों से मारपीट की घटनाएं आम है। आधुनिकता के ढिंडौरों के बीच पुलिस सुरक्षा में दुलित दुल्हों की बारात निकासी प्रदेश की कानून व्यवस्था बताने के लिए काफी है। आजाद भारत में दलित समुदाय निर्भीक व स्वतंत्र माहौल में विवाह की रस्में निभा पाएंगे?
राजस्थान के अलवर जिले के राजगढ़ थानांतर्गत गढ़ बिणजारी गांव में बुधवार 29 नवम्बर को दो दलित भाईयों की शादी थी, लेकिन शादी की शहनाईयों की गूंज के बीच अनहोनी की आशंका का सन्नाटा दलित परिवार के भय को बयां कर रहा था। हालाँकि, दुल्हों के घर से लेकर गांव गलियों व चौराहों पर पुलिसकर्मी तैनात थे। खाकी वर्दी आशंकित दलित परिवार को संत्वाना व भरोसा भी दे रही थी। गांव में दलित दुल्हों की घुड़चढ़ी के दौरान अनहोनी से पूर्व ही पुलिस द्वारा कड़ी सुरक्षा की हर तरफ तारीफ हो रही है।
दलित दुल्हों के पिता रूपराम बैरवा ने द मूकनायक को बताया कि बिणजारी गांव में दलित बहुत कम संख्या में है। यहां राजपूत, गुर्जर व अन्य सर्वण जाति के लोगों की संख्या बहुतायत में है। एक सुमुदाय के मनबढ़ों को यहां दलित दुल्हों का घोड़ी पर चढ़ना स्वीकार नहीं है। इसी वर्ष 4 जून 2023 को गांव के मनोज पुत्र गंगासहाय बैरवा का विवाह था। दलित दुल्हे को घोड़ी पर बैठा कर बिंदौरी निकाली जा रही थी। इस दौरान एक जाति विशेष के मनबढ़ों ने जातिगत द्वेषता के कारण बारा पर हमला कर दुल्हे को घोड़ी उतार कर मारपीट की थी। इस दौरान बिंदौरी में साथ चल रही दलित महिलाओं को भी जातिसूचक शब्दों से अपमानिक कर मारपीट की थी। रूपराम कहते हैं कि इस संबंध में पुलिस केस हुआ था।मामला वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है।
रूपराम बैरवा ने आगे बताया कि गांव में जून महीने में कोई दलित दूल्हा पहली बार घोड़ी पर बैठा था। उस वक्त मनबढ़ों ने उसके साथ मारपीट करदी थी। अब 29 नवम्बर को मेरे दो बेटों की शादी थी। शादी में घुड़चढ़ी निकासी का कार्यक्रम तय था। उन्होंने कहा कि गांव के मनबढ़ लोग घोड़ी पर निकासी नहीं निकालने के लिए धमकी दे रहे थे। हमे आशंका थी कि मेरे बेटों के साथ भी यह लोग जून महीने वाली घटना दोहराएंगे। इस लिए हमारा पूरा परिवार आशंकित था।
"सम्मानपूर्वक शादी सम्पन्न कराने के लिए दलित अधिकार केन्द्र (सामाजिक संगठन) के मुख्य कार्यकारी को पत्र लिख कर पुलिस सुरक्षा मुहैया करवाने की मांग थी। 29 नवम्बर को मेरे बेटों की पुलिस सुरक्षा में सम्मान के साथ घुड़चढ़ी निकासी निकाली गई। परिवार व समाज के लोगों ने सम्मान के साथ भयमुक्त होकर शादी की रस्मे में निभाई। हमारा समाज दलित अधिकार केन्द्र व पुलिस का आभारी है। हमारे गांव में पहली बार धूमधाम से दलित दुल्हों की बिंदौरी निकाली गई", रूपराम बैरवा ने कहा.
दूल्हा बने रूपराम बैरवा के बेटे विजेंद्र (24) और सचिन (22) घोड़ी पर बैठ कर गांव की गलियों में निकले। इस दौरान बाराती भी डी.जे. साउंड पर खूब थिरके। इससे पूर्व मंगलवार रात भी पुलिस सुरक्षा के बीच दूल्हा बने दोनो भाईयों की बिंदौरी निकाली गई। रूपराम ने द मूकनायक को बताया कि बड़ा बेटा विजेंद्र कॉम्पिटीशन की तैयारी कर रहा है। सचिन फार्मेसी की पढ़ाई कर रहा है।
राजगढ़ पुलिस थाना इलाके के बिणजारी गांव में दलित दुल्हों की बिंदौरी निकासी के लिए एसपी आनंद शर्मा के निर्देश पर राजगढ़ सहित लक्ष्मणगढ़, टहला, प्रतापगढ़, रैणी व मालाखेड़ा थानों का पुलिस जाब्ता तैननात किया गया था। बिंदौरी के दौरान गांव में उक्त पुलिस थानों के थानाधिकारियों सहित 40 पुलिस जवान बिंदौरी में सुरक्षा के लिए तैनात रहे। वृताधिकारी लक्ष्मणगढ कमलकांत भी गांव में मौजूद रहे।
दलित अधिकार केन्द्र (सामाजिक संगठन) के मुख्य कार्यकारी एडवोकट हेमंत मीरौठ ने अलवर पुलिस अधीक्षक आनन्द शर्मा को पत्र लिख कर बताया था कि दलित पीड़ित रूपराम वर्मा पुत्र रामसुखा बैरवा निवासी गढ़ बिणजारी थाना राजगढ़ के पुत्र बिजेन्द्र व सचिन की शादी 29 नवम्बर की है। सुबह 8 बजे बाद गांव में बिंदौरी निकालने के साथ बड़ौदा मेव गांव में बारात जाएगी। दलित पीडि़त को बेटों की बिंदौरी निकालने से पूर्व ही राजपूत समाज के लोगों द्वारा धमकाया जा रहा है। पत्र में लिखा गया कि आरोपियों की धमकी की वजह से दलित परिवार चिंता में है कि विवाह समारोह में कोई अप्रिय घटना कारित न हो जाए। दलित परिवार को धमकाने वाले जाति विशेष के मनबढ़ पूर्व में दलित दुल्हे के साथी मारपीट की घटना कर चुके हैं।
"ऐसे में दलित पीड़ित के पुत्रों के विवाह में दतिल दूल्हों को घोड़ी पर बैठा कर डी.जे. के साथ सम्मानपूर्ण भयमुक्त बिंदौरी निकालने के लिए पर्याप्त मात्रा में पुलिस जाब्ता तैनात कर पुलिस सुरक्षा में विवाह समारोह सम्पन्न करवाना सुनिश्चित करें", पत्र में पढ़ा गया. दलित अधिकार केन्द्र के पत्र के बाद एसपी ने गांव में पुलिस सुरक्षा में बिंदौरी निकलवाने के निर्देश दिए।
दुल्हों के पिता रूपराम वर्मा ने 29 नवम्बर को दलित अधिकार केन्द्र के मुख्य कार्यकारी के नाम एक हस्तलिखित पत्र लिख कर दलित दुल्हों की सम्मानपूर्वक घुड़चढ़ी निकासी निकलवाने की मांग की थी। रूपराम ने पत्र में लिखा था कि मेरे पुत्र विजेन्द्र व सचिन का विवाह 29 नवम्बर को है। जिसके तहत 29 नवम्बर को सुबह 8:30 बजे गांव गढ बिणजारी में निज आवास से गांव में घोड़ी पर निकासी करवाने का कार्यक्रम तय है। मेरे गांव के जाति विशेष के मनबढ़ों द्वारा घोड़ी पर निकासी नहीं निकलवाने की धमकी दी जा रही है। हमें दुल्हों सहित दलित समुदाय को जानमाल का खतरा है। ऐसे में सम्मानपूर्वक पुलिस सुरक्षा में हमारी दुल्हों की निकासी निकलवाने की कृपा करें।
आईपीएस अधिकारी डॉ. रवि प्रकाश ने अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस अपराधा शाखा राजस्थान के पद पर रहते हुए 29 नवम्बर 2021 को महानिदेशक पुलिस इंटेलीजेंस राजस्थान, समस्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजस्थान, पुलिस आयुक्त जयपुर, जोधपुर एवं समस्त रेंज महानिरीक्षक राजस्थान, समस्त पुलिस आयुक्त जयपुर, जोधपुर एवं समस्त जिला पुलिस अधीक्षक राजस्थान मय जीआरपी अजमेर व जोधपुर को संबोधित आदेश जारी कर प्रदेश के कुछ जिलों में दलित दुल्हों के साथ मारपीट की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई थी। साथ ही ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे।
आईपीएस डॉ. रवि प्रकाश ने आदेश में लिखा था कि प्राय देखने में आया है कि राज्य के कुछ जिलों में दलित वर्ग के विवाह समारोह में बिंदोली रोकने, दुल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने देने, बारातियों से मारपीट करने तथा बैण्ड नहीं बजाने देने इत्यादी घटनाओं में वृद्धी हुई है।
इस प्रकार के कृत्य (अस्पृश्यता) संविधान के अनुच्छेद 17 का उलंघन है एवं गैर कानूनी है। ऐसे कृत्यों को रोकना पुलिस, प्रशासन का उत्तरदायित्व है। सरकार द्वारा दलितों (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति वर्ग) के अधिकारों की रक्षा तथा उन पर अन्य सामाजिक वर्गों द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों पर प्रभावी रोकथाम हेतु अनुसूचित जाति / जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 तथा अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम 2015 एवं 2018 लागू किया गया है। उक्त घटनाओं को घटित होने से रोकने के लिए तथा ऐसी घटनाएं घटित होने के पश्चात कानूनी कार्रवाई करने के लिए पालना सुनिश्चित की जाए।
आईपीएस डॉ. रविप्रकाश द्वारा 29 नवम्बर 2021 को जारी आदेश में कहा गया कि ऐसी घटनाएं न हो इसके लिए पुलिस अधीक्षक अपने समस्त थानाधिकारियों को निर्देशित करें कि उनके थाना क्षेत्रों में ऐसे स्थानों को चिह्नित करें जहां पर दलित व अन्य समाजिक वार्गों के बीच किसी प्रकार का तनाव या विवाद चल रहा हो। या वहां पूर्व में इस प्रकार की घटनाएं घटित हुई हैं। विवाह समारोह या बिंदौली के दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने का अंदेशा होने पर संदिग्धोंं के विरुद्ध पूर्व में ही निरोधात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाए।
जबकि, प्रदेश में 2021 में जारी हो चुके इस आदेश की पालना सही से नहीं हो पार ही है. प्रदेश में हर दिन दलित दुल्हों को घोड़ी से उतारने, बारातियों से मारपीट करने की खबरे इसी और इशारा करती नजर आ रही हैं।
राजगढ़ थानाधिकारी रामजीलाल के अनुसार जून महीने भी घोड़ी पर बैठ कर बिंदौरी निकाल रहे दलित दूल्हे के साथ कुछ लोगों ने मारपीट कर दी थी। ऐसे में गांव वालों को आशंका था कि उनके साथ पहले जैसे घटना ना हो जाए। इसे लेकर पीड़ित परिवार एसपी से मुलाकात कर आशंक जताते हुए पुलिस सुरक्षा मांगी थी। एसपी के निर्देश पर गांव में 6 थानों की पुलिस भेजी गई थी। शांतिपूर्व बिंदौरी निकाली गई।
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