"मैं दलित हूँ, मेरी जाति के कारण मेरा उत्पीड़न किया जा रहा"- दलित आईएएस

जम्मू कश्मीर के आईएएस अधिकारी का साल भर में आधा दर्जन बार किया गया तबादला
दलित आईएएस अशोक परमार
दलित आईएएस अशोक परमार
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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर एक वरिष्ठ आईएएस अफसर ने दलित जाति होने के कारण उत्पीड़न और धमकी देने का आरोप लगाया है। आईएएस अधिकारी द्वारा की गई शिकायत के मुताबिक लगभग आधा दर्जन से ज्यादा बार उनका तबादला किया गया। प्रदेश के प्रमुख सचिव का पिछले एक साल में पांच बार तबादला किया गया है। उन्होंने अपने खिलाफ साजिश का आरोप लगाया है। विपक्ष ने आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है। गुजरात के रहने वाले 1992 के आईएएस अधिकारी अशोक परमार ने जल शक्ति विभाग में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का भंडाफोड़ करने के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा उत्पीड़न, धमकी और धमकाने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज की है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

अशोक परमार मूल रूप से गुजरात के रहने वाले हैं। वह अनुसूचित जाति समाज से आते हैं। वह 1992 बैच के एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी है। वर्तमान समय में वह जम्मू कश्मीर में ब्यूरो ऑफ पब्लिक इंटर प्राइजेज के चेयरमैन पद पर तैनात हैं। अशोक परमार ने द मूकनायक प्रतिनिधि को बताया, "मेरा एक लंबे समय से उत्पीड़न किया जा रहा है। क्योंकि मैं अनुसूचित जाति से आता हूँ।"

उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया है कि अनुसूचित जाति का होने और जम्मू कश्मीर में जल शक्ति विभाग के जल जीवन मिशन में गड़बड़ियों को उजागर करने के चलते उनका बार-बार तबादला किया गया है। अधिकारी ने केंद्रीय गृह सचिव को भी पत्र लिखकर यही आरोप लगाया है। उन्हें डर है कि प्रशासन उन्हें झूठा फंसा सकता है। पत्रों में, परमार ने आरोप लगाया कि उन्हें दो उच्च-स्तरीय बैठकों से बाहर निकाल दिया गया और अन्य अधिकारियों के सामने अपमानित किया गया।

अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग को पत्र लिखकर की गई शिकायत के मुताबिक परमार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। उनको मार्च 2022 में एजीएमयूटी कैडर में वापस भेज दिया गया। इसके बाद, उन्हें प्रमुख सचिव सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के रूप में तैनात किया गया। 5 मई 2022 को उनका तबादला कर उन्हें प्रमुख सचिव जल शक्ति विभाग के पद पर तैनात किया गया। परमार के अनुसार, विभाग में घोटालों का भंडाफोड़ करने के बाद उन्हें कुछ महीनों के भीतर एआरआई और प्रशिक्षण विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया था।

18 जुलाई को उनका तबादला कौशल विकास में कर दिया गया। दो सप्ताह से भी कम समय में, 1 अगस्त को उन्हें फिर से सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष के रूप में तैनात किया गया। प्रमुख सचिव एआरआई (प्रशासनिक सुधार, निरीक्षण) और प्रशिक्षण) के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, परमार ने विभिन्न जिलों का दौरा करना शुरू कर दिया और विभिन्न विभागों के खिलाफ जांच भी शुरू की।

नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव ए.के. मेहता के खिलाफ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के एक दलित अधिकारी के आरोप इतने गंभीर हैं कि उनकी जांच होनी चाहिए। आईएएस अधिकारी ने मेहता पर परेशान करने और अनियमितता के आरोप लगाये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि इस तरह की जांच कभी नहीं होगी और मीडिया ने भी प्रकरण को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।

उमर ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आरोप इतने गंभीर हैं कि निष्पक्ष जांच कराये जाने की जरूरत है, लेकिन हम जानते हैं कि यह कभी नहीं होगा। अफसोस है कि समाचार मीडिया ने इस प्रकरण की पूरी तरह से अनदेखी की है। वे मिस वर्ल्ड और अन्य मनोरंजक कार्यक्रमों की कवरेज करने में लगे हुए हैं। विज्ञापनों से मिलने वाले पैसों का लोभ और पुलिस थानों की ओर से तलब किये जाने के डर ने प्रभावी रूप से उसे खामोश कर दिया है, जो कभी जम्मू कश्मीर में एक जीवंत स्वतंत्र प्रेस हुआ करता था।’’ नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष एक राष्ट्रीय अखबार में आई एक रिपोर्ट का हवाल दे रहे थे, जिसमें कहा गया है कि आईएएस अधिकारी अशोक परमार ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के समक्ष एक शिकायत दायर की है।

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