जयपुर। जोधपुर पुलिस ने दलित एक्टिविस्ट व युवा नेता गीगराज जोड़ली को गत दिनों गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। पुलिस का आरोप है कि जोड़ली के पास से प्रसिद्ध पीर बाबा रामदेवजी से संबंधित आपत्तिजनक साहित्य मिला है, जिससे जातीय वैमनस्य फैलने की आशंका है।
संवैधानिक विचार मंच राजस्थान व आजाद विद्रोही संगठन से जुड़े गीगराज जोड़ली उर्फ आजाद विद्रोही को जोधपुर शहर के एक होटल से गिरफ्तार किया गया। पुलिस के द्वारा गीगराज जोड़ली के पास से अलग-अलग साइज के 290 पोस्टर मिलने का दावा किया गया है। रामदेवजी मंदिर को लेकर दलितों के हक अधिकार सहित कई अन्य आपत्तिजनक शब्दावली लिखे इन पोस्टरों को जोड़ली जोधपुर के मसूरिया और जैसलमेर पोकरण रामदेवरा में चश्पा करने जा रहे थे। इन दोनों जगहों पर रामदेवजी के प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पोस्टर चश्पा होने से सामाजिक सौहार्द एवं कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति पैदा हो सकती थी।
जोधपुर शहर पश्चिम थाना सरदारपुरा में तैनात उपनिरीक्षक शैतान चौधरी की रिपोर्ट पर थाना पुलिस ने गीगराज के खिलाफ विभिन्न वर्गों के खिलाफ शत्रुता पैदा करने, सौहार्द बिगाड़ने और वैमनस्य पैदा करने के आरोप में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153, 295 व 505 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
सरदारपुरा पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार शैतान चौधरी ने बताया कि वह सात अगस्त को थाना इलाके में गश्त कर रहे थे। इस दौरान उन्हें सूचना मिली की एक व्यक्ति जो सरदारपुरा थाना क्षेत्र के होटल शुगन पैलेस में संदिग्ध पोस्टरों के साथ है। उसे दस्तयाब किया गया।
आरोपी को सरदारपुरा थाने लेकर आए। पूछताछ के दौरान उसने अपना नाम गीगराज उर्फ आजाद विद्रोही बताया। तलाशी लेने पर आरोपी के बैग से तीन अलग-अलग साइज के पोस्टर मिले। जिस पर आपत्तिजनक शब्दावली लिखी मिली। उक्त शख्स का कृत्य विभिन्न वर्गों के मध्य शत्रुता पैदा करना। सौहार्द बिगाड़ना, विभिन्न वर्गों के मध्य वैमनस्य पैदा करना व लोगों की भावना आहत करना प्रतीत होता है। अपराध की श्रेणी में आता है।
जोधपुर के अधिवक्ता किशन मेघवाल ने द मूकनायक को बताया कि पुलिस ने आपत्तिजनक पोस्टर रखने व उन्हें पोकरण और जोधपुर के मसूरिया में चिपकाने की आशंका में गीगराज को गिरफ्तार किया कर प्राथमिकी दर्ज की है। जमानत खारिज कर दी है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में हक और अधिकार की बात करने वाले बहुजनों के साथ ऐसा ही होता है। उन्हें या तो जेल में बंद कर दिया जाता है या फिर झूठे मुकदमों में फंसा दिया जाता है।
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