जयपुर। राजस्थान के नीम का थाना जिले की अजीतगढ़ पंचायत समिति की ग्राम पंचायत चीपलाटा के ग्राम विकास अधिकारी ललित कुमार रैगर की आत्महत्या से जुड़े मामले को पंचायत राज विभाग ने गंभीरता से लिया है। विभागीय राज्यमंत्री मदन दिलावर के आदेश पर सरपंच मनोज गुर्जर, पंचायत समिति अजीतगढ़ के सहायक विकास अधिकारी मंगल चंद सैनी, ग्राम पंचायत चीपलाटा के तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी व वर्तमान में ग्राम पंचायत दीपावास के ग्राम विकास अधिकारी नरेंद्र प्रताप सिंह, ग्राम पंचायत सकराय व अतिरिक्त चार्ज ग्राम पंचायत चीपलाटा के कनिष्ठ सहायक जगदेव व नीमकाथाना पंचायत समिति की ग्राम पंचायत हरजन पुरा के कनिष्ठ सहायक पोखरमल को निलंबित कर दिया है। वहीं, अजीतगढ़ पंचायत समिति के खण्ड विकास अधिकारी अजय सिंह नाथावत को एपीओ किया है।
गौरतलब है कि चीपलाटा के विकास अधिकारी के सुसाइड करने के बाद मृतक के चचेरे भाई ने सात लोगों के खिलाफ हत्या के लिए प्रेरित करने तथा अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत थोई पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मामले की जांच अजीतगढ़ डीएसपी राजेंद्र सिंह कर रहे हैं। वीडियो सुसाइड प्रकरण में अभी तक गवाहों के बयान नहीं हुए हैं। पुलिस का कहना है कि हमने बयानों के लिए पीड़ित पक्ष से संपर्क किया था, लेकिन परिवार अभी बयान देने की स्थिति में नहीं है।
इधर, दूसरी ओर घटना के विरोध में राजस्थान ग्राम विकास अधिकारी संघ के पदाधिकारियों ने पंचायती राज मंत्री समेत अनेक मंत्रियों व अधिकारियों से मिलकर सुसाइड प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने व पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि निदेशालय स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग के जांच दल संख्या 10 ने ग्राम पंचायत चीपलाटा में वित्तीय वर्ष 2021-23 के विकास कार्यों की जांच की थी। 7 फरवरी 2024 को अंकेक्षण विभाग की टीम ने जांच में पंचायत के विकास कार्यों में सरपंच मनोज गुर्जर व तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी नरेन्द्र प्रताप सिंह के कार्यकाल में पांच लाख रुपए से अधिक सरकारी धन के गबन का मामला पकड़ा था। अंकेक्षण विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर खण्ड विकास अधिकारी अजय सिंह नाथावत ने ग्राम विकास अधिकारी ललित कुमार रैगर को सरकारी धन का गबन करने वाले सरपंच मनोज गुर्जर व किवास अधिकारी नरेन्द्र प्रताप सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे।
खण्ड विकास अधिकारी के निर्देश पर चीपलाटा के विकास अधिकारी ललित कुमार रेगर ने थोई पुलिस थाने में निदेशालय स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग के पत्र 1302/07.02.2024 तथा पंचायत समिति अजीतगढ़ के पत्र 392/08.02.2024 का हवाला देते हुए पुलिस को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। तहरीर में बताया कि पंचायत समिति अजीतगढ़ के अधीनस्थ ग्राम पंचायत चीपलाटा की निदेशालय स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग के जांच दल संख्या 10 द्वारा 2021-23 की जांच के दौरान राशि 5,20,011 रुपए का गबन प्रकरण ध्यान में आया है। उक्त राशि राजकीय / राज्य / केन्द्र सरकार की हैं, जो ग्राम पंचायत क्षेत्र में विकास हेतु ग्राम पंचायत को स्थानांतरित की गई थी, लेकिन सरपंच मनोज गुर्जर तथा सचिव नरेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा दिनांक 24.01.2022 को राशि 4,99,204 रुपए तथा 16.08.2022 को राशि 5807 रुपए व 05.09.2022 को 15,000 रुपए कुल राशि 5,20,011 रुपए का गबन किया गया है। राजकीय धन राशि का गबन एक गंभीर प्रकरण है। इस पर पुलिस ने धारा 420-409 के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
गबन के आरोप में सरपंच व ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही सरपंच व उसके पिता सहित आरोपी ग्राम विकास अधिकारी नरेन्द्र प्रताप सिंह ललित कुमार रेगर को धमका कर मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। मृतक के चचेरे भाई संतोष कुमार निवासी झाड़ली ने थोई थाना पुलिस को रिपोर्ट सौंप कर आरोप लगाया कि तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी नरेन्द्र प्रताप सिंह, सरपंच मनोज गुर्जर, पूर्व सरपंच एवं वर्तमान सरपंच मनोज के पिता बीरबलराम गुर्जर, ग्राम पंचायत कर्मचारी जगदेव, मंगल, पंचायत का ठेकेदार पोखर व खण्ड विकास अधिकारी पंचायत समिति अजीतगढ़ गबन के आरोप में एफआईआर दर्ज कराने के बाद से ही ललित कुमार रेगर को प्रताड़ित कर रहे थे। बार-बार फोन कर धमकियां दी जा रही थीं। इससे ललित अवसाद में आ गया, तथा उसने प्रताड़ना से तंग आकर सुसाइड कर लिया। मृतक ललित कुमार ने मौत से पहले सुसाइड नोट लिख कर भी उक्त आरोपियों को नामजद करते हुए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर दलित ग्राम विकास अधिकारी को प्रताड़ित कर मरने पर मजबूर करने के आरोप लगाते हुए आजाद विद्रोही संगठन से जुड़े गीगराज जोड़ली के नेतृत्व में दलित संगठनों व समाज के लोगों ने परिजनों के साथ अस्पताल के बाहर धरना देकर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग थी। इसके अलावा राज्य सरकार से भी उक्त प्रकरण में निष्पक्ष जांच कर न्याय की मांग थी।
भ्रष्टाचारियों पर एफआईआर दर्ज कराने वाले दलित ग्राम विकास अधिकारी के सुसाइड का मामला पंचायत राज मंत्री मदन दिलावर के संज्ञान में आया तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया। इस संबंध में विभाग के उच्च अधिकारियों को मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सभी आरोपियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। मंत्री के निर्देश पर शासन सचिव नवीन जैन ने सरपंच सहित पांच कार्मिकों को निलंबित कर खण्ड विकास अधिकारी को एपीओ कर दिया।
आजाद विद्रोही संगठन से जुड़े गीगराज जोड़ली ने कहा कि ललित कुमार परिवार में अकेला कमाने वाला था। परिवार में मां-बाप व तीन बहनें हैं। रोजगार को लेकर कोई संसाधन नहीं है। भाई की मौत के बाद बहनों की पढ़ाई रुक जाएगी। मृतक ललित की तीनों बहने भी पढ़ने में होशियार है। उन्होंने कहा कि सरकार परिवार को अविलंब आर्थिक सहयोग करें तथा आश्रित परिवार में से किसी एक को सरकारी नौकरी दी जाए। राज्य सरकार मृतक की बहनों की पढ़ाई की व्यवस्था भी करे।
मामले की जांच कर रहे एसीपी राजेन्द्र सिंह निर्वाण ने द मूकनायक से कहा कि उक्त मामले में हमने गवाहों के बयानों के लिए परिवार से संपर्क किया था, लेकिन परिवार के लोग बयान देने की स्थिति में नहीं है। उक्त मामले निष्पक्ष जांच की जा रही है। जांच में दोषी पाए जाने पर आरोपियों की गिरफ्तारी भी होगी।
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