मुंबई। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन स्टडीज (आईआईपीएस) में 22 जनवरी को कॉलेज परिसर में अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान उत्सव का आयोजन हो रहा था। इस कार्य्रकम से कई दलित छात्रों को संस्थान में सांप्रदायिक तनाव पैदा होने का डर था। इस कारण कुछ दलित छात्रों ने इस मामले संस्थान के उच्चाधिकारियों से हस्तक्षेप करने के लिए एक गोपनीय पत्र 20 जनवरी को आईआईपीएस डायरेक्ट एस.के. को सौंपा था। इस पत्र पर लगभग 35 दलित-अल्पसंख्यक और पिछड़ी जाति के छात्रों ने हस्ताक्षर किये थे। हालांकि, इस पत्र पर संस्थान ने किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने में दिलचस्पी नहीं ली। यह गोपनीय पत्र और इस पर हस्ताक्षर करने वाले छात्रों के नाम सार्वजनिक कर दिए गए। इसका विरोध करने वाले एक स्नातकोत्तर के छात्र को गिरफ्तार कर लिया गया।
छात्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लातूर जिले के दलित समुदाय से आने वाले 23 वर्षीय छात्र को 22 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में एक सीनियर छात्र ने पुलिस से शिकायत की थी। दलित छात्र पर आरोप था कि उसने अपने व्हाट्सएप पर प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन भड़काऊ पोस्ट डाला था। सीनियर छात्र का कहना था कि इससे लोगों में उन्माद हो सकता है। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज की है। द मूकनायक के पास एफआईआर की कॉपी मौजूद है।
द मूकनायक ने संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों से बातचीत की। छात्रों का कहना है कि इस पोस्ट को कई छात्रों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डाला था। यह किसी अन्य छात्र की कॉपी की गई पोस्ट थी। लेकिन इस मामले में केवल एक छात्र को ही निशाना बनाकर एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने उसे ही गिरफ्तार किया। छात्रों का कहना है कि यह पोस्ट महज एक बहाना था।
कॉलेज में धार्मिक आयोजन में हस्तक्षेप करने के लिए निदेशक को भेजे गए गोपनीय पत्र में, छात्रों ने लिखा था, “आईआईपीएस एक बहु-सांस्कृतिक परिसर है जो हर साल विभिन्न समारोहों का आयोजन करता है जिसमें गणेश चतुर्थी, दशहरा, क्रिसमस आदि शामिल हैं, जो एक धर्मनिरपेक्ष युवा पीढ़ी को तैयार करने के वादे का प्रतीक है जो भारत जैसे विविध राष्ट्र-राज्य में समृद्धि में योगदान दे सकता है। लेकिन राम मंदिर अभिषेक का जश्न विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित राजनीतिक एजेंडे का एक शुद्ध कार्य है, जो आईआईपीएस जैसे संस्थान में जश्न मनाते समय छात्रों की धर्मनिरपेक्ष भावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, यहां इस तरह के जश्न नहीं मनाए जा सकते।" पत्र में, छात्रों ने परिसर में समारोहों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और कहा कि उत्सव में "नफरत और भय फैलाकर छात्र बिरादरी के बीच विभाजन को और गहरा करने" की क्षमता है।
पत्र लिखने वाले छात्रों का आरोप है कि, "हमारे पत्र को नजरंदाज कर दिया गया। दलित छात्र की गिरफ़्तारी के बाद, जिन छात्रों ने हस्ताक्षर किये थे उन्हें माफ़ीनामा लिखने के लिए धमकाया गया। संस्थान को लिखे गए इस पत्र में छात्रों से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को मनाने वालों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए माफ़ी माँगी गई।"
"माफीनामा पत्र लिखवाने के बाद पूरे कैम्पस को भगवा झंडों से सजाया गया था। मुस्लिम छात्रों के हॉस्टल के कमरे में भी जबरन घुसकर जयश्री राम के नारे लगाए गए। उनके कमरे में भगवा झंडा और राम की तस्वीर वाले पोस्टर लगा दिए गए। पूरे परिसर में आदमकद पोस्टर लगाए गए और सभी छात्रावासों में भगवा झंडे फहराए गए", छात्रों ने आरोप लगाया। छात्रों ने कथित तौर पर देर रात जुलूस निकाला, यहां तक कि परिसर में मुस्लिम छात्रों के साथ मारपीट भी की।
छात्रों ने बताया कि, 22 जनवरी के दिन, प्रशासन और छात्र संगठन ने छात्रों को अपने आईडी कार्ड ले जाने के लिए सख्ती से कहा था। इस कार्यक्रम में बाहरी लोगों को अनुमति नहीं दी गई थी। लेकिन कथित तौर पर बाहर से कई लोग परिसर में घुस आए और दिन भर चले उत्सव कार्यक्रमों में भाग लिया।
जानकारों की माने तो किसी भी कालेज के कैंपस से किसी छात्र की इस तरह गिरफ्तारी करना अच्छा संदेश नहीं देती है। आमतौर पर, पुलिस संस्थान प्रबंधन की अनुमति के बिना उस क्षेत्र में प्रवेश नहीं करती है। इसके अलावा, जब कोई विवाद होता है, तो पुलिस में शिकायत बढ़ाने से पहले संस्थान में शिकायत की जाती है। लेकिन यहां, शिकायतकर्ता, द्वितीय वर्ष का छात्र, सीधे गोवंडी पुलिस स्टेशन पहुँच गया। छात्र पर "धर्म के बीच दुश्मनी पैदा करने" के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) और 295 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इस मामले में पुलिस ने रिमांड अर्जी में दावा किया कि छात्र ने अपने व्हाट्सएप पोस्ट से हिंदू छात्रों को नाराज किया है। छात्र को गिरफ्तार कर लिया गया है और दो दिनों तक पुलिस हिरासत में रखा गया। आर्थर रोड सेंट्रल जेल भेजे जाने के तीसरे दिन एक स्थानीय अदालत ने उसे जमानत दे दी। अब छात्र कैंपस में वापस आ गया है।
राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह के बाद, कालेज में सक्रिय अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन (एएसए) छात्र संगठन को खत्म कर दिया गया है। एसोसिएशन का हिस्सा रहे एक छात्र ने कहा कि गिरफ्तारी के तुरंत बाद, छात्र बाहर हो गए और उनका व्हाट्सएप ग्रुप हटा दिया गया। अम्बेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन संगठन के एक छात्र का कहना है कि, “हमें हमारी राजनीतिक समझ और दावे के लिए निशाना बनाया जा रहा है। हममें से अधिकांश लोग गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं और हमारे पास दक्षिणपंथी ताकतों से लड़ने का साधन नहीं है। इसलिए, छात्रों ने समूह को खत्म करने का फैसला किया।''
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