मध्य प्रदेश: दलित की शादी में खाना खाने पर युवक को उसके OBC समाज की पंचायत ने 5100 रुपये का सुनाया अर्थदंड

मध्य प्रदेश: दलित की शादी में खाना खाने पर युवक को उसके OBC समाज की पंचायत ने 5100 रुपये का सुनाया अर्थदंड
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भोपाल। मध्य प्रदेश में छुआ-छूत और जातिगत भेदभाव के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हाल ही में प्रदेश के राजगढ़ जिले में दलित समाज के शादी समारोह में खाना खाने पर एक पिछड़ा वर्ग के युवक पर उसके समाज के लोगों ने 5100 रुपए जुर्माना लगा दिया। वहीं बाल कटवाने और शिप्रा नदी में स्नान करने का पंचायती फरमान भी सुना दिया। जब पंचायत के फैसले की जानकारी दलित वाल्मीकि समाज के लोगों को लगी तो वे भड़क गए। उन्होंने थाने में शिकायत दर्ज कर दूसरे पक्ष के लोगों पर कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही दलित समाज के लोगों ने तीन दिन के भीतर कार्रवाई नहीं होने पर हिंदू धर्म छोड़ने की चेतावनी दी है।

क्या है पूरा मामला?

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के माचलपुर में मालाकार समाज (पिछड़ा वर्ग) के एक युवक ने दलित वाल्मिकी समाज की शादी समारोह में खाना खाया था। इसकी जानकारी मालाकार समाज के लोगों को मिली, इस पर समाज के लोगों ने पंचायत लगाकर उसे सजा का फरमान सुना दिया। इस पूरे मामले की जानकारी जब वाल्मीकि समाज को पता लगा कि छुआ-छूत के कारण उनके यहाँ शादी में आये मालाकार समाज के युवक को उनके यहाँ खाना खाने पर मुंडन, और शिप्रा नदी में स्नान करने का पंचायती फरमान सुनाया गया है। तब वाल्मीकि समाज के लोगों ने सफाई के काम का बहिष्कार कर दिया। उन्होंने थाने में मालाकार समाज के लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराकर कार्रवाई की मांग की है।

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वाल्मीकि समाज में आक्रोश

मालाकार समाज के युवक को समाज की पंचायत द्वारा सजा सुनाने के फैसले के बाद वाल्मीकि समाज (अनुसूचित जाति) में आक्रोश है। समाज के लोग माचलपुर थाना पहुंचे। थाना प्रभारी को कार्रवाई करने की मांग कर ज्ञापन सौंपा। वाल्मीकि समाज के राकेश मकवाना ने बताया कि 5 जून को उनके समाज में एक शादी का आयोजन था। इसमें मालाकार समाज के परिचित व्यक्ति ने समारोह में भोजन किया था। इस पर मालाकार समाज ने उस पर अर्थदंड किया और सिर मुंडवाने का दबाव बना रहा है। इस फैसले से हमारा समाज आहत है। समाज अपने आप को अपमानित महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि नीची जाति होने के कारण मामला छुआछूत का है। "हमने एक दिन सफाई कार्य बंद कर उक्त समाज के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है। प्रशासन यदि तीन दिन में कार्रवाई नहीं करता तो हम सफाई का कार्य पूरी तरह बंद कर देंगे।" समाज के लोगों ने सामूहिक हिन्दू धर्म छोड़ने की बात कही है।

फोटो की वायरल होने के बाद पंचायत ने सुनाया फ़रमान

वाल्मीकि समाज के यहां शादी समारोह का आयोजन था। उन्होंने अन्य समाज के लिए अलग से भोजन की व्यवस्था की थी। इसमें पार्षद पवन राठौर, पार्षद प्रतिनिधि बजरंग लववंशी, पार्षद पवन दांगी, ओम मालाकार पहुंचे थे। इन्होंने अलग से की गई भोजन व्यवस्था के स्थान पर वाल्मीकि समाज के लोगों के साथ बैठकर खाना खाया और फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए थे। कई लोगों ने इसकी तारीफ की थी, लेकिन जब फोटो वायरल हो गए तो मालाकार समाज के लोगों ने इस पर आपत्ति करते हुए समाज की पंचायत बुलाई, और पंचायत में युवक को वाल्मीकि समाज के शादी में खाना खाने का दोषी मानते हुए अर्थदंड सहित मुंडन कराकर नदी में स्नान करने का फरमान सुना दिया। वहीं ऐसा नहीं करने पर युवक को समाज से बहिष्कृत करने की सजा सुना दी। इधर थाना प्रभारी जितेन्द्र अजनारे ने बताया, कि हमारे पास वाल्मीकि समाज के लोगों ने ज्ञापन दिया है। दोनों पक्षों को बुलाया गया है। पक्ष सुनने के बाद नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। 

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जातिगत भेदभाव करना कानून अपराध

भोपाल के एडवोकेट विधि विशेषज्ञ मयंक सिंह ने बताया कि किसी भी एससी और एसटी के व्यक्ति से जातिगत भेदभाव करना, और दुर्व्यवहार करने पर अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत मामला पंजीबद्ध किया जाता है। कानून जे तहत दोष साबित होने पर आरोपी को 7 साल तक की कैद और आर्थिक दंड की सजा का प्रावधान है। पुलिस इस मामले में समाज के पंचायत सदस्यों पर मामला दर्ज कर सकती है।

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