भोपाल। मध्य प्रदेश के सागर बरोदिया नौनागिर दलित हत्याकांड में पीड़ित परिवार ने प्रशासन पर गंभीर आरोपी लगाए हैं। चाचा और बहन की मौत के बाद भाई ने कहा, "पहले चाचा को मार दिया फिर बहन को हादसे में मरवा दिया।" परिवार के इस आरोप के बाद इस घटना से जुड़ी पूरी कहानी पर सवाल खड़े हो गए हैं। इधर, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह दलित परिवार के घर पहुँचें, अंजना की अर्थी को कंधा दिया।
अंजना अहिरवार ने मौत से कुछ घंटे पहले एक स्थानीय समाचार पत्र से बातचीत में कहा था, "एक साल पहले भाई का मर्डर हुआ था। उस समय आरोपियों के मकान तोड़े जाते और सख्त कार्रवाई हो जाती तो आज चाचा हमारे साथ होते।" इसके बाद अंजना चाचा राजेंद्र अहिरवार के शव के साथ शव वाहन में बैठकर गांव के लिए रवाना हो गई। शव वाहन में राजेंद्र के माता-पिता, ड्राइवर और एक पुलिस जवान भी था।
पुलिस के मुताबिक गांव से करीब 20 किमी दूर खुरई में आचार्य विद्यानगर तिराहा के पास अंजना (23) ने शव वाहन का गेट खोला और छलांग लगा दी। घटना में अंजना गंभीर घायल हुई। शव वाहन के आगे चल रही पुलिस ने अंजना को अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। वहीं राजेंद्र के पिता रामसेवक अहिरवार जो शव वाहन (एम्बुलेंस) में साथ थे, उनका कहना है- "अंजना ने किसी को कुछ नहीं कहा था। अचानक एम्बुलेंस का पीछे का गेट खुला और वह गिर गई।"
सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की मर्चुरी के बाहर रविवार को अंजना ने मौत से पहले मीडिया को कहा था कि 24 अगस्त 2023 को मेरे भाई नितिन अहिरवार की हत्या कर दी गई थी। राजेंद्र चाचा इस मामले में गवाह थे। आरोपी लालू खान और गोलू अंदर हैं। उनके पापा मेरे चाचा को धमका रहे थे कि उनके पक्ष में गवाही देना, नहीं तो जान से मार देंगे। शनिवार की रात मैंने चाचा को फोन किया तो शोर-शराबे की आवाज आ रही थी। चाचा ने बताया कि ये लोग मुझे मार रहे हैं। उन्होंने मुझे कुछ लोगों के नाम बताए। इसके बाद उनका मोबाइल उन्होंने तोड़ दिया।
मैंने उनके परिवारवालों को सूचना दी। परिवार के लोग मौके पर पहुंचे। राजेंद्र चाचा को पुलिस ने खुरई अस्पताल में भर्ती कराया। भोपाल ले जाते समय रास्ते में विदिशा के पास चाचा की मौत हो गई। उन्होंने कुल्हाड़ी और डंडों से चाचा के साथ मारपीट की थी। दोनों हाथ-पैर फ्रैक्चर हो गए थे। सिर में गहरी चोट आई थी। कान, नाक से खून आया। खून की उल्टियां भी हुई थीं।
अंजना ने कहा था- "मामले में आरोपियों के मकान तोड़े जाएं। 24 घंटे के अंदर सभी आरोपी गिरफ्तार हों। एक साल पहले भाई का मर्डर हुआ था। उसमें जितने आरोपी थे उनके मकान नहीं तोड़े गए थे। उनके भी मकान तोड़े जाएं, अगर उस दिन इनके मकान तोड़े जाते और उन पर कार्रवाई हो जाती तो आज ये नौबत नहीं आती। शायद आज चाचा ज़िंदा होते।"
अंजना की मौत के बाद मृतक राजेन्द्र के पिता रामसेवक ने कहा, "सागर अस्पताल से बेटे राजेंद्र का शव लेकर गांव जा रहे थे। पत्नी भगवती बाई और अंजना गेट के पास बैठी थी। मैं अपने गम में था। ये पता नहीं है कि गेट कब खुल गया और कब अंजना गिर गई। जब गेट खुला तो ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी। गाड़ी रोकी तो पुलिस ने अंजना को उठाया। वह कुछ भी नहीं बोली।"
राजेंद्र अहिरवार की हत्या के मामले में पुलिस ने आशिक कुरैशी, बबलू बेना, इसराइल बेना, फहीम खान और टंटू कुरैशी को आरोपी बनाया है। एक आरोपी की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए सागर के पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने कहा, "राजेन्द्र अहिरवार की हत्या मामले में 4 आरोपियों पर मामला पंजीबद्ध किया है। अंजना की मौत के मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं। एम्बुलेंस से कूदने के क्या कारण रहे होंगे यह पता लगाया जा रहा है।"
जानकारी के मुताबिक 2023 में अंजना के भाई नितिन अहिरवार की हत्या के मामले में कोर्ट में गवाही होनी थी। प्रकरण में अंजना सहित चाचा राजेन्द्र और माँ मुख्य गवाह थे। जिनमें अब अंजना और राजेंद्र की मौत हो चुकी है। अंजना के भाई के अनुसार एक महीने पहले पुलिस सुरक्षा हट गई थी। जिसके बाद राजीनामा के लिए दवाब बनाया जा रहा था। चाचा पर भी बयान बदलकर राजीनामा का दवाब बनाया जा रहा था। इसके चलते ही उनकी हत्या की गई है।
घटनाक्रम सामने आते ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सोमवार को बरोदिया नौनागिर पहुंचे। उन्होंने अंजना के परिवारवालों को ढांढस बंधवाया। काफी समय तक परिवार के साथ बैठकर घटनाक्रम की जानकारी ली। अंजना की अर्थी को कंधा भी दिया।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नितिन की हत्या के मामले में राजेंद्र, अंजना और उसकी मां गवाह थे। राजेंद्र को मार दिया। अंजना मर गई। राजेंद्र को भी क्यों मारा, दबाव डाला गया। नहीं माना तो हत्या कर दी। अंजना ने कुछ दिन पहले पुलिस में रिपोर्ट की थी कि हम पर दबाव डाला जा रहा बयान बदलने के लिए। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। शुरू से अंजना बयान दे रही थी कि अंकित ठाकुर उसमें शामिल थे, लेकिन उसको गिरफ्तार नहीं किया गया, क्योंकि बाहुबली है, राजनीतिक संरक्षण है। मैं तो इस जिला प्रशासन से निराश हूं। एससी-एसटी के जितने भी केस आते हैं। ये हमेशा क्यों विरोध करते हैं। इनके बारे में दो वादे किए थे, वह पूरे नहीं किए गए। अंजना को सरकारी नौकरी भी नहीं दिलाई गई।
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