राजस्थानः मंदिरों में पुजारी पद पर गैर ब्राह्मणों की नियुक्ति पर 'गहराया विवाद'

पुजारी परिषद और विप्र फाउंडेशन ने कहा- "सनातन संस्कृति के खिलाफ", बहुजन साहित्य अकादमी ने कहा- "संवैधानिक अधिकार."
पूजन सामग्री।
पूजन सामग्री।Abdul Mahir
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जयपुर। राजस्थान में देवस्थान विभाग के मंदिरों में पुजारी के पद पर दलित, आदिवासी व महिलाओं की सरकारी नियुक्तियों पर विवाद शुरू हो गया है। पुजारी परिषद और विप्र फाउंडेशन ने इन नियुक्तियों पर एतराज जताया है। मंदिरों में गैर ब्राह्ममणों की नियुक्तियों को निरस्त करने के लिए राजस्थान विप्र फाउंडेशन ने राज्यपाल कलराज मिश्र से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है।

ज्ञात रहे कि राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 2013 में राज्य सरकार के देवस्थान विभाग के मंदिरों में रिक्त चल रहे सेवागीर और पुजारी पदों पर भर्ती निकाली थी। इन पुजारी पदों पर भर्ती में आरक्षण की व्यवस्था की गई थी।

पुजारी भर्ती के लिए राज्य सरकार ने 2014 में मोहनलाल सुखाडि़या विश्व विद्यालय उदयपुर को कार्य एजेंसी नियुक्त कर भर्ती परीक्षा का आयोजन करवाया था। अपरिहार्य कारणों से तत्समय इस परीक्षा का परिणाम जारी नहीं हो सका। अब राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हस्तक्षेप से पुजारी भर्ती परीक्षा के 9 साल बाद सितम्बर 2022 में परिणाम जारी हुआ। पुजारी भर्ती परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का मेरिट के आधार चयन कर राजस्थान सरकार ने जयपुर शहर के 22 मंदिरों में देवस्थान विभाग के माध्यम से 16 जून को नियुक्ति दे दी।

मंदिरों में पुजारी पद पर एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग से आने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति के साथ पुजारी परिषद और विप्र फाउंडेशन विरोध में उतर आए। पुजारी परिषद और विप्र फाउंडेशन ने गैर ब्राह्ममणों को मंदिरों में पुजारी नियुक्त करने पर कड़ा एतराज जताते हुए नियुक्ति निरस्त करने की मांग की है। उदयपुर परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारी हेमेंद्र पुजारी ने एक समाचासर पत्र को दिए बयान में कहा कि हर मन्दिर में पूजा का एक विधान तय होता है। वर्णव्यवस्था के तहत पूजा की विधि भी तय होती है। हर समुदाय के भी अलग मन्दिर होते हैं। सरकार मन्दिर और समाज के विधान के खिलाफ जाकर भर्ती करती है। और नियुक्तियां देती है तो इसका विरोध होगा।

पूजा करती महिला।
पूजा करती महिला।file photo

क्यों कर रहे पुजारी भर्ती का विरोध?

द मूकनायक ने राजस्थान में सरकार द्वारा देवस्थान विभाग के मंदिरों में भर्ती परीक्षा के माध्यम से पुजारी भर्ती के विरोध का कारण जानने के लिए विप्र फाउंडेशन प्रदेशाध्यक्ष राजेश कर्नल बात की। कर्नल ने द मूकनायक को बताया कि हमारा किसी समुदाय विशेष या जाति से विरोध नहीं है। हमारा कहना यह है कि सरकार सभी वर्गों के लिए सफाईकर्मियों की भर्ती निकालती है। इस पर हरिजन समाज विरोध करता है और सरकार सामान्य वर्ग को हटाकर केवल हरिजन समाज के लिए ही सफाईकर्मी के पद आरक्षित रख देती है।

कर्नल ने कहा- इसी तरह हिन्दू सनातन धर्म की संस्कृति के हिसाब से इनके अपने मापदंड है। जिस तरह मुस्लिम, ईसाई, और सिखों की अपनी संस्कृति है। इनके अपने धर्म स्थलों में कोई दूसरे धर्म, संस्कृति का पुजारी पूजा नहीं कर सकता। इनके अपने विधान से पूजा होती है। अनादिकाल से यह व्यवस्था चली आ रही है। यह सरकार इस तरह का नया फंडा लाकर क्यों दुनिया को लड़ा रही है।

कर्नल ने कहा कि विप्र फाउंडेशन ने राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन सौंप कर इन नियुक्ति को निरस्त करने के लिए राजस्थान सरकार को निर्देशित करने की मांग की है।

संविधान की बदौलत बने मंदिरों में पुजारी

देवस्थान विभाग के मंदिरों में पुजारी पद पर सरकारी नियुक्ति को लेकर द मूकनायक ने बहुजन साहित्य अकादमी प्रदेशाध्यक्ष भगवानाराम मेघवाल से बात की। मेघवाल ने द मूकनायक को बताया कि राजस्थान सरकार ने मंदिरों में पुजारी पद पर सभी वर्गों के पुजारियों की नियुक्ति कर सराहनीय काम किया है। इस सरकार ने महिलाओं को भी पूजा का अधिकार दिया है। यह सब संविधान की बदौलत सम्भव हुआ है।

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