चुरू। देश कहने को तो प्रगति कर रहा है, विकास हो रहा है लेकिन देश में दलितों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। दलितों के साथ अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कहीं किसी के साथ मारपीट की जा रही है तो कहीं किसी दलित महिला को हवस का शिकार बनाया जा रहा है। और अगर बात राजस्थान की करें तो शायद ही कोई ऐसा दिन होगा जब राजस्थान से दलितों के साथ अत्याचार के मामले सामने न आए हों। अब एक बार फिर से राजस्थान में एक दलित युवक को प्रताड़ित किया गया।
क्या है पूरा मामला?
ताजा मामला राजस्थान का है। राजस्थान के चुरू जिले में इस सप्ताह की शुरुआत में एक 25 वर्षीय दलित व्यक्ति के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई। उसके साथ न सिर्फ मारपीट बल्कि उसके साथ अमानवीय व्यवहार भी किया गया। कथित तौर पर पीड़ित को पेशाब पीने के लिए मजबूर भी किया गया।
26 जनवरी की रात रुखसार गांव निवासी 25 वर्षीय दलित पर हमला किया गया था। गांव के ही जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों ने उनके साथ मारपीट की।
27 जनवरी को दर्ज एफआईआर के अनुसार, "पीड़ित ने कहा कि जिस रात पूछताछ की जा रही थी, उसी रात उनके गांव का एक उमेश जाट उनके घर आया और मुझे अपने साथ जाने के लिए कहा। जब मैंने ऐसा करने से इनकार कर दिया, तो उमेश की कार में सात अन्य लोगों ने जबरदस्ती मुझे बैठाया और पास के एक खेत में ले गए। और खेत में अमर्यादित व्यवहार किया।"
पेशाब पीने पर किया मजबूर
दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पीड़ित ने बताया कि आरोपियों ने खेत में ले जाकर उनके साथ मारपीट की। एफआईआर में उसने बताया कि "आरोपियों ने शराब की एक बोतल निकाली और मुझे जबरन पिलाया।''
उसने आगे बताया, "शराब की बोतल खाली होने के बाद राकेश, राजेश, उमेश, ताराचंद, अक्षय, दिनेश, बिदादी चंद और बीरबल ने उस बोतल में पेशाब किया। आरोपियों ने वो पेशाब भी मुझे पिलाई।"
जातिसूचक गालियां भी दी
पीड़ित की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि आरोपियों ने जातिवादी गालियां भी दी। आरोपियों ने पीड़ित को गाली दी और दलितों के लिए अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करते हुए धमकी भी दी।
इतना ही नहीं आरोपियों ने दलितों के जाट समुदाय के साथ टकराव करने के दुस्साहस पर सवाल उठाया और कहा कि उन्हें "इसके लिए एक सबक सिखाया जाएगा"।
एफआईआर में पीड़ित ने बताया कि "इन सभी ने मुझे लगभग आधे घंटे तक डंडे और रस्सियों से पीटा, जिससे मेरे पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं।"
उसने कहा कि आरोपियों ने बाद में मुझे मरा समझकर गांव में फेंक दिया और मेरा मोबाइल फोन ले गए। पीड़ित ने यह भी आरोप लगाया कि होली पर वाद्य यंत्र बजाने को लेकर हुए विवाद के कारण आरोपी की उससे व्यक्तिगत दुश्मनी थी, जिसका बदला उन्होंने ऐसे लिया है।
मामले में 8 पर केस दर्ज
रतनगढ़ पुलिस स्टेशन में पीड़ित ने अपनी शिकायत दर्ज कराई है। एफआईआर में उसने आरोपियों के नाम भी लिखवाए हैं। आठ लोगों – उमेश, राजेश, ताराचंद, राकेश, बीरबल, अक्षय, दिनेश और बिदादी चंद – को प्राथमिकी में आरोपी के रूप में नामित किया गया है।
इन आठ आरोपियों पर धारा 143 (गैरकानूनी सभा), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 365 (अपहरण) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की संबंधित धाराओं के साथ आईपीसी की धारा 382 (चोरी करने के लिए मौत, चोट या संयम पैदा करने के लिए की गई तैयारी के बाद चोरी) के इरादे से गुप्त रूप से और गलत तरीके से व्यक्ति को कैद करने के तहत केस दर्ज किया गया है।
आरोपियों को पकड़ने में जुटी पुलिस
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि पीड़ित के आरोप सही थे। पीड़ित ने जिन लोगों के नाम लिए वो इस घटना में शामिल थे।
रतनगढ़ सर्कल अधिकारी हिमांशु शर्मा ने कहा "हम आरोपी को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रथम दृष्टया पीड़ित द्वारा लगाया गया मारपीट का आरोप सही पाया गया है। सभी आरोपी लगभग उसी उम्र के हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि विवाद हुआ था।"
पुलिस ने बताया कि शिकायतकर्ता (पीड़ित) ने कहा है कि ''करीब एक साल पहले उसने एक वाद्य यंत्र गिरा दिया था और आरोपी पक्ष ने कुछ टिप्पणी की थी, जिससे दुश्मनी हुई थी। हम इसकी जांच कर रहे हैं। पीड़ित चलने-फिरने में सक्षम हैं और उनकी अधिकांश चोटें उनकी पीठ पर हैं, जो रस्सियों से बांधने के कारण आई हैं। "
शर्मा ने कहा कि पुलिस को इस आरोप के संबंध में कोई सबूत नहीं मिला है कि पीड़ित को पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया था। "हम जांच कर रहे हैं। सभी आरोपी जाट समुदाय से हैं। हमें उम्मीद है कि जल्द ही गिरफ्तारियां हो जाएंगी।"
हिमांशु शर्मा ने साफ कहा कि, इस मामले में जांच जारी है और आरोपियों को जल्द से जल्द धर दबोचा जाएगा।
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