मुम्बई- सरकारी आदेशों (GR) में मानसून के दौरान अवैध बस्तियों को ध्वस्त नहीं करने के स्पष्ट नियम के बावजूद बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने पवई स्थित जय भीम नगर झुग्गी में अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत लगभग 750 परिवारों के आशियाने उजाड़ कर इन्हे मानसून के दौरान बेघर कर दिया.
बताया जाता है यह बस्ती 1984 के आस-पास निर्माण कार्य के दौरान लेबर कैंप के रूप में बसी थी जिसके बाद यहाँ कामगार परिवारों की तीन पीढ़ियां रहने लगी. यहाँ महाराष्ट्र के अलावा बंगाल, आन्ध्र प्रदेश और अन्य राज्यों से आये परिवार भी शामिल हैं.
यह ध्वस्तीकरण अभियान 6 जून को हुआ, जो लोकसभा चुनावों की घोषणा के ठीक दो दिन बाद का दिन था। मकान उजड़ने से बेघर हुए सैकड़ों परिवार बीते दो सप्ताह से खुले आसमान के नीचे बसर करने को मजबूर हैं.
भारतीय संविधान के पितामह डॉ. बी.आर. आंबेडकर के प्रपौत्र और द बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इण्डिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजरत्न अशोक आंबेडकर ने जय भीम नगर झुग्गी वासियों के समर्थन में आन्दोलन की चेतावनी दी है. राजरत्न आंबेडकर मंगलवार को अनिश्चितकालीन हडताल पर बैठे लेकिन कुछ ही घंटों में आधिकारिक पक्ष की ओर से मध्यस्थ वार्ता की पेशकश और दो दिन में मसले पर समाधान निकलने के आश्वासन के बाद धरना समाप्त हुआ.
द मूकनायक से ख़ास बातचीत में राजरत्न आंबेडकर ने बताया कि झुग्गी में रहने वाले अधिकांश परिवार अनुसूचित जातियों से ताल्लुक रखते हैं और मजदूरी, रिक्शा चलाकर या अन्य छोटे मोटे काम कर जीवन यापन करते हैं. " सरकारी नियमों के मुताबिक 1 जून से 30 सितंबर के बीच ध्वस्तीकरण पर रोक है, लेकिन शिंदे सरकार ने भाजपा के इशारे पर झुग्गी को ध्वस्त कर दिया, मकान तो तोड़े ही लेकिन सबसे गलत बात की पुलिस ने बेगुनाह बस्ती वालों के साथ मारपीट की. औरतों, बच्चों और बुजुर्गों को पीटा, यहाँ तक की पुलिस की बर्बरता से एक गर्भवती महिला का गर्भपात हो गया जो घोर निंदनीय है"
आंबेडकर ने ध्वस्तीकरण को मानवाधिकारों और कानूनी मानदंडों का घोर उल्लंघन बताया। उन्होंने बताया कि स्लम के निवासी, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल सहित विभिन्न राज्यों के दलित हैं, को ध्वस्तीकरण से पहले कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के अतिक्रमण विरोधी अभियान को शुरू करने के लिए जिला कलेक्टर की अनुमति आवश्यक होती है, जिसे BMC ने स्पष्ट रूप से नजरअंदाज कर दिया।
आंबेडकर ने बताया कि नियम स्पष्ट रूप से मानसून के दौरान बेदखली पर रोक लगाते हैं ताकि झुग्गी निवासियों को असुरक्षित वातावरण में नहीं रहना पड़े.
"मानसून के दौरान, वे किसी को भी उनके घर से निकालने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, और इस नियम से संबंधित कई सरकारी प्रस्ताव हैं जिन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है," आंबेडकर ने बताया.
ध्वस्तीकरण के बाद से बस्ती वाले बिना आश्रय, भोजन या कपड़ों के सडकों पर दिन रात गुजार रहे हैं, इनमे काफी महिलाएं और बच्चे हैं जो सुरक्षित नहीं हैं. इस सबके साथ ही पुलिस ने अभियान के दौरान विरोध करने वालों पर पथराव और मारपीट के झूठे मामले बना दिए . अधिकांश परिवार विभिन्न अनुसूचित जाति समुदायों से हैं और 25 से 30 वर्षों से निवासी हैं।
अभियान को राजनीतिक द्वेष से प्रेरित बताते हुए आंबेडकर ने कहा ," 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आये और ठीक 2 दिन बाद ध्वस्तीकरण की कारवाई हुई. यहाँ से कांग्रेस पार्टी की वर्षा गायकवाड़ के चुनाव जीतने के बाद, राजनीतिक प्रतिशोध के तहत भाजपा ने कारवाई की है. राजरत्न आंबेडकर ने आरोप लगाया कि जिन क्षेत्रों में निवासियों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को वोट नहीं दिया, वहां के घरों को जानबूझकर निशाना बनाया गया, और इस कृत्य को पूरी तरह से घृणास्पद बताया।
आंबेडकर से वार्ता के लिए आये प्रतिनिधियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है, जिसमें विस्थापितों के लिए वैकल्पिक आवास की व्यवस्था, ध्वस्तीकरण के लिए जिम्मेदार BMC अधिकारी का निलंबन और हिंसा में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करना शामिल है। उन्होंने जोर दिया कि समुदाय तब तक आराम नहीं करेगा जब तक न्याय नहीं मिल जाता।
राजरत्न ने द मूकनायक को बताया कि हम माध्यम मार्ग चाहते हैं, विस्थापित झुग्गी वासियों के लिए मकान की मांग जायज है, इन्हें वैकल्पिक स्थान पर मकान दिए जाए, विपक्षी द्वारा दो दिन की मोहलत मांगी गई है , अगर इन दो दिनों में उचित निर्णय नहीं किया जाता है तो हम अपना आन्दोलन दुबारा शुरू करेंगे, अस्थायी रूप से धरना उठाया गया है.
हालांकि, इन्डियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में, एक वरिष्ठ नागरिक अधिकारी ने कहा, "GR वैध है, लेकिन जय भीम नगर में ध्वस्तीकरण अभियान अदालत के आदेशों के आधार पर BMC द्वारा चलाया गया था।" आचार संहिता लागू होने के कारण ध्वस्तीकरण में देरी हुई थी।
इस बीच, अधिकारियों का दावा है कि जमीन निजी स्वामित्व की थी लेकिन 2007 में हीरानंदानी बिल्डर के लिए एक अस्थायी श्रमिक शिविर के लिए दी गई थी। जब बिल्डर ने उस समय जमीन खाली नहीं की, तो कई व्यक्तियों ने इसे खाली करने के लिए MSHRC से संपर्क किया, और इसे खाली करने के लिए पहले भी प्रयास किए गए थे। HT की रिपोर्ट में एस वार्ड अधिकारी भास्कर कसगीकर ने BMC से अस्थायी आवास या मुआवजे की किसी भी संभावना से इनकार करते हुए कहा "भूमि का आरक्षण सरकारी कार्यालयों के लिए है। मालिक को इन्हें बनाना होगा,"
इधर, द मूकनायक ने बेघर हुए परिवारों की सुध लेने की कोशिश की. द बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इण्डिया के कोषाध्यक्ष शशिकांत जाधव ने बताया कि पुलिस ने मंगलवार को यहाँ बने हुए बौद्ध विहार के सामने भी धरने की अनुमति नही दी. कुछ स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा लोगों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था टैंकर के जरिये की जा रही है, खिचड़ी और बिस्किट आदि भी इन संस्थाओं के वालंटियर्स पहुंचा रहे हैं, लेकिन काम काज ठप पड़ने से परिवारों पर बड़ा संकट आ गया है.
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