भोपाल। दलित डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को सरकार से त्यागपत्र स्वीकार कराने की मांग भारी पड़ रही है। सोमवार को भोपाल स्थित बोर्ड ऑफिस चौराहे पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के बाद पुलिस ने बांगरे पर मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया। उनको पुलिस कमिश्नर ऑफिस में पेश किया गया, लेकिन जमानत नहीं मिलने से उन्हें भोपाल की सेंट्रल जेल भेज दिया गया।
दरअसल, इस्तीफा स्वीकार करने की मांग को लेकर निशा बांगरे मुख्यमंत्री आवास के सामने आमरण अनशन करने जा रही थी। सुबह को उन्होंने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद वह बोर्ड ऑफिस चौराहे से जैसे ही आगे बढ़ी वहां भारी संख्या में मौजूद पुलिस ने उन्हें रोक लिया। पुलिस ने जबरन उन्हें गाड़ी में बैठाने का प्रयास किया।
पुलिस प्रशासन से सीएम हाउस तक जाने की परमिशन मांगी, मौके पर मौजूद अधिकारियों ने उन्हें पुलिस बैन में बैठने को कहा। जिसके बाद निशा बांगरे और उनके साथ मौजूद समर्थक सड़क पर बैठ गए। पुलिस की खींचतान से उनके हाथों में डॉ. आंबेडकर की फोटो भी टूट गई। पुलिस ने उनके समर्थकों घसीटते हुए पुलिस बैन में बंद कर दिया। इस दौरान उनके कपड़े भी फट गए।
प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने करीब एक दर्जन समर्थकों को हिरासत में लिया था, जिन्हें शाम को छोड़ दिया गया, लेकिन पुलिस ने बांगरे पर धारा 151, 107 और 116 में कार्रवाई की शाम को उन्हें पुलिस कमिश्नर ऑफिस ले जाया गया, जहाँ जमानत की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण लालघाटी स्थित केंद्रीय जेल भेज दिया गया। खबर लिखे जाने तक निशा बांगरे को जमानत नहीं मिली थी।
द मूकनायक ने बांगरे के पति सुरेश अग्रवाल से बातचीत की उन्होंने कहा पुलिस प्रशासन के द्वारा जानबूझकर निशा को देर शाम को पेश किया गया। जिसके कारण जमानत नहीं हो सकी। सुरेश ने बताया कि उनका बच्चा तीन साल का है और वह अपनी माँ को आस-पास नहीं पाकर पिछले 24 घण्टे से रो रहा है। बेटा हर घण्टे अपनी माँ को याद कर रो रहा है। सुरेश ने कहा प्रशासन उनकी पत्नी को परेशान कर रहा है, जब वह नौकरी नहीं करना चाहती तो उसका इस्तीफा स्वीकार करने में क्या समस्या है।
इसी साल जून में डिप्टी कलेक्टर पद से निशा बांगरे ने त्याग पत्र प्रमुख सचिव राजस्व विभाग को भेजा था। विभाग से बैतूल जिले के आमला स्थित अपने मकान के गृहप्रवेश और सर्वधर्म प्रार्थना सम्मेलन में शामिल होने के लिए छुट्टी मांगी थी, लेकिन विभाग ने छुट्टी देने से मना कर दिया। छुट्टी नहीं मिलने की वजह से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन इस्तीफा सरकार ने मंजूर नहीं किया।
निशा बांगरे ने पद से दिए इस्तीफा को मंजूर कराने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बांगरे ने त्याग पत्र मंजूर करवाने के लिए आमला से भोपाल तक न्याय यात्रा शुरू कर दी। अपने हक अधिकारों की बात करते हुए हाथ में संविधान की किताब लिए हुई पैदल भोपाल तक यात्रा कर रही थीं।
वर्ष 2021 में मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की थी। जिसके बाद दोनों ही शहरों में पुलिस कमिश्नर न्यायालय बनाए गए। पुलिस कोर्ट में 151, 107 और 116 जैसी बाउंड ओबर धाराओं में जमानत दे दी जाती है। पहले इन धाराओं में तहसीलदार और एसडीएम कोर्ट मुचलका पर जमानत देते थे।
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