झारखंड। रामगढ़ जिले में एक छोटे से होटल में बर्तन धुलकर परिवार का पेट पालने वाले दलित युवक की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। क्षेत्र के चेंबर भवन में हुई चोरी के संदेह में पुलिस युवक को पूछताछ के लिए लेकर गई थी। इस मामले की छानबीन में पुलिस तेजी से जुटी थी। कुछ समय बाद पुलिस ने परिजनों को सूचना दी कि युवक ने आत्महत्या की कोशिश की है। जिसके बाद पूरे परिवार में कोहराम मच गया। परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी पार्टी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घर लिया। परिजनों ने पहले शव लेने से इंकार कर दिया और हंगामा करने लगे। रामगढ़ जिला प्रशासन ने मामले की जांच साथ ही 6 अन्य मांगो को स्वीकार किया, जिसके बाद ही पीड़ित परिजन शव का अंतिम संस्कार करने पर राजी हुए।
पूरा मामला झारखडं में रामगढ़ जिले के रामगढ़ थाना इलाके के मालोनी क्लब क्षेत्र के वार्ड नंबर -5 में रहने वाले महेंद्र राम के घर का है। महेंद्र से द मूकनायक ने बातचीत की। महेंद्र बताते हैं कि, "मैं और मेरा बेटा अनिकेत कुमार भुइयां (19) नंदा बार होटल में काम करते थे। वह होटल में बर्तन सफाई का काम करता था। उसके काम करने से परिवार को पैसों की थोड़ी मदद हो जाती थी। उसने कभी कोई गलत काम नहीं किया था। उस पर झूठा चोरी का आरोप लगाया गया था। जिसके बाद पुलिस उसे साथ लेकर गई थी।"
महेंद्र आगे बताते हैं, "बीते 21 फरवरी 2024 को हम दोनों रोज की तरह होटल में अपना-अपना काम कर रहे थे। इस दौरान लगभग 7 बजे रामगढ़ थाने के तीन-चार सिपाही होटल के अंदर आये। उन्होंने मेरे बेटे का नाम होटल में पूछा और उसे साथ ले जाने लगे। मैंने उनसे पूछा कि वह उसे कहां ले जा रहे हैं, इस पर उन्होंने एक चोरी के मामले में पूछताछ करने का हवाला दिया। मैंने पुलिसकर्मियों को मेरे बेटे को ले जाने दिया। देर रात तक मेरा बेटा वापस नहीं आया। हमें इसकी चिंता सताने लगी। सुबह तड़के मैं और मेरी पत्नी 6 -7 थाने पहुँच गए। वहां मौजूद पुलिकर्मियों ने मुझे मेरे बेटे से मिलने नहीं दिया। उन्होंने हम दोनों को भी थाने में बंद कर पीटने की बात कही और थाने से भगा दिया।"
"'देर शाम पुलिस ने हमें जानकरी दी कि हमारे बेटे ने थाने के शौचालय में कंबल का कोना फाड़कर उसका फंदा बनाया और फांसी लगा ली। हम थाने पहुंचे लेकिन हमें शव देखने नहीं दिया गया। शव को सीधे अस्पताल भेज दिया गया था", महेंद्र ने बताया.
इस घटना के बाद परिवार ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए हंगामा काटना शुरू कर दिया। मामले में पुलिस का कहना है कि अनिकेत ने शौचालय में फांसी लगा ली, जिससे उसकी मौत हो गई है। हालांकि मृतक अनिकेत कुमार के पिता महेंद्र राम, मां रीना देवी और भाई ने पुलिस पर मारपीट करने का गंभीर आरोप लगाया है। जिसके बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुँच गए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में गठित मेडिकल टीम से अनिकेत के शव का पोस्टमार्टम कराया। रांची से एक फॉरेंसिक डिपार्टमेंट की टीम रामगढ़ थाने पहुंची और सैंपल को इकट्ठा किया है।
घटना के बाद नाराज परिजनों ने अनिकेत का शव लेने से इंकार कर दिया। वह लगातार प्रदर्शन और न्याय की मांग कर रहे थे। जिला प्रशासन और परिजनों के बीच 15 लाख की आर्थिक सहायता, 05 डी. जमीन, सरकारी नौकरी, सरकारी आवास, पेंशन, राशन कॉर्ड पर सहमति बनी। पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम कर रही है, साथ ही विभागीय स्तर पर भी अधिकारियों ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। मामले में एसआईटी भी गठित की गई है।
अनिकेत की मौत के बाद पूरे राज्य में सियासी हलचल देखने को मिल रही है। विपक्ष इस मुद्दे पर झारखंड सरकार को घेरने में जुट गई है। झारखंड विधानसभा में भी यह मुद्दा नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने जोरो से उठाया, जबकि गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी मृतक अनिकेत के परिजन से मिलने उसके घर पहुंचे, परिवार को सांत्वना दी। सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने पुलिस पर मामले की लीपापोती का आरोप लगाते हुए झारखंड सरकार के कार्य शैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है।
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