"मैं दलित हूँ, इसलिए मेरा चेम्बर बदल दिया गया", प्रशासनिक अधिकारी ने सीएमओ पर लगाए गम्भीर आरोप

पीड़ित अधिकारी ने की डीएम से शिकायत, मामले की जाँच के आदेश.
पीड़ित अधिकारी
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लखनऊ। यूपी के बस्ती जिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के ऑफिस में तैनात एक प्रशासनिक अधिकारी (EO) ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) पर जातीय भेदभाव के गम्भीर आरोप लगाए हैं। प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि दलित होने के चलते मुख्य चिकित्सा अधिकारी बस्ती डॉ. आरएस दुबे ने बिना उन्हें बताए उनका चैंबर अलग कर दिया।

मामले की शिकायत करने के लिए अफसर गुरुवार को ई-रिक्शा पर बैठकर डीएम ऑफिस पहुंच गए। फिलहाल, इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सभी आरोपों को निराधार बताया है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

यूपी के बस्ती जिले में अनिल कुमार भास्कर स्वास्थ्य विभाग में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उनकी वर्तमान तैनाती मुख्य चिकित्सा अधिकारी बस्ती दफ्तर में हैं। अनिल भास्कर ने वायरल वीडियो में कहा है, 'मैं फरवरी 2020 से प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हूं। 30 सितंबर को यहां डॉ. रमाशंकर दुबे की जॉइनिंग हुई, तभी से वो मुझे टारगेट कर रहे हैं, क्योंकि मैं दलित हूं। पहले मैंने सब कुछ सहन किया। मगर हद तो तब हो गई, जब उन्होंने नवंबर में मेरी 21 दिन की सैलरी कटवा दी। अब तो उन्होंने मेरा चैंबर ही अलग कर दिया।'

मेहनत पर क्लर्क से प्रशासनिक अधिकारी पर हुआ प्रमोशन

अनिल भास्कर बताते हैं, "मैंने स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय तक काम किया, जिसके बाद मुझे प्रमोट किया गया था। मैं पहले क्लर्क था, फिर प्रशासनिक अधिकारी बनाया गया। जिसके बाद मुझे चैंबर अलॉट किया गया था। इस कार्यालय में विभाग के फाइनेंस का काम देखता हूं। शनिवार और रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को जब मैं ऑफिस आया। मैंने देखा कि मेरा चैंबर अलग कर दिया गया है। मुझे इसके लिए सूचित भी नहीं किया गया।"

अनिल कुमार भास्कर ने कहा, "आज मैं ऑन ड्यूटी यहां डीएम ऑफिस आया हूं। मेरे बैठने की जगह नहीं है, तो मैं क्या ही काम करूं? CMO ने मौखिक रूप से कभी भी जातिसूचक शब्दों का प्रयोग नहीं किया, मगर उन्होंने मुझे इस बात का एहसास जरूर करा दिया है। मैं डॉक्टर नहीं हूं। मेरा लोकसेवा आयोग से चयन हुआ है। शायद मेरी और उनकी पोस्ट एक जैसी ही है। इसी समानता के चलते ऐसा कर रहे हैं।''

सीएमओ ने कहा लगाए गए आरोप निराधार

इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी राम शंकर दूबे ने कहा कि, "सभी लगाए गए आरोप निराधार हैं। अनिल बहुत कम आते हैं। वह शराब के आदी हैं। इसके कारण उनकी अनुपस्थिति लग जाती है। अब झूठी शिकायत कर रहे हैं।" हालांकि, इस मामले में डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं।

जम्मू कश्मीर के आईएएस अधिकारी ने भी जातीय भेदभाव की शिकायत की थी

जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ने दलित जाति होने के कारण उत्पीड़न और धमकी देने का आरोप लगाया था। आईएएस अधिकारी द्वारा की गई शिकायत के मुताबिक लगभग आधा दर्जन से ज्यादा बार उनका तबादला किया गया। प्रदेश के प्रमुख सचिव का पिछले एक साल में पांच बार तबादला किया गया था। उन्होंने अपने खिलाफ साजिश का आरोप लगाया था। विपक्ष ने आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की थी। गुजरात के रहने वाले 1992 के आईएएस अधिकारी अशोक परमार ने जल शक्ति विभाग में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का भंडाफोड़ करने के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा उत्पीड़न, धमकी और धमकाने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज की थी।

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