नई दिल्ली। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) मुंबई द्वारा दलित पीएचडी स्कॉलर को निलंबित करने से छात्र समुदाय में आक्रोश है। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की केंद्रीय कार्यकारी समिति सदस्य और एसएफआई महाराष्ट्र के संयुक्त सचिव रामदास शिवानंदन को जनआंदोलनों में भाग लेने और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी शासन से सवाल पूछने पर गत 18 अप्रैल को दो साल के लिए निलम्बित कर दिया गया।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक छात्र के निलंबन पर प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम (पीएसएफ) ने आरोप लगाया कि संस्थान का यह निर्णय एक विरोध मार्च में छात्र की भागीदारी से जुड़ा है।
फोरम का आरोप है कि केंद्र सरकार की कथित छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ उसने जनवरी में दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया था जिसके कारण संस्थान ने यह कदम उठाया है। वहीं, संस्थान ने कहा है कि जिस छात्र को निलंबित किया गया है उसने “छात्रों के लिए बनाई गई अनुशासन संहिता का गंभीर उल्लंघन” किया है।
रिपोर्ट कहती है कि 18 अप्रैल को जारी निलंबन आदेश में छात्र रामदास प्रिंसी शिवानंदन को टिस यानी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के सभी परिसरों से प्रतिबंधित कर दिया गया है। निलंबन आदेश में छात्र को भेजे गए 7 मार्च के कारण बताओ नोटिस का हवाला दिया गया है।
इसमें छात्र रामदास को संबोधित करते हुए संस्थान ने कहा है कि आपको भेजे नोटिस के बाद गठित एक समिति ने 17 अप्रैल को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कीं। समिति ने आपके दो साल के निलंबन की सिफारिश की है।
आदेश में लिखा है कि दो साल के लिए और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के सभी परिसरों में आपका प्रवेश वर्जित कर दिया जाएगा। रामदास को संबोधित इस निलंबन आदेश में कहा गया है कि सिफारिशों को सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।
इससे पहले 7 मार्च को जारी नोटिस में कहा गया था कि छात्र रामदास ने पीएसएफ-टीआईएसएस के बैनर तले विरोध प्रदर्शन में भाग लेकर संस्थान के नाम का दुरुपयोग किया है। नोटिस के अनुसार, चूंकि पीएसएफ संस्थान का मान्यता प्राप्त छात्र निकाय नहीं है, इसलिए रामदास ने नाम का उपयोग करके संस्थान के बारे में गलत धारणा बनाई है।
द मूकनायक से बात करते हुए एक छात्र ने रामदास पर लगे आरोपों के बारे में बताया. उन्होंने दावा किया कि जंतर-मंतर पर एक विरोध मार्च का संचालन करने और उसे संबोधित करने के लिए वामपंथी कार्यकर्ता को निलंबित कर दिया गया है। जनवरी 2024 में, छात्रों के समूह यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया और विपक्षी नेताओं ने संसद मार्च का आयोजन किया था।
रामदास पर आनंद पटवर्धन द्वारा निर्देशित समीक्षकों द्वारा प्रशंसित डॉक्यूमेंट्री 'राम के नाम' देखने के लिए फेसबुक पोस्ट के माध्यम से लोगों से आग्रह करने का भी आरोप है।
छात्र ने कहा, "ऐसा लगता है कि TISS नहीं चाहता कि उसके छात्र राय रखें।" निलंबन को "छात्रों के लिए गंभीर खतरा" बताते हुए, पीएसएफ ने एक बयान में कहा, "यदि कोई छात्र सार्वजनिक रूप से अपनी राय व्यक्त करने का साहस करता है, तो प्रशासन द्वारा उनका पीछा किया जाएगा और 'राष्ट्र-विरोधी' करार दिया जाएगा - खासकर यदि छात्र हाशिए की पृष्ठभूमि से आता है - एक ऐसे संस्थान के लिए जो अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता और स्वतंत्रता पर गर्व करता है।''
बयान में आगे आरोप लगाया गया है कि TISS प्रशासन छात्रावास की स्थिति और अन्य सुविधाओं को बढ़ाने के बजाय सरकार विरोधी प्रदर्शनों को "दबाने" को प्राथमिकता देता है। इस कार्रवाई को "सभी TISS छात्रों को संगठित होने और प्रशासन की छात्र विरोधी नीतियों का विरोध करने के खिलाफ एक खुली चेतावनी" के रूप में वर्णित किया गया है।
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