कौशांबी- यूपी के कौशांबी में संदीपन घाट थाना क्षेत्र में पूर्व की घटना में हुई हीलाहवाली के चलते तीन लोगों की और हत्या कर दी गई। परिजनों के मुताबिक 2012 में इसी परिवार के नाबालिग की गन्ना चोरी करने के आरोप में पीटकर हत्या कर दी गई थी। अब उसी परिवार के सदस्य गांव में आरोपियों द्वारा कब्जा की जमीन पर आकर रहने लगा था। यह इलाका सवर्ण बाहुल्य क्षेत्र है। इसके अतिरिक्त यादव समाज के लोगों के भी घर मौजूद हैं। लेकिन इन सबके बीच आकर पासी समाज के सदस्य का रहना आरोपियों को खाये जा रहा था।
इन्हीं सब कारणों के चलते यह घटना हुई। गुस्साए लोगों ने सवर्णो के घर में घुसकर तोड़फोड़ और आगजनी की। गांव के सभी मकान अब खाली पड़े हैं। आरोपियों के जानवरों को चारा देने वाला भी कोई नहीं है। सभी फरार हैं। इस मामले में पुलिस ने पीड़ित परिवार की तहरीर पर आठ लोगों को नामजद किया है। दो की गिरफ्तारी हो चुकी है। जिला प्रशासन की तरफ से पीड़ित परिवार को 12 लाख की आर्थिक सहायता भी पहुंचाई जा चुकी है।
द मूकनायक की टीम लखनऊ से लगभग 180 किमी दूर कौशाम्बी के उस स्थान पर पहुंची जहां यह घटना हुई थी। यह गांव कौशाम्बी के जिला मुख्यालय मंझनपुर से लगभग 35 किमी दूर पड़ता है। यह क्षेत्र चायल कहलाता है। द मूकनायक की टीम चायल क्षेत्र में सन्दीपन घाट थाना क्षेत्र के मूरतगंज चौराहे से हररायपुर गांव की ओर जा रहे रास्ते से गुजरकर मोहद्दीनपुर पहुंची। यह रास्ता कुरई घाट की ओर जाता है। लगभग 10 किमी चलने पर बाएं ओर मोहद्दीनपुर राजकीय आईटीआई कॉलेज बना हुआ है। इसके ठीक सामने ही यह पूरी विवादित जमीन है। मोहद्दीनपुर चौराहे से दाएं तरफ का रास्ते पर उतरकर लगभग 200 मीटर पर एक सड़क से सटा हुआ जमीन का बड़ा हिस्सा पड़ा हुआ जिसका रकबा 10 बिसवें का है। इस जमीन के ठीक सामने जयकरन डेयरी मौजूद है। इस जमीन के ठीक पीछे और आईटीआई कालेज की तरफ प्लाटिंग दिख रही थी ।
द मूकनायक की टीम जब पहुंची तो इस जमीन के एक हिस्से पर एक छोटी झोपड़ी बनी हुई है। बाकी जमीन खाली पड़ी थी। झोपड़ी के आगे ही एक चारपाई और एक लकड़ी का तख्त पड़ा हुआ था। चारपाई के नीचे खून पड़ा हुआ था जो मिट्टी ने सोख लिया था,जबकि तख्त भी खून से लाल था वह धूप और बारिश में गायब हो रहा था। इसी पर यह तीन लोग लेटे हुए थे।
द मूकनायक ने ग्रामीणों से बातचीत की तो जानकारी हुई दलित बुजुर्ग होरीलाल (62) और उसका परिवार मोहद्दीनपुर गांव से लगभग 2 किमी दूर छबिलवा में रहता है। होरीलाल के चार बेटे और चार बेटियां हैं। होरीलाल अनुसूचित जनजाति (पासी समाज) का सदस्य था। होरीलाल की बेटे सुभाष ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया-' लंबे समय से आरोपी हमें परेशान कर रहे हैं। 2012 में मेरे छोटे भाई मगन की गन्ना चोरी के आरोप में पिटाई की गई थी। उस समय हमने कोई शिकायत नहीं की गई। घायल होने पर उसका अस्पताल में ईलाज कराया था। 6 माह बीतने के बाद उसके दिमाग मे चोट लगने से कैंसर बन गया और उसकी मौत हो गई। मेरे परिजनों ने इसका विरोध किया। इस दौरान हमारी गुड्डू और अन्य से झड़प हुई। इसमें मेरी मां का हाथ टूट गया। जिस बहन की मौत हुई उसकी नाक पर चोट आई थी। इस मामले में एससी एसटी की धाराओं में मुकदमा दर्ज है। मेरे पिता इस मुकदमा के मुख्य गवाह थे। 16 सितंबर को उनकी अंतिम गवाही होनी थी। इससे पहले ही यह घटना हो गई।'
छबिलवा गांव निवासी होरीलाल के तीन बेटे क्रमश: सुरेश कुमार, सुभाष, दिलीप तथा चार बेटियां गुड्डी, सुमन, बृजरानी तथा सूरजकली थी। दो वर्ष पहले बृजरानी की शादी के बाद जब दामाद पत्नी को लेकर पड़ोसी गांव मोहीउद्दीन में रहने लगा तो वह भी यहीं आ गए थे। जिस भूमि में दामाद झोपड़ी बनाकर रहता था, विवादित होने के कारण उस पर निर्माण नहीं हो सका। बृजरानी आशा कार्यकर्ता थी तथा उसकी तैनाती मूरतगंज सीएचसी में थी। उसके भाई सुरेश ने बताया कि बहन को छह माह का गर्भ था। यह उसका पहला बच्चा था। उसके जाने के साथ ही उसकी अंतिम निशानी का भी कत्ल कर दिया गया।
चायल तहसील के मोहीउद्दीनपुर गौस गांव स्थितआराजी संख्या 344 है। ग्रामीणों के मुताबिक जमीन पर कब्जे को लेकर मारपीट की घटनाएं तो अक्सर हुआ करती थीं लेकिन, कत्ल पहली बार हुआ। घटनाओं के बाद पुलिस या तो निरोधात्मक कार्रवाई करती थी या फिर लेनदेन करके मामले को रफा-दफा कर दिया जाता था।
ग्रामीणों के मुताबिक आराजी संख्या 344 बस्ती से बाहर है। 52 बीघे के रकबे वाली जमीन पर काफी पहले से चौहान तथा यादव बिरादरी का कब्जा है। पूर्व के प्रधान व लेखपालों ने खेल कर करीब 20 वर्ष पहले गरीबों के नाम कागज पर तो पट्टा कर दिया लेकिन, कब्जा सिर्फ चौहान तथा यादव बिरादरी को ही दिलाया। इसी जमीन के पास ही आईटीआई का निर्माण कराया गया है। इसकी वजह से भूमि की कीमत काफी बढ़ गई। अब यहां दो लाख रुपये बिस्वा की जमीन खोजे भी नहीं मिल रही है।हत्याकांड के बाद भीड़ का गुस्सा इसी बात को लेकर था कि आखिर जब पट्टा दिया गया तो उन्हें कब्जा क्यों नहीं दिलाया गया। उनका कहना था कि चौहान तथा यादव बिरादरी के लोगों ने जो घर बनवाया है, उसका पट्टा किसी अन्य के नाम पर है।
इसी में 10 बिस्वा जमीन का पट्टा लालचंद्र निर्मल को 13 सितंबर 2009 में मिला था। उसने एक साल बाद इस जमीन पर 15 सितंबर 2010 में पहली बार खेती शुरू की थी। अस्वस्थ होने के कारण उसने इस पर कुछ समय बाद खेती करना छोड़ दिया और अपने रिश्तेदारों के घर चला गया। जब इसपर कब्जा होने लगा तो उसने शिकायत की। कुछ समय के लिए अधिकारियों ने लालचन्द्र के नाम पट्टा हुई जमीन पर हो रहे कब्जे को रुकवा दिया। लेकिन यह नहीं थमा और कुछ समय बाद आरोपियों ने दोबारा कब्जा करना शुरू कर दिया। लालचन्द्र जब जमीन नहीं बचा सका तो उसने यह जमीन शिवसरन को बेच दी।
ग्रामीणों का कहना है प्रशासन से यही मांग की जा रही थी कि बुलडोजर चलाकर अवैध निर्माण गिरवाएं। आरोप लगाया कि चकबंदी, प्रशासन व पुलिस के लोग आते तो हैं लेकिन पैसा लेकर चले जाते हैं। भूमि विवाद को लेकर कई बार झगड़े भी हुए पर पुलिस ने उन्हें या तो रफा-दफा कर दिया या फिर निरोधात्मक कर पल्ला झाड़ लिया।
पीड़ित परिजनों ने द मूकनायक को बताया-'शिवसरन की पत्नी 7 माह के गर्भ से थी। शिवसरन तथा उसकी पत्नी बृजकली घर आने वाले नन्हें मेहमान को लेकर तमाम तरह के सपने बुन रही थी।'
इस घटना के बाद भड़की हिंसा में 50 मकानों में जमकर तोड़-फोड़ की गई। लोगों के घरों में घुसकर आगजनी की गई। उनके घर के बाहर खड़े मकानों के वाहन जले हुए पड़े थे। इस घटना में लगभग एक दर्जन वाहन फूंक दिए गए। कारखाने और दुकानें जला दी गईं। कई घर खुले पड़े हैं। इनमें रहने वाले सभी लोग फरार हैं।
घटना के हिंसा भड़क उठी। इस दौरान सभी घर छोड़कर भागने गए। लेकिन उनके मवेशी जिस हाल में थे उस हाल में आज भी बंधे हुये हैं। उन्हें चारा देने वाला भी कोई नहीं बचा है। गाय-भैंस और उनके बच्चे धूप में भूखे प्यासे बंधे हुए नजर आए।
इस मामले में द मूकनायक के पास एफआईआर की कॉपी मौजूद है। एफआईआर के मुताबिक इस घटना में गुड्डू यादव,अमर सिंह,अमित सिंह,अरविंद सिंह,अनुज सिंह,राजेन्द्र सिंह,सुरेश व अजीत शामिल हैं। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अमर सिंह और अमित सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि अन्य 6 की गिरफ्तारी में जुटी है।
इस मामले में सुभाष ने द मूकनायक को बताया-'इस पूरे मामले को फास्ट- ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए, जमीन पट्टे पर दी जाए,दो भाईयों की शादी के लिए सरकारी अनुदान दिया जाए,सरकारी नौकरी,शस्त्र लाइसेंस,1 करोड़ की आर्थिक मदद,पट्टे पर जमीन और माता को वृद्धा पेंशन योजना देने की मांग की है।
वहीं जिलाधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किए गए पत्र में संजीत कुमार,दिलीप कुमार सहित तीन अन्य पात्रों को शस्त्र लाइसेंस,सरकारी नौकरी,दो लोगों की शादी के लिए अनुदान,एससी एसटी एक्ट के तहत दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि,शासन द्वारा अनुग्रह राशि के रूप में एक करोड़ और एससी एसटी एक्ट के तहत मिलने वाले अभी लाभों को दिलाने हेतु सरकार को पत्र लिखकर आग्रह करने की बात लिखी हुई है।
यह भी पढ़ें-
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.