कर्नाटकः दलितों के बाल नहीं काटने पर हंगामा, जानिए फिर क्या हुआ?

सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी में युवक के बाल कटवाए, दलित समाज ने आरोपी बार्बर शॉप के खिलाफ की कार्रवाई की मांग।
प्रदर्शन के दौरान दलित समाज के लोग।
प्रदर्शन के दौरान दलित समाज के लोग।द मूकनायक।
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बेंगलूरु। कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु के ग्रामीण इलाके में छुआछूत व जातीय भेदभाव का मामला सामने आया है। इस क्षेत्र में एक बार्बर शाप संचालक ने दलित (अनुसूचित जाति) समाज के लोगों के बाल काटने से मना कर दिया। घटना की जानकारी के बाद समाज कल्याण व पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों की मौजूदगी में एक दलित युवक के बाल कटवाए गए, जिसके बाद मामला शांत हुआ।

घटना बेंगलूरु ग्रामीण इलाके के डोड्डाबल्लापुर तालुक के कदनूर गांव की है। आरोप है कि कदनूर गांव में हेयर ड्रेसर ने दलितों को बाल काटने से मना कर दिया। कर्नाटक दलित संघर्ष समिति के नेताओं ने इस घटना का विरोध किया। समिति सदस्यों ने तालाबंदी और घेराबंदी की। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस सहित समाज कल्याण अधिकारी मौके पर पहुंच गए। लोगों में काफी गुस्सा था। समिति और अधिकारियों के बीच वार्ता हुई। इस दौरान अधिकारियों की मौजूदगी में मौके पर ही एक दलित युवक के बाल काटकर यह मामला खत्म किया गया।

कर्नाटक दलित संघर्ष समिति तालुक इकाई अध्यक्ष रामू नीलाघट्टा ने द मूकनायक को बताया - "हमने कटिंग की दुकान की घेराबंदी करके और प्रतीकात्मक रूप से दलित नेताओं के बाल काटकर इस अमानवीय प्रथा को समाप्त कर दिया है। भले ही हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, लेकिन यह विडंबना है कि यह छुआछूत आज भी हमारे बीच जिंदा है। हम मानवता को भूलकर श्रेष्ठता और हीनता की भावना में जीते हैं। समाज जो मूर्खता पाल रहा है उसे बदलना होगा। समिति ऐसी प्रथाओं के खिलाफ हमेशा लड़ती रहेगी।"

समिति के जिला संयोजक एमपी गंगाधर ने द मूकनायक को बताया-"जब हमने स्थानीय दलित घरों का दौरा किया तो हमें यहां की समस्या का एहसास हुआ। यह शर्म की बात है कि समाज में जातिगत भेदभाव अभी भी जीवित है। क्या हम हर किसी की तरह इंसान नहीं हैं? यह रवैया क्यों है? क्या कार्यक्रम के मंचों पर कही जाने वाली समानता की बात यहां खत्म हो गई है? बाबा साहब अंबेडकर की इच्छा सिर्फ शब्दों तक ही सीमित थी? इस रवैये को रोकना होगा। हमारा संघर्ष सतत है।"

लगाया था 50 हजार का जुर्माना

जानकारी के मुताबिक नवंबर 2020 में कर्नाटक के मैसूर जिले में दलित के बाल काटे जाने पर सैलून के मालिक पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया था। मैसूर जिले के हल्लारे गांव में मल्लिकार्जुन शेट्टी सैलून चलाते हैं, उनके द्वारा दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों के बाल काटने पर पूरे परिवार को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा था। सैलून के मालिक मल्लिकार्जुन ने बताया था कि जब उन्होंने इसकी शिकायत की बात कही तो उन्हें धमकी दी गई, मारपीट की गई और पांच हजार रुपए भी छीन लिए। इस मामले में नंजनगुड रूरल पुलिस ने दोनों पक्षों से बात करके मामले का निपटारा कर दिया था।

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