जयपुर। राजस्थान के अलवर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील के हसनपुरा गांव में रोजगार के माकूल संसाधन नहीं है। यहां के ज्यादातर दलित परिवार लघु कृषक या फिर खेतिहर मजदूर हैं। एक दशक पूर्व गांव के कई दलित परिवार रोजगार की तलाश में दिल्ली चले गए। रामधन बलाई भी 2012 में परिवार सहित दिल्ली जाकर मजदूरी करने लगा। जाते समय गांव के अपने पुस्तैनी मकान पर ताला लगा कर गया।
रामधन कहता है कि वह बीच-बीच में गांव आकर घर को संभाल कर जाता था। सब कुछ ठीक चल रहा था। परिवार के सभी लोग दिल्ली में मजदूरी कर परिवार चला रहे थे।
गत वर्ष अक्टूबर महीने में गांव आया तो पैरों तले जमीन खिसक गई। उसके पुश्तैनी आशियाने में कुछ लोग रह रहे थे। उन्हें उल्हाना दिया तो जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर मारपीट की तथा वहां से भगा दिया। रामधन कहता है कि वह रोजगार के लिए दिल्ली गया था। गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने घर ही छीन लिया। अब गांव में सर छिपाने के लिए झोपड़ी तक नहीं है।
द मूकनायक से पीड़ित रामधन बलाई ने कहा कि 28 अक्टूबर 2022 की शाम को 6 बजे वह गांव के अपने घर पहुंचा तो सब कुछ बदला हुआ था। उसके घर व आंगन में कोई और ही नजर आया। यह सब देख पैरों तले जमीन खिसक गई। खुद को संभालते हुए अपने आशियाने में पहुंचा तो वहां गांव के ही रामचरण पुत्र हुकमचन्द सैनी, भुरजी पुत्र रामचरण, फतह सिंह पुत्र रामचरण, पप्पू पुत्र रामचरण, लच्छो पत्नी रामचरण जाती माली, सोनदेही पत्नी भूरजी, गुलकन्दी पत्नी फतह सिंह, चंदा पत्नी पप्पू, बनवारी माली निवासी हसनपुरा व हरसाना का बास निवासी बरकत मेव रह रहे थे। इन लोगों ने घर का ताला तोड़ कर जबरदस्ती कब्जा जमा लिया था। घर के साथ लगी 12-13 बिस्वा भूमि पर भी कब्जा जमा कर बैठे थे। घर का सामान भी आरोपियों ने चोरी कर लिया था।
रामधन बलाई कहते हैं कि जब उसने आरोपियों को उसके घर में रहने का कारण पूछो तो आरोपियों ने उसे बाहर निकलने को कहा। विरोध करने पर जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए मारपीट शुरू कर दी। आरोपियों ने कहा कि यहां तेरा कुछ नहीं है। दिल्ली जा मजदूरी कर। इस घटना के सम्बंध में उसने लक्ष्मणगढ़ पुलिस थाने में शिकायत दी। इस पर पुलिस ने उक्त आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया, लेकिन अभी तक उसे न्याय नहीं मिला। वह अपने पुश्तैनी मकान के लिए दर-दर भटक रहा है। कोई उसकी सुनवाई नहीं कर रहा है।
पीड़ित रामधन बलाई ने अपने पुश्तैनी आवास को खाली कराने के लिए जिला कलक्टर व एसडीएम लक्ष्मणगढ़ को कई बार लिखित गुहार भी लगाई, लेकिन किसी ने भी सुनवाई नहीं की। आरोपियों की राजनीतिक पहुंच है। राजनीतिक दबाव के कारण अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं।
पीड़ित रामधन ने कहा कि गांव की बसावट के समय से उक्त भूमि पर उसके पूर्वज काबिज हैं। लगती हुई कुछ भूमि 1983 में उनके पूर्वजों ने किसी से खरीदी थी। इसका लिखित प्रमाण है, लेकिन आरोपी जानबूझ कर इस प्रमाण को नजरअंदाज कर रहे हैं।
रामधन कहते हैं कि 1985 में उनके पिता के नाम से इंदिरा आवास योजना के तहत स्वीकृति मिलने पर पक्का निर्माण करवाया था। इस मकान में उनके बिजली कनेक्शन भी लगा। इन सब सबूतों को भी अफसर मानने को तैयार नहीं है। क्योंकि वह अनुसूचित जाति से आता है। इसलिए उसे न्याय नहीं मिल रहा है।
रामधन मीना ने कहा कि जब सरकारी अफसरों ने नहीं सुनी तो भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष रविकुमार मेघवाल को पत्र लिख कर मदद मांगी है। इस पर भीम सेना प्रदेश महासचिव शेरसिंह ने उनकी पीड़ा सुनी है।
शेर सिंह ने द मूकनायक को बताया कि पीड़ित परिवार को साथ लेकर मंगलवार को बहुजन कार्यकर्ताओं के साथ एसडीएम लक्ष्मण गढ़ सुभाष यादव व स्थानीय पुलिस अधिकारियों से मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाई है। अधिकारियों से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है। ऐसे में अब लक्ष्मणगढ़ में धरने पर बैठ रहे हैं। जब तक पीड़ित परिवार को उनका आशियाना नहीं मिल जाता आंदोलन करेंगे। हक के लिए लड़ेंगे।
द मूकनायक ने लक्ष्मणगढ़ उपखण्ड अधिकारी सुभाष यादव से बात करते हुए इस पूरे मामले की सच्चाई जानने का प्रयास किया। उपखण्ड अधिकारी ने कहा कि इस सम्बन्ध में पीड़ित की तरफ से कई बार शिकायत मिली है। जांच के लिए पुलिस को लिखा है। लक्ष्मणगढ़ पुलिस थाने में भी मामला दर्ज हुआ है। पुलिस इसकी जांच कर रही है। पीड़ित ने जहां तक मुझे बताया कि उनके पिता ने इंदिरा आवास योजना के तहत यह मकान बनवाया था, लेकिन इसके अलावा पीडि़त अभी तक कोई भी कब्जा सम्बन्धी रिकॉर्ड या दस्तावेज पेश नहीं कर पाया है। किसी ने कब्जा कर लिया है तो पुलिस जांच कर रही है। एसडीएम ने अंत मे कहा कि पुलिस को वास्तविक जांच के निर्देश दे दिए हैं।
वृत्ताधिकारी लक्ष्मणगढ़ राजेश शर्मा ने कहा कि इस संबंध में रामधन बलाई की रिपोर्ट पर मुकदमा दर्ज कर दोषियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। चालान न्यायालय में पेश कर दिया है। अब यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। वृत्ताधिकारी ने कहा पीड़ित का कहना है कि कब्जाधारियों को हटा कर उन्हें स्थापित किया जाए। पुलिस ने पुलिस का काम कर दिया है। सम्बन्धित अधिकृत विभाग अतिक्रमण हटाने के लिए फोर्स मांगेगा तो हम देने को तैयार हैं।
अलवर के हसनपुर गांव के अतिक्रमण मामले में अलवर जिला कलक्टर द्वारा अतिक्रमण हटाए जाने के आदेश के बाद भी लक्ष्मणगढ़ प्रशासन मनमानी कर रहा है। अगर जल्द से जल्द प्रशासन द्वारा पीड़ित परिवार को उसके स्वयं के आवास पर कब्जा नहीं दिलाया गया तो भीम सेना द्वारा जिला मुख्यालय का घेरावकर आंदोलन किया जाएगा। जिसका जिम्मेदार शासन-प्रशासन होगा। जैसा कि भीम सेना प्रदेशाध्यक्ष रवि कुमार मेघवाल ने द मूकनायक से कहा।
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