मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना में दलित युवाओं को उद्योग के लिए दो करोड़ तक के लोन वितरण का प्रावधान है। लक्ष्य संख्या मात्र 10 है। प्रगति दिनांक तक आवेदनों की संख्या शून्य है। यानि इस योजना के अंतर्गत एक भी आवेदन नहीं किया गया। द मूकनायक के पड़ताल में सामने आया कि सरकार की योजनाओं की जानकारी दलित युवाओं को नहीं है।
भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम मर्यादित के द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं को नहीं मिल पा रहा है। एक तरफ सरकार इस वर्ग को लुभाने के लिए तमाम योजनाएं बनाती है, लेकिन धरातल पर इनका संचालन शून्य के जैसा दिखाई पड़ता है। हालात अब ये हैं कि अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की योजनाओं में आवेदनों के लक्ष्य और लाभार्थियों की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है। द मूकनायक ने अपनी पड़ताल में निगम में प्राप्त आवेदनों से लेकर लाभार्थियों की जानकारी ली। मिले आंकड़ों से मामला सिर्फ दलितों को लुभाने के बजाए कुछ और नहीं दिखता! पेश है हमारी यह खास रिपोर्ट…
मामले पर पूर्व में प्रकाशित रिपोर्ट में हमने बताया था कि अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम में सरकार द्वारा स्वीकृत 40 करोड़ की राशि का आवंटन आज तक नही हो पाया है। अब अनुसूचित जाति निगम प्राप्त आवेदनों को एकत्रित कर स्वीकृत राशि का इंतजार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, राशि कब तक निगम को मिलती है यह तय नहीं है। हालांकि जब द मूकनायक ने इस मामले को और भी गहराई तक समझने की कोशिश की तो मामले में सरकार की लापरवाही का एक और नया उदाहरण सामने आ गया।
दरअसल, अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम वर्तमान में 4 योजनाओं को संचालित कर रहा है। इन योजनाओं के तहत दलित युवाओं को व्यावसायिक रोजगार से जोड़ना और आर्थिक रूप से मजबूत करने का आशय है, लेकिन निगम की योजनाओं का लाभ दलित युवाओं को नहीं मिल रहा है। निगम के द्वारा योजनाओं के लिए निर्धारित लक्ष्य के आवेदन 20 प्रतिशत से कम है। वहीं योजनाओं में स्वीकृत आवेदन 10 प्रतिशत से भी कम है।
2022-23 के वित्तीय वर्ष में प्रगति दिनांक 31 अक्टूबर 2022 तक संत रविदास योजना का लक्ष्य संख्या 1000 हजार है, जिनमें 2219 आवेदन निगम को प्राप्त हुए। 261 आवेदन स्वीकृत किए गए और अंत में सिर्फ 251 लोगों को लोन वितरित हो सका।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण योजना के अंतर्गत निगम ने 10,000 (दस हजार) का लक्ष्य निर्धारित किया था। इस योजना के अंतर्गत सिर्फ 1592 आवेदन ही अनुसूचित वित्त विकास निगम को मिले हैं। इनमें सिर्फ 35 आवेदनों को स्वीकृत किया गया, इनमें भी 21 लोगों को योजना का लाभ मिल पाया।
सावित्रीबाई फुले स्व-सहायता समूह योजना के अंतर्गत महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को ऋण दिया जाना था। इस योजना का लक्ष्य 500 रखा गया है, जिसमें सिर्फ 19 आवेदन निगम को प्राप्त हुए, और 10 आवेदनों को स्वीकृत किया गया। वहीं इस योजना में प्रगति दिनांक तक वितरित संख्या शून्य है। यानी किसी भी दलित महिलाओं के स्व-सहायता समूह को इसका लाभ नहीं मिला है।
मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना में दलित युवाओं को उद्योग के लिए दो करोड़ तक के लोन वितरण का प्रावधान है। लक्ष्य संख्या मात्र 10 है। प्रगति दिनांक तक आवेदनों की संख्या शून्य है। यानि इस योजना के अंतर्गत एक भी आवेदन नहीं किया गया।
अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की संचालित योजनाओं के वर्तमान आंकड़ें सरकार के दलितों के प्रति उदासीनता को उजागर कर रहे हैं। योजनाओं को इसलिए बनाया गया था ताकि दलित युवा व्यावसायिक रोजगार से जुड़ सकें, लेकिन सरकार अनुसूचित जाति के लिए बनाई गईं योजनाओं को धरातल तक लाने में पूरी तरह से असफल है। इस मामले में जब द मूकनायक ने पड़ताल की तो जानकारी मिली कि सरकार की योजनाओं की जानकारी दलित युवाओं को नहीं है। इस मामले में द मूकनायक ने दतिया जिले के निवासी सुनील अहिरवार से बातचीत की। तो उन्होंने कहा कि उन्हें अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की किसी भी योजना की जानकारी नहीं है।
सरकार योजनाओं को प्रचार-प्रसार फेल!
अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम की योजनाओं का जिम्मा जिला स्तर पर कलेक्टर, जिला पंचायत कार्यालय और जिला आदिमजाति कल्याण कार्यालय के साथ ही जिला व्यापार एवं उद्योग विभाग को दिया गया है। इन्ही के माध्यम से आवेदन निगम तक भेजने की प्रक्रिया बनाई गई है। लेकिन जिले स्तर से ही योजनाओं का प्रचार-प्रसार नहीं हो रहा है। इस कारण से अनुसूचित जाति के सदस्यों को संचालित योजनाओं की जानकारी नहीं होती है। जब हमने इसे गहराई से समझा तब इस मामले में अधिकारियों की लापरवाही उजागर हुई। दरअसल योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए जिले की ग्राम पंचायत को संबंध में सूचना देकर लोगों योजनाओं से अवगत कराने का काम किया जाता है। लेकिन जिला प्रशासन ऐसी कार्यवाही नहीं कर रहा। जो लोग जिले के इन कार्यालयों में संपर्क करते हैं। उन्हीं को योजनाओं की जानकारी मिल पाती है। लेकिन जिले से दूर निवास कर ग्रामीण अंचलों के लोगों को योजनाओं की जानकारी नहीं लगती।
वर्तमान में 4 योजनाएं हो रही संचालित
1- सत रविदास स्वरोजगार योजना
संत रविदास स्वरोजगार योजना के तहत एक लाख रुपए से पचास लाख रुपए तक के उद्योग परियोजनाएं शामिल हैं। जैसे एग्रो प्रोसेसिंग, फूड प्रोसेसिंग, कोल्ड स्टोरेज व मिल्क प्रोसेसिंग इसी तरह की अन्य परियोजनाएं।
वहीं सेवा इकाई एवं खुदरा व्यवसाय प्रोजेक्ट में ब्यूटी पार्लर, वाहन मरम्मत, फुटवियर मरम्मत, किराना व्यवसाय व कपड़ा व्यवसाय के लिए परियोजना एक लाख रुपए से पच्चीस लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है। इस योजना के लिए आवेदक की शिक्षा आठवीं पास एवं न्यूनतम आयु 18 से 45 वर्ष होना अनिवार्य है। साथ ही आवेदक के परिवार की वार्षिक आय 12 लाख से अधिक नहीं होना चाहिए। योजना में निगम वित्तीय सहायता के लिए 5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अनुदान देता है।
2- डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर आर्थिक कल्याण योजना
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर आर्थिक कल्याण योजना दस हजार रुपए से एक लाख तक की स्वरोजगार परियोजनाएं शामिल हैं। इस योजना में संचालित व्यवसाय के विस्तार के लिए भी लोन दिया जाता है। योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक की आयु 18 से 55 वर्ष तक की होना अनिवार्य है। इसके साथ ही आवेदक आयकरदाता न हो। निगम द्वारा स्वीकृत लोन पर वित्तीय सहायता के रूप में 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अनुदान दिया जाता है।
3- मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना
मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति वर्ग के हित में विभिन्न विभागों के माध्यम से प्राप्त होने वाले विशेष परियोजना प्रस्तावों में सहायता दी जाती है। वित्तीय सहायता इसके लिए अधिकतम राशि दो करोड़ रुपए तक पर योजना की संपूर्ण लागत राशि अनुदान के रूप में दी जाएगी।
4- सावित्रीबाई फुले स्वयं सहायता समूह योजना
सावित्रीबाई फुले स्वयं सहायता समूह योजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूह को इस योजना में शामिल किया गया है। जिनको दो करोड़ तक का लोन दिए जाने का प्रावधान है।
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