देश में एक तरफ गुजरात चुनाव की चर्चा चल रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव सुर्खियों में बना हुआ है। यह चुनाव 17 अक्टूबर को होगा, जिसका परिणाम 19 अक्टूबर को आने वाला है। इस बार का चुनाव बहुत ही रोचक है क्योंकि लंबे समय बाद गांधी परिवार से कोई रेस में नहीं है। इस बार दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) की चर्चा सबसे अधिक है। उन्हें गांधी परिवार के साथ-साथ बाकी लोगों का भी समर्थन मिला है। अगर खड़गे अध्यक्ष बनते हैं तो वह कांग्रेस के दूसरे दलित अध्यक्ष होंगे, इससे पहले बाबू जगजीवन राम 1970 में अध्यक्ष बने थे।
कबड्डी के खिलाड़ी है मल्लिकार्जुन खड़गे
खड़गे का जन्म 21 जुलाई 1942 को मैसूर राज्य (अब कर्नाटक) का वरवट्टी गांव में हुआ था। तब वहां निजाम की हुकूमत थी। उनके जन्म के बाद ही देश आजाद हुआ। जिस वक्त देश भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ उस वक्त इनके गांव में भी दंगे हुए। जिसमें पूरे गांव में आग लगा दी गई थी। इस आग से बचाते हुए इनके पिता इन्हें दूर जंगल में ले गए। जहां कई महीनों तक रहने के बाद शहर आए, जहां उन्होंने खड़गे को मजदूरी में न लगाकार स्कूल में भर्ती कराया। ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ अच्छा काम कर सकें। इनकी आरंभिक पढ़ाई गुलबर्गा के स्कूल में हुई। मल्लिकार्जुन पढ़ने में होनहार और कबड्डी के अच्छे खिलाड़ी थे। खबरों के अनुसार अगर खड़गे राजनीति में नहीं आते तो वह कबड्डी के खिलाड़ी होते क्योंकि स्कूल के स्तर पर उन्होंने कई पुरस्कार जीते थे।
शहर के पहले दलित वकील बने
कक्षा 12वीं उन्होंने नूतन स्कूल में पढ़ाई की। उसके बाद गवर्नमेंट कॉलेज से ग्रेजुएशन की और गुलबर्गा के सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। जिसके बाद खड़गे गुलबर्गा के पहले दलित वकील बने। वकील बनने के बाद उन्होंने गरीब लोगों का मुफ्त में केस लड़ा, ताकि कोई न्याय से वंचित नहीं रह जाए।
राजनीति का सफर
मल्लिकार्जुन का राजनीति का सफर यूनियन लीडर से शुरू हुआ। जहां उन्होंने कई गरीब मजदूरों की बिना पैसे के केस लड़ा। जिसके कारण यह पूरे शहर में कुछ दिनों में बहुत प्रसिद्ध हो गए, खासकर दलितों में। यहीं से कांग्रेस नेताओं की नजर उन पर पड़ी। साल 1970 में उन्हें कांग्रेस का डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट बनाया गया। साल 1972 में पहली बार गुरमिटकल विधानसभा सीट से मैदान में उतरे और फतह कर दिखाया। इसके बाद वह लगातार राजनीति में सक्रिय रहे है। उनकी इतनी ख्याति कभी नहीं थी। साल 2014 के बाद देश के सभी लोग मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम से परिचित हुए। मोदी लहर के दौरान लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस की करारी हार के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्ष का नेता चुना गया। इस समय कांग्रेस में 543 में से मात्र 44 सीटों पर जीत हासिल की थी।
बौद्ध धर्म के अनुयायी अंबेडकरवादी नेता
मल्लिकार्जुन खड़गे अंबेडकरवादी नेता हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों और बुद्ध की शिक्षा को लोगों तक पहुंचाने के लिए इन्होंने गुलबर्गा के बाहरी इलाके में बुद्ध विहार बनवाया है। इसके साथ ही खड़गे सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष
आजादी के बाद से नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों का दबदबा सबसे ज्यादा रहा है। अब तक 18 सदस्य कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं। जिसमें पांच नेहरू गांधी परिवार से और 13 पार्टी के सदस्य रहे हैं। इनमें सोनिया गांधी पिछले 21 साल से कांग्रेस की अध्यक्ष हैं।
आजादी के बाद बने अब तक कांग्रेस अध्यक्ष
देश आजाद होने के बाद 1947 में जेबी कृपलानी
1948-49- पट्टाभि सीतारमैया
1950- पुरुषोत्तम दास टंडन
1955-59- यूएन ढेबर
1959- इंदिरा गांधी
1960-63- नीलम संजीव रेड्डी
1964- 1967- के. कामराज
1968-69- एस. निजलिंगप्पा
1970-71- बाबू जगजीवन राम
1972-74 शंकर दयाल शर्मा
1975-77- देवकांत बरुआ
1977-78- ब्रह्मनंद रेड्डी
इस दौरान कांग्रेस का विभाजन हो गया। जिसमें कांग्रेस (आई) की अध्यक्ष इंदिरा गांधी बनी और साल 1984 में मृत्यु तक वही रहीं।
1985-1991- राजीव गांधी
1992-96- पीवी नरसिम्हा राव
1996-98 सीताराम केसरी
1998- 2017- सोनिया गांधी
2017 में राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन साल 2019 में लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल ने पार्टी की कमान छोड़ दी थी। जिसके बाद से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं। अब देखना यह है कि 17 अक्टूबर को होने वाले मुकाबले में शशि थरुर और मल्लिकार्जुन खड़गे में से किसकी जीत होती है।
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