जमशेदपुर। झारखण्ड (jharkhand) राज्य के खटिक समाज के प्रमुख लोगों ने अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति खराब होने के हवाले से दलित अर्थात एसटी श्रेणी (Scheduled Castes) में शामिल करने का आवेदन दे रखा है। राज्य सरकार ने जाति को दलित श्रेणी में शामिल करने को लेकर पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां जिले में सर्वे कराया है। इसके लिए सर्वे ऑफिसर डॉ. शब्बीर हुसैन एवं संजय कुमार मेहता जमशेदपुर पहुंचे हैं। सर्वे ऑफिसर ने हल्दी पोखर और सरायकेला जाकर सर्वे कार्य पूरा कर लिया है।
इस कार्य में समाज के लोगों ने भी सर्वे ऑफिसर को सहयोग किया। इनमें अखिल भारतीय खटिक समाज के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष राधेश्याम सोनकर, राष्ट्रीय महासचिव राजेश सोनकर, धनबाद के रमेश सोनकर, रामगढ़ सेप्रदेश महामंत्री दीपक सोनकर, पूर्वी सिंहभूम जिला अध्यक्ष ब्रिजेश सोनकर, ग्रामीण क्षेत्र अध्यक्ष प्रकाश सोनकर जिला अध्यक्ष सरायकेला-खरसावां रतन सोनकर आदि शामिल हैं।
खटिक जाति फिलहाल ओबीसी की श्रेणी-1 में शामिल है। इस जाति के प्रमुख लोगों ने अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति खराब होने के हवाले से दलित अर्थात एसटी श्रेणी में शामिल करने का आवेदन दे रखा है। इस मांग के औचित्य की जांच सर्वेकर करने के उद्देश्य से दो सदस्यीय टीम रांची से भेजी गई थी।
आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत इस जाति को भारत के कुछ राज्यों में अनुसूचित जाति (Scheduled Castes), तो कहीं अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. कहीं-कहीं इन्हें सामान्य वर्ग में भी शामिल किया गया है. गुजरात, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इन्हें ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है. उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में इन्हें अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है.
सर एच. रिस्ले ने खटिकों को खेती करने वाली और सब्जी बेचने वाली जाति के रूप में वर्णित किया है. आजीविका के आधार पर इन्हें विभिन्न उप समूहों में विभाजित किया गया है. जिसमें से प्रमुख हैं- खेतिहर किसान और मेवाफरोश. खेतिहर किसान खेती-बाड़ी करते हैं. मेवाफरोश फल और मेवा बेचने का काम करते हैं, और इन्हें सोनकर के नाम से भी जाना जाता है. इनके प्रमुख उप विभाजन हैं- मेवाफरोश, सूर्यवंशी, सोनकर, चक, चुंगन और अरेकतिका हैं.
खटिक (खटीक) भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली एक जाति है. यह जाति दक्षिण एशिया में व्यापक रूप से फैली हुई है. भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में इनकी आबादी है. भारत में यह मुख्य रूप से गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगना, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, दिल्ली, झारखंड, तमिलनाडु और कर्नाटक में निवास करते हैं। यह हिंदू और मुस्लिम दोनों हो सकते हैं. भारत में अधिकांश खटीक हिंदू हैं, जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश में ज्यादातर खटिक मुस्लिम हैं.
खटिक शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द “खट्टीका” से हुई है, जिसका अर्थ होता है- कसाई या शिकारी. खटिक मूल रूप से वो जाति है जिनका काम प्राचीन काल में याज्ञिक पशु बलि देना होता था. प्राचीन काल में यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठानों में बकरे की बलि दी जाती थी. यह मंदिरों में भी पशु बलि देने का कार्य करते थे. पुराणों में खटक ब्राह्मणों का उल्लेख का उल्लेख किया गया है. कहा जाता है कि इनके हाथों से दी गई बली ही स्वीकार होती थी.
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