राजस्थान। चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन क्षेत्र की मेवदा कॉलोनी में मंगलवार को कंजर समुदाय की महापंचायत बैठी जहाँ समाज जनों ने 6 अप्रैल को सुरेश कंजर की न्यायिक अभिरक्षा में हुई हत्या पर आक्रोश जाहिर किया। समुदाय ने मृतक के परिजनों के लिए न्याय की मांग रखी। वहीं इस अवसर पर समाज के प्रबुद्व लोगों ने एकजुट होकर शिक्षा और जागरूकता के जरिये आगे बढ़ने, समाज की मुख्यधारा से जुड़ने पर जोर दिया। इधर, महापंचायत की जानकारी मिलने पर सोमवार रात को ही चित्तौड़गढ़ पुलिस द्वारा सुरेश कंजर की न्यायिक अभिरक्षा में हुई मौत पर मृतक के पुत्र राकेश कंजर की शिकायत पर कपासन उपकारागृह प्रहरी विनीत शर्मा के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। मुकदमा भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और एससी एसटी अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है। मामले की जांच पुलिस उपाधीक्षक गीता चौधरी करेंगी।
मेवदा कॉलोनी के सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजस्थान कंजर भातू समाज के जिला अध्यक्ष महेश कंजर ने बताया कि जेल कर्मचारियों के द्वारा न्यायिक अभिरक्षा में सुरेश कंजर के साथ मारपीट की गयी जिससे 6 अप्रैल को सुरेश की मृत्यु हो गई। प्रशासन द्वारा पहले सभी मांगे मान ली गयी परन्तु 11 दिन बाद भी कुछ नहीं हुआ तब महापंचायत का फैसला लिया गया तब महापंचायत के डर से पुलिस थाना कपासन द्वारा 17 अप्रैल की रात्रि को एफआईआर दर्ज की गई।
महापंचायत में मुख्य अतिथि विमुक्त एवं घुमन्तु जनजाति बोर्ड के उपाध्यक्ष चतराराम देशबन्धु ने मेवदा कॉलोनी के कंजर समुदाय को विश्वास दिलाया कि सुरेश कंजर को न्याय मिलेगा, अभियुक्त जेल अधिकारियों को सस्पेंड करके उनको कडी से कडी सजा दिलाई जायेगी तथा मुख्यमंत्री जी से बात करके मुआवजा राशि भी दिलायी जायेगी। साथ ही मेवदा कॉलोनी के पुलिस चौकी इंचार्ज दिनेश चौधरी को हटाने का विश्वाश दिलाया।
अन्य वक्ताओ में अध्यक्ष, कंजर भातू समाज रमण छितरावत इंजीनियर ने समाज में एकता बनाये रखने का संदेश दिया। विशिष्ट अतिथि में वक्ताओं में अजय इन्द्रेकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने समाज के बच्चों को शिक्षित करने का संदेश दिया। अंबेडकर जनजागरण मंच से एडवोकेट मांगीलाल बैरवा ने पुलिस प्रशासन व न्यायालय व्यवस्था पर सवाल खडे किए। बताया गया कि इतने दिन एफआईआर नहीं दर्ज करने के बहाने बनाते रहे तथा महापंचायत के डर से तुरंत एफआईआर दर्ज कर दी।
लक्ष्मण रम्लावत प्रदेश उपाध्यक्ष कंजर भातू समाज ने सुरेश के परिवार को आश्वाशन दिया कि उनको न्याय मिलेगा। नागेश जाधव मुम्बई, संविधान प्रचारक ने महापंचायत में मौजूद लोगों को संविधान पर भरोसा रखने को कहा और यह भी कहा कि प्रशासन से डरने की जरूरत नहीं है, यह सारा प्रशासन आमजन का सेवक है, यह आपके काम के लिये ही तन्ख्वाह लेते है। तथा सामाजिक कार्यकर्ता रामतरुण एवं कुणाल राम टिके ने बाबा साहब के विचारो को याद रखने के कहा।
सुरेश कंजर प्रकरण में शुरू से ही संघर्षरत समता संगठन के हरलाल बैरवा, जवाहर लाल मेघवाल, अजय बैरवा, प्रभूलाल भील ने मंच पर बात रखते हुए बताया कि 11 दिनों से चित्तौडगढ़ अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा झूठ एवं बहाने बाजी की जा रहा थी। ये कहा जा रहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट साहब जांच कर रहे हैं इसलिए वह एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते, फिर कल रात कैसे कपासन पुलिस थाना ने सुरेश कंजर की हत्या की एफआईआर दर्ज की?
सामाजिक कार्यकर्ता शंकर लाल मेघवाल एवं लोकेश कुमार भीमनगर ने कानून की पढाई का संदेश दिया। बसपा जिला अध्यक्ष रामेश्वर लाल बैरवा ने युवा साथियों को समाज में एकता बढाने का संदेश दिया, तथा महापंचायत में ही मेवदा कॉलोनी से युवा साथी वार्ड पंच प्रकाश कंजर, पुर्व वार्ड पंच प्रकाश, भोपा जी, संचालन- प्रेम चंद अध्यापक, सुरेश, सोनू, कमलेश, विष्णु, राकेश, मनोज, रविन्दर, सरपत, नरेश, विनोद, देवीलाल ने सुरेश कन्जर की हत्या के दोषियों को कडी से कडी सजा दिलाने की मांग रखी।
महापंचायत में समुदाय के लोगों को अपराधी की तरह देखने, आए दिन पुलिस द्वारा बिना बात परेशान करने, समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे चारी प्रथा, अशिक्षा, जागरूकता का अभाव आदि मसलों पर भी चर्चा हुई। युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न सरकारी स्कीमों की जानकारी देने और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
अखिल राजस्थान कंजर समाज महापंचायत के अध्यक्ष ग्यारसीलाल गोगावत ने द मूकनायक को बताया कि कंजर समुदाय राजपूत शासकों के साथ अंग्रजों से लोहा लेता रहा है। महाराणा प्रताप की 1597 में मृत्य के पश्चात सेना का नेतृत्व नहीं होने से ये समाज की मुख्य धारा से कटकर वनों में ही रहने लगे और अंग्रेजों से खाने पीने की वस्तुएं छीन लेते थे। उन्हें गुरिल्ला युद्ध कला में प्रवीणता प्राप्त थी। अंग्रेजों ने इन्हें अपने शासन का भुगतभोगी बनाकर सन 1871 में काला कानून लगाकर इन्हें अपराधी करार दिया। स्वतंत्रता के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने सन 1952 में इन्हें विमुक्त किया और विमुक्त जाति एवं भटक्या नाम से रेकॉर्ड में दर्ज किया। गोगावत ने बताया कि अलवर, टोंक, बूंदी, भीलवाड़ा आदि कुछ जिलों में समाज की महिलाएं व बालिकाएं देह व्यापार में संलग्न है। अजमेर ब्यावर आदि जगहों पर समुदाय के लोग बूट पोलिश कर जीवन यापन करते हैं। इन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास की आवश्यकता है जिसके लिए लगातार राज्य सरकार को लिखा जाता रहा है।
कंजर जाति को भारत सरकार के The Constitution (Scheduled Castes) Order, 1950,1 (C.O.19) Part XV के अंतर्गत अनुसूचित जाति में सम्मिलित किया गया है। कई पुस्तकों एवं वेबसाइट्स पर इसे जनजाति बताया गया जो ठीक नहीं है।
कंजर’ शब्द की उत्पति ‘काननचार’/’कनकचार’ से हुई है जिसका अर्थ है ‘जंगलो में विचरण करने वाला’।
राजस्थान में कंजर मुख्यतः झालावाड, बारां, कोटा, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर जिलो में रहते हैं।
कंजर एक यायावर प्रकृति की जाति है। ये स्थान बदल-बदल कर रहते हैं। कंजर जाति अपनी अपराध प्रवृति के लिए कुख्यात है। कंजर जाति के मुखिया को पटेल कहते हैं।
पाती माँगना – ये अपराध करने से पूर्व किसी मंदिर में जाकर ईश्वर का आशीर्वाद लेते हैं। उसको पाती माँगना कहा जाता है।
कंजरों की कबीली पंचायत शक्तिशाली और सर्वमान्य सभा होती है। सभ्य समाज की दृष्टि से पेशेवर अपराधी माने जाने वाले कंजरों में भी कबीली नियमों के उल्लंघन की कड़ी सजा मिलती है।
कँजर जाति द्वारा चकरी नृत्य किया जाता है, कहा भी जाता है कि "लाठी से धाकङ चकरी चलावे कंजर"।
कंजर जाति आजकल भांतू जाति लगाने लगी है जिनमे कंजर एवं अन्य सभी गोत्र भी भांतू में आती है।
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