राजस्थान। अंतर्राष्ट्रीय मेडलिस्ट, भारत के राष्ट्रपति के द्वारा सम्मानित और अनगिनत मेडल जीतने वाली भारत की पहली दलित महिला बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह के साथ बीते दिनों एक ऐसी घटना हुई जो उनकी सालों की मेहनत पर पानी फेर सकती है। उनके नाम से फेसबुक पर एक फेसबुक ग्रुप बनाया गया, जिस में अश्लील फोटो और वीडियो पोस्ट किए जा रहे थे। इस बात की जानकरी प्रिया को उनके एक परिजन से मिली। उन्होंने तुरंत इस बात की जानकरी जयपुर पुलिस को दी, केस दर्ज कर लिया गया। जयपुर पुलिस का साइबर सेल इस मामले में जांचकर रहा है। लेकिन प्रिय की कहानी इतनी ही नहीं, इस से कहीं अधिक है।
द मूकनायक से बात करते हुए प्रिया ने पूरी घटना के बारे में बताया। वे कहती है कि यह ग्रुप देखने के बाद उसके पास एक बच्ची का फोन आया, वह बच्ची कहती ही कि मैं आपको बहुत अच्छी मानती थी, आप मेरी प्रेरणा थी, पर अब नहीं। यह बात बताते हुए प्रिया भावुक हो जाती हैं, "सालों की मेहनत से कमाया नाम बदनामी में बदल रहा है। अगर ऐसा मेरे साथ होगा तो आने वाली पीढ़ी में विश्वास कहाँ से आएगा, कि वे भी यह मकाम हासिल कर सकते हैं", वह कहती हैं "आप पहले हैं जिन्होंने मुझे फोन किया है और जानना चाहते हैं कि मैं क्या सोच रही हूँ, नहीं तो सभी मीडिया वालों ने मेरे ट्वीट को ही खबर के रूप में छाप दिया है। यह कोई नहीं जानना चाहता कि जिस खिलाड़ी को राष्ट्रपति ने सम्मानित किया हो वह आज किस हालत में है? मैं हर स्तिथि से लड़ने के काबिल हूँ, पर जब बात चरित्र पर आती है तो महिला कमजोर पड़ने लगती है। कुछ पत्रकार तो इस खबर को छापने में भी एहसान दिखा रहे हैं।"
प्रिय की शादी बचपन में ही हो गई थी। उनका बालविवाह हुआ था। वह 13 साल की थी तब वह माँ बनी। जब वे खुद बच्ची थीं उन्हें एक बच्ची को भी संभालना था। जैसे-तैसे वे इस शादी से बाहर आती हैं और एक नई जिंदगी शुरू करने की कोशिश करती हैं, वह जिंदगी जो उनकी खुद की थी। वहीं से शुरू होता है प्रिया का 'प्रिया सिंह बॉडीबिल्डर' बनने का सफर। एक महिला, एक अकेली माँ और एक महिला खिलाड़ी की राह उतनी ही मुश्किल है जितना की कांटों भरी सड़क पर नंगे पैर चलना। पर राष्ट्रपति के द्वारा सम्मानित किए जाने के बाद तो राह कुछ आसान हुई होगी? ऐसा आम लोगों को लग सकता है। लेकिन प्रिया बताती हैं कि उस सम्मान के बाद जीवन और मुश्किल हुआ है। इंटरनेशनल मेडल जीतने और राष्ट्रपति के द्वारा सम्मान प्राप्त करने के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। मेडल जीतने के बाद उन्हें कई जगह सम्मानित करने के लिए बुलाया जाने लगा उसके लिए उन्हें काम से छुट्टी चाहिए थी। छुट्टी मांगने पर उनसे कहा गया कि या तो वे ये सम्मान ले लें या नौकरी ही कर लें। दोनों साथ में नहीं चल सकता। लिहाजा उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। एक तरफ पूरी दुनिया उनको सम्मानित करने में लगी थी दूसरी तरफ वे बेरोजगार हो चुकी थीं।
यह शर्मनाक है कि जो महिला देश का नाम ऊँचा कर रही है, आने वाली पीढ़ी के लिए मिसाल बन रहीं हैं, उन पर ही आजीविका का संकट मंडरा रहा है। प्रिया की बेटी पढ़ाई कर रहीं है। बारहवीं पास कर चुकी हैं और ग्राफिक डिजाइनिंग का कोर्स कर रहीं हैं। प्रिय बड़े ही भावुक लहजे में बताती हैं कि इतना सम्मान मिलने के बाद भी उनकी बेटी घर बैठी है क्योंकि वे इंस्टिट्यूट की फीस नहीं भर पा रही हैं। इस सब पर यह घटना हौसला तोड़ देने वाली है।
प्रिया सिंह राजस्थान के बीकानेर की रहने वाली हैं। परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी जिसकी वजह से उन्हें नौकरी करनी पड़ी। प्रिया ने जिम में नौकरी के लिए अप्लाई किया और उनकी अच्छी पर्सनैलिटी को देखते हुए उन्हें नौकरी मिल भी गई। यहीं से प्रिया सिंह ने जिम ट्रेनिंग शुरू की और अब वह देश की कामयाब महिला बॉडी बिल्डर हैं।
प्रिया सिंह दो बच्चों की मां भी हैं, लेकिन उन्होंने परिवार, ट्रेनिंग और प्रतियोगिताओं को बखूबी संभाला है। हालांकि हाल में उनकी नौकरी छूट गई है। दलित समुदाय से आने वाली प्रिया सिंह ने चंद्र शेखर आजाद सरीखे कई नेताओं से मुलाकात की है। इन नेताओं ने प्रिया सिंह के लिए आवाज भी उठाई है कि इतनी बड़ी प्रतियोगिता जीतने के बावजूद सरकार की ओर से प्रिया को कोई मदद नहीं मिली है।
यह भी पढ़ें-
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.