जयपुर। ग्राम पंचायत में 5 लाख से अधिक रुपयों के गबन को उजागर करने की कीमत एक दलित सरकारी कर्मचारी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। मामला नीम का थाना जिले के थोई थाना अंतर्गत चीपलाटा ग्राम पंचायत से सामने आया है। जहां सरपंच व तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी पर गबन के आरोप में एफआईआर दर्ज कराने वाले दलित ग्राम विकास अधिकारी ने सुसाइड कर लिया। आरोप है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही सरपंच व तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी दलित ग्राम विकास अधिकारी ललित कुमार को टॉर्चर कर रहे थे। तंग आकर गत रविवार सुबह ललित ने घर में फांसी का फंदा लगाकर जान दे दी।
मृतक के चचेरे भाई संतोष कुमार ने बताया कि ललित को फंदे से उतारकर अजीतगढ़ अस्पताल लेकर गए। जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। ललित की मौत की खबर के बाद परिजनों के साथ दलित संगठनों से जुड़े लोग अस्पताल के बाहर जमा हो गए। जहां आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। सूचना पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शालिनी राज भी मौके पर पहुंची। जहां परिजनों से वार्ता के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी के आश्वासन पर परिजन शव लेने को तैयार हुए। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया।
घटना के बाद मृतक के चचेरे भाई संतोष कुमार पुत्र सुंडाराम बन्द्रवाल निवासी झाड़ली तहसील श्रीमाधोपुर की तहरीर पर थोई थाना पुलिस ने तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी नरेन्द्र प्रताप सिंह, सरपंच मनोज गुर्जर, पूर्व सरपंच एवं वर्तमान सरपंच मनोज के पिता बीरबलराम गुर्जर, ग्राम पंचायत कर्मचारी जगदेव, मंगल, पंचायत का ठेकेदार पोखर व खण्ड विकास अधिकारी पंचायत समिति अजीतगढ़ के खिलाफ साजिश कर आत्महत्या के लिए उकसाने व अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
आजाद विद्रोही संगठन से जुड़े गिगराज जोड़ली ने कहा कि ललित कुमार एक होशियार कर्मचारी थे। पूर्व में ग्राम पंचायत व कर्मचारियों के सहयेग से पांच लाख रुपए के गबन के आरोप में सरपंच व तत्कालीन विकास अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस पर आरोपियों ने उन्हें प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। इससे तंग आकर ललित ने सुसाइड किया, लेकिन यह आत्महत्या नहीं बल्कि सुनियोजित हत्या है। मृतक के परिजनों को जब तक न्याय नहीं मिलेगा हम संघर्ष करते रहेंगे। हमने अधिकारियों के आश्वासन पर धरना समाप्त किया है। उचित कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह ब्रिलियेंट अधिकारी ब्यूरोक्रेसी व डेमोक्रेसी में भ्रष्ट लोगों की वजह अपने जीवन को छोड़ देते हैं। यह मानवता के लिए बड़ी हानि है। दलित समाज भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करे।
राजस्थान के नीम का थाना जिले के थोई थाना अंतर्गत झाड़ली निवासी हीरालाल रैगर मृतक ललित कुमार के पिता हैं। उन्होंने पंजाब में ईंट भट्टे पर मजदूरी कर अपने बेटे को पढ़ाया था। 25 वर्षीय ललित कुमार लगभग 8 महीने पहले ग्राम विकास अधिकारी बना तथा अजीतगढ़ पंचायत समिति की चीपलाटा ग्राम पंचायत में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर नियुक्त हुए। नौकरी के साथ ललित कुमार आरएएस की तैयारी भी कर रहे थे।
ललित की छोटी बहन अन्नो ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा- मेरा भाई पढ़ाई में होशियार था। आरएएस की तैयारी कर रहा था। नौकरी से फुर्सत मिलते ही पढ़ाई में व्यस्त रहता था। आगे कहा- मेरे भाई कहते थे, मैं तो आईएएस नहीं बन सका, लेकिन अन्नों को पढ़ा कर आईएएस अधिकारी जरूर बनाउंगा। मेरा भाई ईमानदार था। यही वजह है कि भ्रष्टाचारी मनबढ़ों ने प्रताड़ित कर उसे मरने पर मजबूर कर दिया।
मृतक के चचेरे भाई संतोष कुमार ने द मूकनायक को बताया कि ललित के मां-बाप व तीन बहनें हैं। सभी पढ़ाई में होशियार हैं। सबसे बड़ा ललित ही था। संतोष कहते है कि हमारे परिवार में ललित ही पहली बार सरकारी कर्मचारी बना था। पिता लकवाग्रस्त है, लेकिन छोटी मोटी मजदूरी कर लेते हैं। ललित कुछ दिनों से टेंशन में रहता था। जब भी किसी का फोन आता तो वह घर वालों से दूर जाकर फोन पर बात करता। फोन काटने के बाद उसके चेहरे पर उदासी छा जाती थी।
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