मध्य प्रदेश: दलित-आदिवासियों को रोकने के लिये गांव के मुख्य मार्ग पर लगाया फाटक, निकलने की मनाही

गेट के कारण गांव में आकस्मिक परिस्थितियों में एम्बुलेंस प्रवेश नहीं कर पाती है। गाँव के अन्य रास्ते सकरें हैं।
मध्य प्रदेश: दलित-आदिवासियों को रोकने के लिये गांव के मुख्य मार्ग पर लगाया फाटक, निकलने की मनाही
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मध्य प्रदेश। एमपी के छतरपुर जिले के एक गांव में दलितों और आदिवासियों को रोकने के लिये गांव के मुख्य मार्ग पर फाटक लगा दिया गया है। उन्हें इस रास्ते से निकलने की मनाही है। उन्हें उस रास्ते से जाने पर रोकने के लिये जातिवादी लोगों ने गांव के मुख्य द्वार पर लोहे का बड़ा गेट लगा दिया है। देश की आजादी के 76 साल बाद आई तस्वीरों ने दलितों के साथ हो रहे भेदभाव को पूरी तरह ऊजागर कर दिया है। गांव के मुख्य मार्ग पर दरवाजा लगा होने के कारण गांव में लोगों को घूमकर जाना पड़ता है। गेट के कारण गांव में एम्बुलेंस प्रवेश नहीं कर पाती है। अन्य रास्ते सकरें हैं। गांव के आदिवासी और दलित लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस मामले में कई बार शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं हुई है। हालांकि एसडीएम ने गेट हटवाने का आश्वासन दिया है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

एमपी के छतरपुर जिले के सिसोलर गांव मुख्यालय से 120 किलोमीटर पर यूपी बॉर्डर से लगा हुआ है। इस गांव की जनसंख्या की करीब 1500 है, जिसमें ज्यादातर लोग दलित समाज के हैं. सिसोलर गांव में समुदाय का रास्ते से जाने पर भी रोक लगा दी गई है, इनकी गलती बस यही है कि ये दलित समुदाय (अनुसूचित जाति) से आते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक कुछ मनबढ़ों ने सरकारी सड़क पर बड़े-बड़े फाटक लगा दिए हैं। दलित समुदाय का एक व्यक्ति उस रास्ते से गुजर न पाए, इसके लिए रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। आलम यह है कि चाहे प्रसूता महिला हो, बुजुर्ग हो, बीमार या कोई जरूरी घटना हो ये रास्ता नहीं खोला जाता। भले इसके बदले सामने वाले की जान पर ही क्यों न बन जाए।

एम्बुलेंस न आ पाने के कारण रास्ते मे महिला को प्रसव कराती ग्रामीण महिलाएं
एम्बुलेंस न आ पाने के कारण रास्ते मे महिला को प्रसव कराती ग्रामीण महिलाएं

गांव के रहने वाले राजेंद्र अहिरवार ने द मूकनायक को बताया, "दो फरवरी को उनके चाचा को दिल का दौरा पड़ा था। चाचा को अस्पताल ले जाने के लिए प्राइवेट वाहन भी कर लिया था, लेकिन रास्ते पर फाटक लगा होने के कारण वह चाचा को लेकर समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाए और उनकी मौत हो गई। जबकि घर से जहां वाहन खड़ा था। वहां की दूरी 500 मीटर थी, लेकिन गेट बंद होने के चलते वाहन नहीं आ पाया।"

गांव की रहने वाली राजबाई अहिरवार को 2 नवंबर की सुबह प्रसव पीड़ा हुई थी। परिवार वालों ने जननी एक्सप्रेस बुलाई, लेकिन यहां भी गेट बंद होने के चलते महिला अस्पताल नहीं पहुंच पाई और गांव की सड़क पर ही प्रसव कराया गया। हालांकि, अभी दोनों स्वस्थ हैं।

आपको बता दें कि, गांव के अंदर पहुंचने के मुख्य रूप से दो ही रास्ते हैं। इन दोनों आम रास्ते में लोहे के बड़े-बड़े फाटक लगे हुए हैं। जिन जातिवादी लोगों ने यह फाटक लगवाए हैं। दलितों का आरोप है की फाटक लगे होने की वजह से उन्हें बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है। इसको लेकर वह कई बार शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जातिवादी लोग अपनी सुविधा अनुसार गेट खोलते और बन्द करते हैं।

इस मामले में लवकुशनगर एसडीएम देवेंद्र चौधरी ने द मूकनायक को बताया, "गांव में फाटक लगाया गया है। लेकिन दलितों को रास्ते से नहीं निकलने दिया जा रहा है, इस बात की शिकायत नहीं आई है। गांव में पहले से ही फाटक लगे हुए हैं, अगर गांव के लोग शिकायत कर रहे हैं तो यह फाटक हटवाया जाएगा।"

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