राजस्थान: जयपुर में दलित-आदिवासियों का जमावड़ा, 'सियासी बयार' की दिशा बदली

महापंचायत में एक साथ जुटे लाखों दलित-आदिवासी, समाज की तरक्की पर मंथन, सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप
राजस्थान: जयपुर में दलित-आदिवासियों का जमावड़ा, 'सियासी बयार' की दिशा बदली
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जयपुर। राजस्थान का दलित-आदिवासी समाज महापंचायत के बहाने गत रविवार को एक साथ नजर आया। मानसरोवर मैदान में हुई महापंचायत में 'अधिकार दिवस' मनाने के साथ सरकारों से दलित और आदिवासियों के अधिकारों की मांग की गई। यहां वक्ताओं ने राजनीतिक पार्टियों से राजनीति में जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनधित्व की मांग के साथ ही सवाल किया कि राजस्थान में दलित या आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाने में क्या हर्ज है? दलित और आदिवासी समाज के इस सवाल ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है।

आपको बता दें कि, राजस्थान में पहली बार दलित और आदिवासी समाज एक साथ एकत्रित हुआ है। ऐसे में चुनावी वर्ष होने से शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है। यही वजह है कि एक राजनैतिक पार्टी ने दलित - अदिवासी महापंचायत को हाइजेक करने का प्रयास किया, लेकिन ऐसे नेताओं को समाज ने मंच पर रोक दिया। कांग्रेस के एक मंत्री को भी केवल समाज के सवालों के जवाब देने के अलावा इधर-उधर का राजनीतिक बखान करने से रोक दिया गया।

राजस्थान सरकार पर वादा खिलाफी के आरोप

महापंचायत में वक्ताओं ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर दलित और आदिवासी समाज से वादा खिलाफी के आरोप लगाए। भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष रविकुमार मेघवाल ने कहा कि 2 अप्रैल 2018 को न्याय की मांग को लेकर भारत बंद आंदोलन कर रहे दलित और आदिवासियों पर दर्ज मुकदमों की वापसी के वादे से सरकार मुकर गई। अभी तक कांग्रेस सरकार ने एक भी मुकदमा वापस नहीं लिया। जबकि अन्य समाजों के आंदोलनों के दौरान दर्ज मुकदमों को निरस्त किया गया है। कांकरोली कांड में भी सरकार वादा करके मुकर गई। दलित और आदिवासी समाज सरकार में बैठे समाज के नेताओं से पूछता है कि उन्होंने इस मसले पर सरकार से क्या बात की, यहां समाज के सार्वजनिक जाजम पर जवाब दें।

लाखों की संख्या में पहुंचे समाज के लोग

दलित-आदिवासी महापंचायत में भाग लेने के लिए लाखों की संख्या में समाज के लोग जयपुर पहुंचे। राजस्थान के प्रत्येक जिले से जीप व बसों से लोग आए। इससे रविवार को मानसरोवर क्षेत्र में जाम जैसे हालात बने रहे। महापंचायत में समाज की तरक्की को लेकर मंथन किया गया। खास बात यह रही कि दलित - आदिवासी महापंचायत में मुख्य अतिथि कोई नहीं था। एक-एक कर वक्ता अपने समाज की पीड़ा बता रहे थे।

यह मुद्दे भी छाए रहे

महापंचायत में 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद आंदोलन व कांकरी डूंगरी प्रकरण के दौरान दर्ज मुकदमों की वापसी के अलावा कार्तिक भील, जितेंद्र मेघवाल, इंद्र मेघवाल, ओमप्रकाश रैगर, की नृशंस हत्याओं पर न्याय और मुआवजे में कांग्रेस सरकार द्वारा जातीय भेदभाव किए जाने के आरोप लगाए। एससी-एसटी एक्ट की मुआवजा राशि बढ़ाकर 30 लाख रुपए करने, उत्पीड़न करने वालों की संपत्ति जब्त किए जाने का विशेष कानून बनाने, स्कूल और कॉलेज शिक्षा सहित सभी विभागों में आरक्षण नीति को लागू करने के लिए रोस्टर संशोधित कर बैकलॉग पूरा करने, आरवीआरईएस 2010 की भर्तियों के एवज में एससी-एसटी के बैकलॉग को तत्काल भरने, 28 हजार कोविड सहायक के पदों में आरक्षण सुनिश्चित कर स्थायी करने, एससी-एसटी स्कॉलरशिप को मैट्रिक स्तर पर न्यूनतम 20 हजार, मेट्रिकोत्तर पर 50 हजार, साइंसेज और तकनीकी शिक्षा में वार्षिक एक लाख रुपए करने, वर्षों से लंबित छात्रवृत्ति का तत्काल भुगतान करने तथा विदेश पढ़ने के लिए विदेश भेजे जा रहे छात्रों में संवैधाानिक आरक्षण लागू करने, टीएसपी क्षेत्र में रिक्त रहे आरक्षित पदों पर सामान्य से नहीं भरकर स्थानीय लोगों से भरे जाने की मांग भी वक्ताओं ने उठाई।

विधान सभा परिसर में लगे बाबा साहब की प्रतिमा

महापंचायत आयोजन समिति सदस्य एवं दलित अधिकार मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष रोशन मूंडोतिया ने कहा कि राजस्थान विधानसभा भवन परिसर में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाई जाए। राजस्थान सरकार इस मांग पर तत्काल अमल करें। साथ ही महापंचायत में आए समाज के मंत्री व विधायकों कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि सरकार विधानसभा भवन में बाबा साहब की प्रतिमा लगाने की कार्रवाई शुरू करे।

इसी तरह मूंडोतिया ने दलित और आदिवासियों को जनसंख्या के अनुपात में एससी को 16 की जगह 18 प्रतिशत व एसटी को 12 की जगह 14 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग भी उठाई। उन्होंने कहा कि वर्तमान जो आरक्षण मिल रहा है सरकार किसी ने किसी बहाने आरक्षित पदों को भी बैकलॉग रखती है। उन्होंने कहा कि दलित और आदिवासियों पर बढ़ते अत्याचार पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कानून बनाए जाएं, दलित और आदिवासियों की भूमियों को अतिक्रमियों से मुक्त कराने तथा भूमिहीन समाज को भूमि आवंटन की जाए।

'हमने पहले ही साफ कर दिया था'

कांग्रेस सरकार के एक मंत्री से दलित-आदिवासी महापंचायत में माइक छीनने का सवाल पर मूंडोतिया ने कहा कि हमने आयोजन से पूर्व ही स्पष्ट कर दिया था कि महापंचायत में समाज एक जाजम पर बैठेगा। केवल वक्ता डाइस पर होगा। यहां केवल समाज के उत्थान की बात होनी थी। आप समाज की जाजम पर राजनीति करोगे तो यही होगा। आपको यहां यह बताना था कि सरकार से समाज के भले के लिए क्या काम करवाए।

महापंचायत में जुटे मंत्री-विधायक

महापंचायत में प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता भी पहुंचे। इनमें राजस्थान सरकार में मंत्री ममता भूपेश और टीकाराम जूली शामिल हुए। वहीं कांग्रेस विधायक गंगा देवी भी मौजूद रहीं।

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डीजी रवि मेहरड़ा बोले- जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण बढ़े

महापंचायत में डीजी सिविल राइट्स एंड साइबर क्राइम रवि प्रकाश मेहरड़ा ने कहा, दो अप्रैल 2018 के आंदोलन में जो मुकदमे दर्ज हुए थे, वह अब भी विड्रो नहीं हुए हैं। दोनों ही समाज को जोड़ना था, इसलिए महापंचायत की। जनसंख्या जितनी बड़ी है, उस हिसाब से आरक्षण को बढ़ाया जाए। एससी-एसटी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग है। एससी-एसटी को महापंचायत के माध्यम से एक करना मकसद है, ताकि किसी भी मुद्दे पर आगे एकराय रख सकें।

एससी-एसटी एक्ट की पालना नहीं होने पर नाराजगी

एससी-एसटी एक्ट की पालना नहीं होने पर महापंचायत में नाराजगी जताई गई। नेताओं ने कहा कि एससी-एसटी अधिनियम 1990 से लागू हो गया था लेकिन राजस्थान सरकार ने 2011 में नियम बनाए गए। एक्ट में 2015 और 2019 में संशोधन किए गए। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कमेटी बनी हुई है, इसमें एससी-एसटी कानून के तहत दर्ज मुकदमों की समीक्षा की जाती है। इस कमेटी का फिर से गठन देरी से करना और इसकी नियमित बैठकें नहीं होने के कारण इसके क्रियान्वयन से संबंधित आ रही समस्याओं के समाधान की गति धीमी रहती है। इन बैठकों का नियमित रूप से आयोजन किया जाए। इस कानून में दर्ज मुकदमों के रिव्यू पुलिस के एफआर लगाने का भी रिव्यू होना जरूरी है।

समाज के लोगों ने कुलपति नियुक्ति की मांग की

महापंचायत के डिमांड चार्टर के मुताबिक, राजस्थान सरकार के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों में एससी-एसटी को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देते हुए करीब 9 कुलपति नियुक्त करने की मांग की है। सरकार से एससी-एसटी वर्ग से कुलपति पद पर तत्काल नियुक्तियां देने की मांग की है।

सरकारी भर्तियों में बैकलॉग पूरा नहीं करने पर नाराजगी

महापंचायत में सरकार की भर्तियों में बैकलॉग का मुद्दा भी प्रमुखता से छाया हुआ है। वक्ताओं ने बैकलॉग के पद भरने की मांग की है। नेताओं ने कहा कि यूनिवर्सिटी को एक इकाई मानते हुए आरक्षण रोस्टर के तहत सहायक प्रोफेसर, सह-प्रोफेसर और प्रोफेसर पदों पर एससी-एसटी के बैकलॉग रिक्तियों को भर के पूरा नहीं किया जा रहा है।

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